क्या पाकिस्तान में हुआ न्यूक्लियर रेडिएशन लीक? Boron और अमेरिकी विमान की मौजूदगी ने खड़े किए सवाल; जानें पूरी Details
भारत-पाक तनाव के बीच सोशल मीडिया पर किराना हिल्स में परमाणु लीक की चर्चा ने तूल पकड़ लिया है. बांग्लादेशी पत्रकार ने परमाणु विस्फोट का दावा किया, वहीं अमेरिकी विमानों और बोरोन सप्लाई से संदेह और गहराया है. पाक सरकार अब तक चुप है, लेकिन अफवाहें अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है.

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा जोर पकड़ रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड सेंटर में किसी तरह का लीक हो रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो यह लीक ब्रह्मोस मिसाइल के एक कथित हमले का परिणाम है, जिसका निशाना न्यूक्लियर कमांड सेंटर था. इस चर्चा को और हवा तब मिली जब कुछ पाकिस्तानी नागरिकों ने भी इस दावे को समर्थन देते हुए अपनी पोस्ट्स में इस आशंका को दोहराया. हालांकि, इन तमाम दावों के समर्थन में न तो कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही किसी प्रकार का तकनीकी या अंतरराष्ट्रीय स्रोत से पुष्ट प्रमाण सामने आया है.
सीजफायर के बाद से ही इस तरह की अफवाहें समय-समय पर उठती रही हैं, लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो ने इसे और भी संजीदा बना दिया है. फिर भी, किसी भी मीडिया संगठन या सरकारी एजेंसी ने इन खबरों की पुष्टि नहीं की है. फिलहाल, ये खबरें महज अटकलों और अफवाहों पर आधारित प्रतीत होती हैं, जिनका कोई ठोस आधार सामने नहीं आया है. आइए जानते हैं कि इसकी पूरी कहानी क्या है...
बांग्लादेशी पत्रकार ने किया दावा
भारत के हमलों के बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई. क्या सरगोधा एयरबेस के पास स्थित किराना हिल्स, जहां पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार रखता है, वहां से रेडिएशन लीक हो रहा है? इस इलाके को लेकर पहले भी कई अफ़वाहें उठ चुकी हैं, लेकिन इस बार इसमें अंतरराष्ट्रीय रंग भी जुड़ गया. बांग्लादेश के पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि पाकिस्तान में परमाणु बम का विस्फोट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आबादी में बुखार, खांसी, त्वचा में जलन, सिरदर्द जैसी अजीबोगरीब बीमारियां तेजी से फैल रही हैं.
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
वहीं एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने दावा किया कि पाकिस्तानी मिलिट्री स्थानीय लोगों को चेतावनी दे रही है कि वे तुरंत इलाका खाली कर दें, या फिर रेडिएशन के कारण मरने के लिए तैयार रहें. इन दावों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है, लेकिन अब तक इन आरोपों की पुष्टि किसी स्वतंत्र स्रोत या संस्था ने नहीं की है. फिलहाल यह मामला सोशल मीडिया पर अटकलों और दावों के रूप में ही सामने आ रहा है.
क्या है किराना हिल्स?
किराना हिल्स एक कम ऊंचाई वाली पहाड़ी श्रृंखला है जिसकी चट्टानें बहुत मज़बूत हैं. 1980 के दशक में पाकिस्तान ने इसे परमाणु परीक्षण के लिए चुना था. हालांकि परीक्षण की योजना अमेरिका की आपत्तियों के चलते स्थगित हो गई, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने यहां अपने न्यूक्लियर वेपन्स का सुरक्षित भंडारण शुरू किया. जानकारों के अनुसार, इस इलाके में 50 से अधिक सुरंगें हैं, जिनमें से कुछ आपस में जुड़ी हुई हैं. ये सुरंगें तीन परतों वाले स्टील और आरसीसी से बनी हैं, जिससे ये बॉम्ब प्रूफ़ बन जाती हैं. ये रात में बनाई जाती थीं ताकि अमेरिकी उपग्रहों से बचा जा सके.
अमेरिका से लीक की पुष्टि का संदेह
भारत ने हमलों में किराना हिल्स को निशाना नहीं बनाया, लेकिन सोशल मीडिया पर इस बात को हवा मिली कि यहां से रेडिएशन लीक हो रहा है. इसी संदर्भ में Beechcraft B350 AMS विमान की पाकिस्तान में मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा. यह विमान अमेरिका के ऊर्जा विभाग का है और रेडिएशन मापने के लिए इस्तेमाल होता है. यह विमान बहुत कम ऊंचाई और धीमी गति पर उड़ान भर सकता है और इसे गामा रे सेंसर्स से लैस किया गया है. इसकी मौजूदगी से यह संदेह गहरा हुआ कि पाकिस्तान में कहीं न कहीं रेडिएशन लीक की जांच चल रही है. लेकिन एक अन्य थ्योरी यह भी आई कि यह विमान 2010 में अमेरिका ने पाकिस्तान को दे दिया था.
