Begin typing your search...

गुरु पर्व पर पाकिस्तान की खतरनाक साजिश, 148 भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में एंट्री देने से इनकार

गुरुपर्व के मौके पर पाकिस्तान ने भारतीय सिख श्रद्धालुओं के साथ बड़ा धोखा किया. वैध वीजा होने के बावजूद कई तीर्थयात्रियों को सीमा पार जाने से रोक दिया. यह कदम भारत-पाक संबंधों में नई तल्खी का संकेत है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने सुरक्षा का हवाला दिया, लेकिन भारत ने इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया है.

गुरु पर्व पर पाकिस्तान की खतरनाक साजिश, 148 भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में एंट्री देने से इनकार
X
( Image Source:  shorts91 @shorts_91 )

गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर हर साल सैकड़ों भारतीय सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जाते हैं. इस बार भी ऐसे यात्रियों को वैध वीजा जारी किया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने दुश्मनी वाला रवैया अपनाते हुए वैध वीजा धारक भारतीय तीर्थयात्रियों को अपने देश में प्रवेश से इनकार कर दिया. पाकिस्तान सरकार के इस हरकत को भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ और द्विपक्षीय परंपरा की अवहेलना बताया है. नई दिल्ली ने इसे तीर्थयात्रियों को भारत के खिलाफ भड़काने वाली कार्रवाई माना है.

CNN-News18 की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 30 अक्टूबर, 2025 के बीच, कम से कम 148 भारतीय नागरिकों को वाघा सीमा से पाकिस्तान के अधिकारियों ने वापस भेज दिया.

आईएसआई की साजिश का हिस्सा

दरअसल, पाकिस्तान ने पिछले महीने वैध वीजा और पूर्व सरकारी मंजूरी के बावजूद 148 से ज्यादा भारतीय तीर्थयात्रियों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया था. सीएनएन-न्यूज 18 के मुताबिक 15 से 30 अक्टूबर 2025 के बीच कम से कम 148 भारतीय नागरिकों ननकाना साहिब, करतारपुर और पंजा साहिब जाने के लिए वैध वीजा जारी किया गया था. पाकिस्तानी अधिकारियों उन्हें पाक में एंट्री देने के बदले यात्रियों को लंबी हिरासत रखा और पूछताछ के बाद वाघा सीमा से वापस भेज दिया.

वहीं, आईएसआई के इशारे पर पाकिस्तानी मीडिया जैसे जियो न्यूज और एआरवाई डिजिटल व अन्य एजेंसियों ने इस बाबत भ्रामक तरीके से प्रसारित किया. जबकि यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा जानबूझकर बनाई गई रणनीति का हिस्सा था

हालांकि, इन आरोपों को पाक अफसरों ने खारिज कर दिया है कि इसके पीछे पाकिस्तान की मंशा भारतीय सिख समुदायों में नई दिल्ली के खिलाफ आक्रोश भड़काना है. रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला प्रकाश में आने के बाद आईएसआई के मीडिया मॉनिटरिंग सेल ने एक्स और फेसबुक पर 300 से ज्यादा प्रॉक्सी सोशल मीडिया अकाउंट और धार्मिक नेटवर्क एक्टिव कर दिया. इन अकाउंट ने झूठे दावों को बढ़ावा दिया कि भारत ने अपने ही तीर्थयात्रियों को छोड़ दिया है और इसे भारतीय व्यवस्था में 'प्रशासनिक अराजकता' के रूप में पेश किया.

उर्दू और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं के मीडिया संस्थानों ने नई दिल्ली पर अल्पसंख्यक अधिकारों का दमन करने का आरोप लगाया. जबकि पाक सरकार के फैसले की तारीफ की. साथ ही कहा कि इस्लामाबाद का दरवाजा तीर्थयात्रियों के लिए हमेशा की तरह खुला है.

गजवा ए हिंद एजेंडा का हिस्सा

इन खबरों को उन डिजिटल इकोसिस्टम की ओर से प्रकाशित किया गया जो पहले गजवा-ए-हिंद और खालिस्तान का शुरू से पक्ष लेते रहे हैं. अप्रैल 2024 और नवंबर 2023 के बीच भी इसी तरह के वीजा देने से इनकार किया गया था. दोनों मामलों यात्रियों को परेशान करने भारत सरकार पर आरोप लगाने का पाकिस्तान आईएसआई का पैटर्न एक जैसा ही था.

ताज्जुब की बात यह है कि 28 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच ऐसे पोस्ट में 400 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसमें पाकिस्तान, खाड़ी क्षेत्र और प्रवासी समुदायों से जुड़े हैंडल पर एक साथ रीट्वीट और शेयर किए गए.

इस्लामाबाद के डिप्लोमैटिक सूत्रों ने न्यूज 18 को बताया कि पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बावजूद भारतीय तीर्थयात्रियों को वाघा सीमा पर 10 घंटे से ज्यादा इंतजार कराया गया और बिना किसी लिखित स्पष्टीकरण के वापस भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि यह फैसला आईएसआई के सीधे हस्तक्षेप के बाद लिया गया, जिसने मंत्रालयों की मंजूरी को दरकिनार कर दिया.

बदले की भावना से सिख यात्रियों को बनाया ढाल

इस मसले पर नई दिल्ली के अधिकारी ने इस घटना युद्ध उन्माद फैलाने का हिस्सा माना है. भारतीय अफसरों का इस मुद्दे पर कहना है कि इसका उद्देश्य गुरुपर्व के मौके पर सिख तीर्थयात्रियों और भारतीय अधिकारियों के बीच के भरोसे को तोड़ने था. यह पाकिस्तान खुफिया एजेंसी की साजिश का हिस्सा है. और सिख तीर्थयात्रियों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है.

India News
अगला लेख