KPK शिफ्ट हो रहा आतंकी संगठन! POK से हटकर ठिकाने मजबूत करने में जुटे जैश और मुजाहिदीन; भारत के लिए क्या है नई चुनौती?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन ने अपने ठिकाने खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में स्थानांतरित किए हैं. मनसेहरा और बांदाई में नए प्रशिक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं. भर्ती अभियान और नए अलियास के साथ ये संगठन भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौती बन रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सरकारी संस्थाओं की मदद से ये समूह रणनीतिक बदलाव कर रहे हैं, जिससे भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन ने रणनीतिक बदलाव किया है. इन संगठनों ने अब अपने ठिकाने POK से खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है. खुफिया जानकारी के मुताबिक यह कदम अफगानिस्तान की सीमा के पास सुरक्षित और छिपे हुए क्षेत्रों की ओर बढ़ने का प्रयास है.
जैश-ए-मोहम्मद ने मनसेहरा में अपने प्रशिक्षण केंद्र "Markaz Shohada-e-Islam" का विस्तार तेज कर दिया है. हाल ही में इस स्थल पर निर्माण गतिविधियों और लॉजिस्टिक सपोर्ट में वृद्धि देखी गई है. यह संकेत है कि संगठन न केवल नए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर रहा है बल्कि भविष्य के आतंकवादी ऑपरेशन्स के लिए आधार मजबूत कर रहा है.
हिजबुल मुजाहिदीन का नया कैंप
हिजबुल मुजाहिदीन जिसके कमांडर पूर्व SSG कमांडो खालिद खान है.उसने खैबर पख्तूनख्वा के बांदाई में "HM-313" नामक नया प्रशिक्षण केंद्र बनाया है. भूमि अगस्त 2024 में खरीदी गई थी और मई 2025 में निर्माण कार्य शुरू हुआ. सीमा दीवारें और प्रारंभिक ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हैं. "313" का नाम ऐतिहासिक बदर गजव्वा और अल-कायदा की ब्रिगेड 313 को श्रद्धांजलि देता है.
भर्ती अभियान और नया अलियास
जैश-ए-मोहम्मद 25 सितंबर को पेशावर में "Markaz Shaheed Maksudabad" में भर्ती अभियान आयोजित करेगा. इस अवसर पर यूसुफ अजहर के सम्मान में कार्यक्रम होगा, जो मौलाना मसूद अजहर के भाई थे और ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए थे. इसी समय संगठन अपने नए नाम "al-Murabitun" (इस्लामिक भूमि के रक्षक) की घोषणा करेगा.
KPK को ही क्यों चुना गया?
खैबर पख्तूनख्वा का चुनाव किसी साधारण स्थान नहीं बल्कि रणनीतिक जरूरत के चलते किया गया है. यहां की भौगोलिक स्थिति, अफगान सीमा की निकटता और पूर्वी अफगान युद्ध के समय से बने सुरक्षित ठिकाने इसे आतंकियों के लिए आदर्श बनाते हैं. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव में पाकिस्तान की सरकारी संरचनाओं की प्रत्यक्ष और परोक्ष सहायता भी शामिल है.
जैश-ए-मोहम्मद ने की सार्वजनिक भर्ती
14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से सात घंटे पहले मनसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह में जैश-ए-मोहम्मद ने सार्वजनिक भर्ती अभियान चलाया. यह आयोजन धार्मिक सभा के रूप में दिखाया गया, लेकिन खुफिया सूत्र बताते हैं कि यह एक संगठित आतंकवादी गतिविधि थी.
इलियास कश्मीरी और संगठन का नेतृत्व
भर्ती अभियान में मौलाना मसूद अजहर के करीबी इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद की मौजूदगी भी रही. इलियास कश्मीरी KPK और कश्मीर क्षेत्र में जैश का प्रमुख है और भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए सबसे वांछित आतंकियों में शामिल है. इसने साबित कर दिया कि पाकिस्तान स्थित संगठनों की गतिविधियां राज्य की प्रत्यक्ष मदद से संचालित हो रही हैं.
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन का खैबर पख्तूनख्वा में पुनर्स्थापनात्मक कदम भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है. यह बदलाव आतंकवादियों की रणनीति में नई गहराई, जिहादी नेटवर्क का पुनर्गठन और भारतीय हिट ऑपरेशन्स से बचाव की क्षमता को दर्शाता है. सुरक्षा एजेंसियों के लिए इसे गंभीरता से मॉनिटर करना आवश्यक है.