मिस्र से बोरोन की आपूर्ति
इसी बीच, फ्लाइट रडार पर मिस्र का एक और विमान देखा गया, जिसके जरिए बोरोन से जुड़े कंपाउंड पाकिस्तान लाए जाने की बात सामने आई. बोरोन न्यूक्लियर रिएक्शन के दौरान न्यूट्रॉन को अवशोषित करने में सहायक होता है, जिससे इसे न्यूक्लियर हादसों के दौरान नियंत्रण के लिए प्रयोग में लाया जाता है. बोरोन के रसायनिक यौगिक जैसे बोरिक एसिड और बोरोन कार्बाइड का उपयोग चेर्नोबिल और फुकुशिमा जैसी दुर्घटनाओं के समय न्यूक्लियर चेन रिएक्शन को रोकने में किया गया था.
रेडिएशन से निपटने की तैयारी
इसका प्रयोग न्यूक्लियर रिएक्टर की कंट्रोल रॉड्स में भी किया जाता है ताकि परमाणु विखंडन की गति को नियंत्रित किया जा सके. रेडिएशन थेरेपी, खासकर Boron Neutron Capture Therapy (BNCT) में भी बोरोन का उपयोग होता है, जिससे ये प्रमाणित होता है कि यह तत्व रेडिएशन नियंत्रण में कितना कारगर होता है. इससे सोशल मीडिया पर यह चर्चा और गहरा गई कि कहीं न कहीं रेडिएशन से निपटने की तैयारी चल रही है.
पाकिस्तान सरकार की चुप्पी
इतनी चर्चा के बावजूद पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. न ही रेडिएशन को लेकर कोई चेतावनी जारी की गई है. वहीं अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे संदेह और बढ़ गए हैं.
चोरी से परमाणु ताकत तक का सफर
पाकिस्तान की परमाणु क्षमता का इतिहास काफ़ी विवादास्पद रहा है. वैज्ञानिक अब्दुल क़ादिर ख़ान पर URENCO जैसी यूरोपीय कंपनियों से संवेदनशील तकनीक चुराने के आरोप हैं. उन्होंने यह तक स्वीकार किया था कि उन्होंने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया तक को परमाणु तकनीक दी, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन था.
भूकंप और परमाणु परीक्षण की अटकलें
इन सबके बीच बीते तीन दिनों में पाकिस्तान में आए 4.7, 4.0 और 4.6 तीव्रता के भूकंपों ने नई अफ़वाहों को जन्म दिया कि कहीं पाकिस्तान ने भूमिगत परमाणु परीक्षण तो नहीं कर डाला. हालांकि, भारतीय भूकंप वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया कि ये स्वाभाविक टेक्टोनिक मूवमेंट थे, जिनका परमाणु परीक्षण से कोई लेना-देना नहीं है.
परमाणु ताकत की आड़ में आतंकवाद
पाकिस्तान वर्षों से आतंकियों को पालने और भारत में आतंक फैलाने के अपने मंसूबों की ढाल परमाणु ताकत को बनाता रहा है. सीमापार हमलों और कश्मीर घाटी में हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचते हुए, वह बार-बार यह कहता आया है कि वह एक न्यूक्लियर स्टेट है, इसलिए भारत कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकता.
परमाणु घमंड की चकनाचूर तस्वीर
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' में आतंक के ठिकानों के बाद पाकिस्तानी वायुसेना के ग्यारह एयरबेस पर सटीक हमले कर उन्हें भारी नुक़सान पहुंचाया गया. भारत ने स्पष्ट कर दिया कि अब उसका संयम पाकिस्तानी परमाणु धमकियों से नहीं बंधा रहेगा. हमले के बाद सैटेलाइट तस्वीरों के ज़रिए भारत ने ये भी बताया कि कहां-कहां हमले किए गए.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
भारत ने साफ़ कर दिया कि अब वह पाकिस्तान के परमाणु धमकियों को 'न्यूक्लियर ब्लैकमेल' की तरह नहीं सहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अलग-अलग मौकों पर यह दोहराया. पहले राष्ट्र को संबोधित करते हुए और फिर आदमपुर एयरबेस से सैनिकों को संबोधित करते हुए. उनका कहना था कि आतंक और विनाश के आकाओं के प्रति अब भारत की नीति पूरी तरह स्पष्ट है. बदले का जवाब अपनी शर्तों पर, अपने समय पर मिलेगा.