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POK मांगे आजादी! पाक अधिकृत कश्‍मीर में कई सालों में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन; सेना की गोली से अब तक 12 की मौत

पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हालात बेकाबू हो गए हैं. सेना की गोलीबारी में अब तक 12 नागरिकों की मौत और 200 से अधिक घायल हुए हैं. विरोध 29 सितंबर से शुरू हुआ था, जिसमें 38 मांगें रखी गईं, जिनमें बिजली-आटा सब्सिडी और आरक्षित सीटों का उन्मूलन शामिल है. आंदोलन तेजी से पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ बगावत में बदल गया. हालात संभालने के लिए शहबाज शरीफ ने वार्ता समिति बनाई, लेकिन इंटरनेट बंद और दमन से गुस्सा और भड़क रहा है.

POK मांगे आजादी! पाक अधिकृत कश्‍मीर में कई सालों में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन; सेना की गोली से अब तक 12 की मौत
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( Image Source:  X/@sowmiyasid )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 2 Oct 2025 2:48 PM IST

पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) इन दिनों रणभूमि में तब्दील हो चुका है. यहां सरकार और सेना के खिलाफ उग्र प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी हैं. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को भीड़ पर गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें अब तक कम से कम 12 नागरिकों की मौत हो गई है. मरने वालों में पांच प्रदर्शनकारी मु़जफ्फराबाद, पांच धीऱकोट, और दो दाडयाल में मारे गए हैं. वहीं, तीन पुलिसकर्मी भी भीड़ की हिंसा में मारे गए.

रिपोर्ट्स के अनुसार सरकारी आंकड़ों से अलग, स्थानीय सूत्रों का दावा है कि 200 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनमें से ज्यादातर को गोली लगी है और उनकी हालत नाजुक है. इलाके में तनाव चरम पर है और आम जिंदगी पूरी तरह ठप हो चुकी है.

कैसे शुरू हुआ विरोध आंदोलन?

पीओके में विरोध की चिंगारी 29 सितंबर को तब भड़की, जब जम्मू कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने सरकार की नीतियों और भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ दिया. प्रदर्शनकारियों की 38 मुख्य मांगें हैं, जिनमें सबसे अहम है - पीओके विधानसभा में पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों का उन्मूलन, बिजली और आटे पर सब्सिडी, स्थानीय उद्योग और व्यापार को कर राहत और अधूरे पड़े विकास कार्यों को पूरा करना. इन मांगों को लेकर लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन कुछ ही दिनों में यह आंदोलन सैन्य दमन और पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ विद्रोह में बदल गया.

प्रदर्शन बना बगावत

मु़जफ्फराबाद, रावलकोट, नीलम वैली और कोटली जैसे इलाकों में हजारों लोग सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग पत्थरबाजी करते और उन बड़े शिपिंग कंटेनरों को गिराते दिखे, जिन्हें सेना ने पुलों और रास्तों पर खड़ा कर दिया था. लोगों के नारे भी पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब हैं. भीड़ "हुक्मरानों सुन लो, तुम्हारा अंत नजदीक है" और "कश्मीर हमारा है, हम ही इसका फैसला करेंगे" जैसे नारे लगा रही है. यह शायद पहली बार है जब पीओके के लोग इतनी खुलकर पाकिस्तानी हुकूमत और फौज के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं.

पाकिस्तान सरकार का दबाव और मजबूरी

हालात बेकाबू होते देख पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि सरकार जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार है. उन्होंने एक बातचीत समिति गठित करने की घोषणा की. हालांकि, आलोचक पूछ रहे हैं कि जब जनता के आक्रोश को पहले से महसूस किया जा सकता था तो सरकार ने देर क्यों की? और क्यों तभी फौज को उतार दिया गया जब जनता ने अपनी आवाज बुलंद की? गौर करने वाली बात यह है कि बयान जारी करने के समय शहबाज शरीफ पाकिस्तान में नहीं बल्कि लंदन में छुट्टी मना रहे थे. यह भी प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और भड़का रहा है.

इंटरनेट और संचार सेवाएं बंद

प्रदर्शन को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है. बाजार, दुकानें और दफ्तर पहले से ही बंद हैं. यह लॉकडाउन जैसे हालात पैदा कर रहा है, जिससे आम जनता को दिक्कतें बढ़ गई हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंज

इस हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है. जिनेवा में चल रही यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल की 60वीं बैठक में यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने संयुक्त राष्ट्र से तुरंत दखल देने की अपील की. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हालात काबू में नहीं लाए गए तो पीओके में मानवीय संकट पैदा हो सकता है.

पाकिस्तानी सेना पर सवाल

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सेना पर अपने ही नागरिकों पर ज्यादती का आरोप लगा है. अभी पिछले हफ्ते ही खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी वायुसेना की एयरस्ट्राइक में 30 नागरिक मारे गए थे. लगातार बढ़ती बगावत और विरोध प्रदर्शन पाकिस्तानी सेना की छवि पर गहरे सवाल खड़े कर रहे हैं.

भारत के लिए संकेत?

भारत लंबे समय से कहता रहा है कि पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है. ऐसे में पीओके में पाकिस्तान के खिलाफ उठ रही आवाजें भारत की स्थिति को और मजबूत करती हैं. भारतीय विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंदोलन इस बात का प्रमाण है कि पीओके के लोग पाकिस्तान के कब्जे से नाराज और त्रस्त हैं.

फिलहाल पीओके में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. हजारों अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी गई है, लेकिन जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा. कई विश्लेषक मानते हैं कि अगर पाकिस्तान सरकार और सेना ने जल्द ही ठोस समाधान नहीं निकाला, तो यह आंदोलन एक जनांदोलन में तब्दील हो सकता है.

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