'थर्ड वर्ल्ड देशों' के लोगों की अमेरिका में होगी No Entry, ट्रंप की धमकी के बाद चर्चा में आए ये देश कौन?
Third World Countries: अफगान नागरिक द्वारा वॉशिंगटन में हुई गोलीबारी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “थर्ड वर्ल्ड देशों” से होने वाले माइग्रेशन पर पूरी तरह रोक लगाने की चेतावनी दी है. ट्रंप ने कहा कि “बाइडेन के मिलियन्स ऑफ इल्लीगल एडमिशन” को खत्म किया जाएगा और उन विदेशी नागरिकों को भी डिपोर्ट किया जाएगा जिन्हें अमेरिका का “नेट एसेट” नहीं माना जाता. USCIS पहले ही अफगानिस्तान सहित 19 देशों के ग्रीन कार्ड धारकों की कठोर समीक्षा शुरू कर चुका है.
Third World Countries: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कड़े आव्रजन (इमिग्रेशन) रुख के संकेत देते हुए पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. वॉशिंगटन में एक अफ़गान नागरिक द्वारा दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर कथित फायरिंग की वारदात के एक दिन बाद ट्रंप ने घोषणा की है कि अमेरिका “थर्ड वर्ल्ड देशों” से होने वाले माइग्रेशन को पूरी तरह रोकने की तैयारी कर रहा है.
ट्रंप ने ‘Truth Social’ प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया कि भले ही अमेरिका तकनीकी रूप से आगे बढ़ा है, लेकिन वर्तमान इमिग्रेशन कानूनों ने उस प्रगति को “कमज़ोर” कर दिया है. उनका दावा है कि यदि “सभी थर्ड वर्ल्ड देशों” से होने वाले प्रवासन को अस्थायी रूप से न रोका गया तो अमेरिकी व्यवस्था “पूरी तरह से रिकवर” नहीं कर पाएगी.
ट्रंप यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि वह “मिलियन्स ऑफ़ बाइडेन इल्लीगल एडमिशन” को खत्म करेंगे और उन सभी विदेशियों को देश से बाहर निकालेंगे जिन्हें वह “अमेरिका की संपत्ति (net asset) नहीं मानते” या “जो हमारे देश से प्रेम करने में सक्षम नहीं हैं.” उनकी योजना में उन सभी प्रवासियों को डिपोर्ट करना शामिल है जिन्हें “पब्लिक चार्ज, सुरक्षा जोखिम, या वेस्टर्न सिविलाइजेशन के अनुकूल नहीं” माना जाएगा.
“Third World” शब्द आया कहां से?
ट्रंप की नई बहस के बीच यह सवाल बड़ा है कि “थर्ड वर्ल्ड देश” किसे कहा जाता है? यह शब्द द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आए कोल्ड वॉर (शीत युद्ध) काल में लोकप्रिय हुआ. उस समय दुनिया तीन ब्लॉकों में विभाजित थी -
- ऐतिहासिक रूप से फर्स्ट वर्ल्ड में अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया आदि शामिल थे. कुछ अफ्रीकी क्षेत्रों को भी यहां रखा गया क्योंकि वे यूरोपीय शासन के अधीन थे - जैसे वेस्टर्न सहारा (स्पेन), रंगभेदकालीन दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया.
- सेकंड वर्ल्ड में सोवियत संघ के गणराज्य और पूर्वी यूरोप (जैसे पोलैंड, ईस्ट जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया) के साथ कम्युनिस्ट एशियाई देश (उत्तरी कोरिया, वियतनाम, लाओस, मंगोलिया) शामिल थे.
- थर्ड वर्ल्ड में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के लगभग सभी बाक़ी देश शामिल कर दिए गए - चाहे वे लोकतांत्रिक हों या तानाशाही शासन वाले.
आज के दौर में थर्ड वर्ल्ड शब्द को पुराना, अपमानजनक और भेदभावपूर्ण माना जाता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अब “Global South”, “Developing Nations” या “Low–Middle Income Countries” जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं.
ट्रंप की माइग्रेशन पॉलिसी और नए एक्शन
ट्रंप प्रशासन पहले से ही आक्रामक इमिग्रेशन नीतियों पर काम कर रहा था, लेकिन 28 नवंबर की घोषणा सबसे कड़ी मानी जा रही है. USCIS (US Citizenship and Immigration Services) के निदेशक जोसेफ एडलो ने X पर लिखा, “राष्ट्रपति के निर्देश पर, हमने अफ़गानिस्तान और 18 अन्य देशों के हर ग्रीन कार्ड धारक की स्थिति की पूरी समीक्षा शुरू कर दी है.” जब मीडिया ने पूछा कि इन 19 देशों की लिस्ट किन्हें कहा गया है, USCIS ने स्पष्ट किया कि यह ट्रंप के जून 2025 के एग्जिक्यूटिव ऑर्डर में दी गई सूची है, जिसे “Countries of Identified Concern” कहा गया है.
कौन-कौन से देश “Identified Concern” के तहत हैं?
पूर्ण यात्रा प्रतिबंध (Full Travel Ban) वाले 12 देश - अफ़गानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो-ब्रज़ाविल, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन हैं. वहीं आंशिक यात्रा प्रतिबंध (Partial Restrictions) वाले 7 देश - बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला शामिल हैं. इन देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश, वीज़ा, स्टूडेंट परमिट, ग्रीन कार्ड और शरण प्रक्रिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं.
ट्रंप के बयान से साफ है कि यदि वह अपनी नई नीति लागू करते हैं तो न केवल माइग्रेशन, बल्कि ग्रीन कार्ड और नागरिकता प्रक्रिया पर भी बड़ा असर पड़ेगा. आलोचक इसे नस्लीय भेदभाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण मानते हैं, जबकि समर्थक इसे अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता से जोड़कर देखते हैं.





