कतर, ईरान या इजरायल... किसने की सीजफायर की पहल, ट्रंप ने बताया 'शांति डील' कराने में कौन था सबसे आगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान और इजराइल उनके पास आए और युद्धविराम की इच्छा जताई. ट्रंप ने इसे ‘ताकत के ज़रिए शांति’ बताया. लेकिन ईरान ने साफ इनकार कर दिया कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ. इजराइल चुप है. सवाल उठ रहा है, क्या यह सचमुच शांति का प्रयास था या ट्रंप की 2024 रणनीति?

ईरान इजरायल युद्ध में मंगलवार को उस समय नाटकीय मोड़ आ गया जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों से जारी युद्ध अब समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने उनके पास आकर युद्धविराम की इच्छा जताई और उन्होंने मध्यस्थता कराई. ट्रंप के मुताबिक यह सिर्फ एक सीजफायर नहीं, बल्कि 'पूरी दुनिया के लिए जीत' है.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया कि यह युद्धविराम चरणबद्ध होगा. पहले 6 घंटे तक दोनों पक्ष अपने अंतिम सैन्य ऑपरेशन्स को पूरा करेंगे, फिर ईरान 12 घंटे तक हमले रोकेगा, उसके बाद 12 घंटे बाद इजराइल. इस तरह 24 घंटे में पूर्ण युद्धविराम लागू हो जाएगा। ट्रंप ने इसे "ताकत के ज़रिए शांति" बताया. अब सवाल उठता है कि पिछले 12 दिनों से एक दूसरे पर बम बरसा रहे ईरान और इजरायल आखिर सीजफायर के लिए तैयार कैसे हो गए?
कौन चाह रहा था सीजफायर?
ईरान और इज़राइल के बीच चल रही 12 दिन की भीषण लड़ाई में सीजफायर की पहल किसने की, इस सवाल पर अब बड़ा भ्रम और सियासी तकरार पैदा हो गया है. डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि "दोनों देश एकसाथ मेरे पास आए और कहा- Peace!", लेकिन ज़मीनी हालात और बयान कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ प्रचार के मकसद से दिया गया हो सकता है.
झूठ है ट्रंप का दावा, कोई समझौता नहीं हुआ: ईरान
ट्रंप के दावे के चंद घंटों बाद ही ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इनकार कर दिया. उन्होंने साफ कहा कि इजराइल के साथ कोई भी सीजफायर समझौता नहीं हुआ है. अरागची ने कहा कि “अगर इजराइल हमले रोकता है तो हम भी रुकेंगे”, लेकिन कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है. वहीं, इज़राइल की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन नहीं आया है. इससे ट्रंप के बयान की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं.
कतर में अमेरिकी बेस पर हमले ने बदली तस्वीर
इसी बीच ईरान ने कतर में स्थित एक अमेरिकी सैन्य बेस पर मिसाइल दागने का दावा किया था. हालांकि कतर सरकार ने बताया कि उनकी एयर डिफेंस ने मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर दिया और कोई नुकसान नहीं हुआ. यह हमला इजराइली हमले का जवाब बताया गया है जिसमें अमेरिका की संलिप्तता का दावा भी किया गया. कतर स्थित अमेरिकी बेस पर ईरानी मिसाइल हमले के बाद अमेरिका ने सक्रिय कूटनीति शुरू की थी, जिसके बाद शांति वार्ता की बात निकली.
ट्रंप की 'शांति ब्रांडिंग'
डोनाल्ड ट्रंप अतीत में भी खुद को वैश्विक मध्यस्थ के रूप में पेश करते रहे हैं. चाहे किम जोंग उन से मुलाकात हो या भारत-पाक सीजफायर का दावा. ट्रंप अक्सर ऐसी घोषणाएं करते हैं जिन्हें संबंधित पक्ष खारिज कर देते हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार भी वे 2024 की अमेरिकी राजनीति के मद्देनज़र खुद को 'शांति का वाहक' दिखाना चाह रहे हैं?
मिडिल ईस्ट की शांति अभी दूर
हालांकि ट्रंप का दावा भले ही विवादित हो, लेकिन इससे एक बात ज़रूर उजागर होती है. मिडिल ईस्ट में तनाव अब वैश्विक कूटनीति का केंद्र बन गया है. अमेरिका की भूमिका भले ही स्पष्ट न हो, लेकिन अब ईरान और इजराइल दोनों पर वैश्विक दबाव है कि वे संयम बरतें. आने वाले दिन तय करेंगे कि ट्रंप की "शांति घोषणा" कितनी ज़मीन पर टिकती है.