सफेद और पीली नहीं, NH-45 की सड़कें हुई लाल, जानें क्या है NHAI का ये नया एक्सपेरिमेंट
जबलपुर के पास, जहां जंगल गहरा होता है और सड़क अचानक से प्राकृतिक परिदृश्य में कटौती की तरह महसूस होती है, वहां NH-45 अब अलग नजर आ रही है. काले अस्फाल्ट की जगह सड़क पर चमकदार लाल निशान बने हैं, जो हल्के ऊंचे हैं और ड्राइवरों को रफ्तार कम करने के लिए मजबूर करते हैं. यह कदम सिर्फ डिजाइन का नहीं, बल्कि एक जीवनरक्षक प्रयोग है.
जबलपुर के पास नेशनल हाईवे-45 पर सफेद और पीली लाइनों की जगह अब सड़क पर लाल रंग के चौड़े निशान दिखाई दे रहे हैं. पहली नजर में यह बदलाव चौंकाता है, लेकिन इसके पीछे सिर्फ डिजाइन नहीं, बल्कि जंगली जानवरों की जान बचाने की बड़ी सोच है. यह इलाका नौरादेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व के पास से गुजरता है, जहां अक्सर बाघ, हिरण और अन्य वन्यजीव सड़क पार करते हैं.
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ऐसे में NHAI ने ड्राइवरों को पहले से सतर्क करने के लिए सड़क को ही चेतावनी का जरिया बना दिया है. NHAI का यह नया एक्सपेरिमेंट भारत में अपनी तरह का पहला प्रयोग माना जा रहा है.
NH-45: जंगल और सड़क का टकराव
NH-45 का हिरेन–सिंदूर खंड लगभग 12 किलोमीटर लंबा है और यह नौरादेही वाइल्डलाइफ सेंचुरी और वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व के किनारे चलता है. यह खाली जंगल नहीं है. बाघ, हिरण, सांभर और जैकल रोजाना इस रास्ते से गुजरते हैं. कई सालों से चेतावनी बोर्ड और बाड़ लगाने के बावजूद, इस सड़क पर जानवरों और वाहनों की टक्कर होती रही है, खासकर रात के समय.
क्यों किया गया सड़क का रंग लाल?
अब इस खंड पर एक नई पहल देखी जा सकती है. सिर्फ बोर्ड और बाड़ पर भरोसा करने की बजाय, सड़क ने खुद ही चेतावनी देना शुरू कर दी है. चमकदार लाल चौकोर निशान सड़क पर फैले हैं, जो हल्के ऊंचे हैं और गाड़ी चलाने वालों को धीरे चलने के लिए संकेत देते हैं. इसमें कोई अचानक गड्ढा या जोर का झटका नहीं है, बल्कि पहले विजुअल और फिर स्पर्श से गाड़ी रफ्तार कम करता है. दरअसल लाल रंग को जानबूझकर चुना गया है. अस्फाल्ट पर यह सफेद या पीली लाइन से ज्यादा नजर आता है, और टायर के नीचे हल्की ऊंचाई चेतावनी देती है कि यह कोई सामान्य सड़क नहीं है, बल्कि जानवर कभी भी पार कर सकते हैं.
वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पूरा इंतजाम
निशानों के अलावा, NHAI ने इस मार्ग पर 25 वाइल्डलाइफ अंडरपास बनाए हैं ताकि जानवर सड़क के नीचे सुरक्षित तरीके से गुजर सकें. आठ फीट ऊंची लोहे की बाड़ दोनों ओर लगी है, जो जानवरों को इन सुरक्षित मार्गों की ओर ले जाती है. बावजूद इसके, सुबह और रात के समय टक्कर की घटनाएं होती रही हैं. लाल निशान इसी कमी को पूरा करने के लिए लगाए गए हैं.
क्यों खास है यह प्रयोग?
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में इस परियोजना का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए इसे “जंगली जीवन की सुरक्षा का पवित्र कर्तव्य” बताया. राज्य स्तरीय आंकड़े बताते हैं कि केवल मध्यप्रदेश में पिछले दो साल में 237 जानवर-वाहन टक्कर हुईं और 94 जानवरों की मौत हुई. जैसे-जैसे बाघों की संख्या बढ़ रही है, जानवर अपने पारंपरिक क्षेत्रों से बाहर निकल रहे हैं और सड़क पार करते हैं.
फायदे और भविष्य की राह
NH-45 का यह अपग्रेड 122 करोड़ रुपये की लागत से 2025 तक पूरा होगा. यह NHAI की ग्रीन हाईवे पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल सड़क निर्माण करना है. सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, बेहतर सड़क से पर्यटन और स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो देश के अन्य जंगलों से गुजरने वाले हाईवे भी इसे अपना सकते हैं. यह बदलाव दर्शाता है कि सड़क अब केवल अपना रास्ता नहीं चाहती, बल्कि जंगल के जीवन के साथ साझा करना सीख रही है.





