12 साल में सॉफ्टवेयर, 20 में फेसबुक और अब 212 अरब डॉलर के मालिक; जानें मार्क जुकरबर्ग ने कैसे की कोडिंग क्रांति
मार्क जुकरबर्ग ने 12 साल की उम्र में पहला सॉफ्टवेयर बनाया और कॉलेज के हॉस्टल से फेसबुक की शुरुआत कर दुनिया बदल दी. तकनीक, नेतृत्व और दूरदृष्टि के बल पर उन्होंने मेटा को सोशल मीडिया साम्राज्य बनाया. सादगी, परोपकार और नवाचार से भरी उनकी यात्रा आज 212 अरब डॉलर की संपत्ति तक पहुंची.

कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती और मार्क जुकरबर्ग इसका जीवंत उदाहरण है. 14 मई 1984 को न्यूयॉर्क के व्हाइट प्लेन्स में जन्मे मार्क बचपन से ही तकनीक के प्रति विशेष आकर्षण रखते थे. उनके पिता एडवर्ड जुकरबर्ग डेंटिस्ट और मां करेन कैंपर मनोवैज्ञानिक थीं. घर में पढ़ाई और अनुशासन का माहौल था, लेकिन मार्क का झुकाव बचपन से ही कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग की तरफ था. महज़ 12 साल की उम्र में उन्होंने BASIC भाषा में एक सॉफ्टवेयर तैयार किया, जिसे उन्होंने 'जुकनेट' नाम दिया. यह सॉफ्टवेयर उनके पिता के डेंटल क्लिनिक और घर के बीच इंट्रानेट कम्युनिकेशन का माध्यम बना. एक आम किशोर जब खिलौनों से खेलता है, उस उम्र में मार्क कंप्यूटर से कोडिंग कर रहे थे.
मार्क की प्रारंभिक शिक्षा अर्ड्सले हाई स्कूल में हुई, जहां उन्होंने सामान्य लेकिन तकनीकी दृष्टि से बहुत तेज़ प्रदर्शन किया. बाद में उन्हें फिलिप्स एक्सेटर एकेडमी में दाखिला मिला, जो अमेरिका की प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूलों में से एक है. वहां वो न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल रहे, बल्कि फेंसिंग टीम के कप्तान भी बने. यह एक संकेत था कि मार्क में नेतृत्व की क्षमता थी, जो आगे चलकर तकनीकी दुनिया में उनका मार्ग प्रशस्त करने वाली थी. 2002 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी और कंप्यूटर साइंस की डिग्री के लिए प्रवेश लिया. हार्वर्ड में पढ़ाई के दौरान उन्होंने कई छोटे-मोटे प्रोजेक्ट बनाए, जिनमें से एक था ‘कोर्समैच’, जिससे छात्र अपने कोर्स और टीचर्स की तुलना कर सकते थे.
फेसबुक का विचार
मार्क ने हार्वर्ड के हॉस्टल रूम में एक ऐसा विचार पनपाया, जिसने इंटरनेट की दिशा ही बदल दी. 2003 में उन्होंने एक साइट बनाई 'फेसमैश', जहां कॉलेज के छात्रों की तस्वीरों की रेटिंग की जाती थी. यह साइट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई, लेकिन यह प्रोजेक्ट विवादों में आ गया और कॉलेज प्रशासन ने इसे बंद करवा दिया. हालांकि इसी अनुभव ने जुकरबर्ग को यह एहसास दिलाया कि लोग अपने डिजिटल पहचान को लेकर बहुत गंभीर हैं. 2004 में मार्क ने अपने दोस्तों डस्टिन मॉस्कोविट्ज़, क्रिस ह्यूज और एडुआर्डो सवेरिन के साथ मिलकर ‘TheFacebook.com’ की शुरुआत की. यह साइट शुरू में सिर्फ हार्वर्ड के छात्रों के लिए बनी थी, जहां वे अपनी प्रोफाइल बनाकर एक-दूसरे से जुड़ सकते थे.
जब फेसबुक बनी कंपनी
फेसबुक की लोकप्रियता इतनी तेज़ी से बढ़ी कि उसे हार्वर्ड से बाहर दूसरे विश्वविद्यालयों में भी फैलाना पड़ा. इसके लिए सर्वर, बैंडविड्थ और संसाधनों की जरूरत थी, जिसके लिए एडुआर्डो सवेरिन ने लगभग 15,000 डॉलर का शुरुआती निवेश किया. 2004 में इस प्रोजेक्ट को औपचारिक रूप से कंपनी का रूप दिया गया और मार्क जुकरबर्ग इसके सीईओ बने. धीरे-धीरे यह साइट अमेरिका के लगभग सभी कॉलेजों में फैल गई और फिर आम जनता के लिए भी उपलब्ध कर दी गई. 2005 में इसका नाम बदलकर सिर्फ ‘Facebook’ कर दिया गया और फेसबुक डॉट कॉम डोमेन नाम 2 लाख डॉलर में खरीदा गया. जुकरबर्ग ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और पूरी तरह से कंपनी को समर्पित कर दिया.
अरबपति बनने की कहानी
जैसे-जैसे फेसबुक का विस्तार हुआ, वैसे-वैसे इसे खरीदने की कोशिशें भी तेज़ हुई. 2006 में याहू ने इसे 1 बिलियन डॉलर में खरीदने की पेशकश की, जिसे मार्क ने ठुकरा दिया. उनका विश्वास था कि फेसबुक की वैल्यू इससे कहीं ज्यादा है. इसी आत्मविश्वास के चलते उन्होंने 2012 में फेसबुक को IPO (Initial Public Offering) के जरिए सार्वजनिक किया. उसी वर्ष उन्होंने व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म का अधिग्रहण किया, जिनके लिए उन्होंने क्रमशः 19 बिलियन और 1 बिलियन डॉलर खर्च किए. इन रणनीतिक निर्णयों ने मेटा (पहले फेसबुक इंक) को सोशल मीडिया साम्राज्य में तब्दील कर दिया.
कमाल की है लव स्टोरी
मार्क जुकरबर्ग और प्रिसिला चान की प्रेम कहानी भी उतनी ही सादगी और स्थिरता भरी है. दोनों की मुलाकात हार्वर्ड में हुई थी और करीब 8 साल तक साथ रहने के बाद 2012 में उन्होंने शादी कर ली. यह शादी एक आश्चर्यजनक समारोह में हुई जहां मेहमानों को लगा था कि वे प्रिसिला की ग्रेजुएशन पार्टी में जा रहे हैं. अब उनके दो बच्चे हैं और दोनों मिलकर ‘चान-जुकरबर्ग इनिशिएटिव’ नामक परोपकारी संस्था भी चलाते हैं, जिसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी समावेशिता को बढ़ावा देना है.
बेटी के जन्म पर दान किया 450 करोड़ डॉलर
अरबों डॉलर की संपत्ति होने के बावजूद मार्क जुकरबर्ग सादगी पसंद करते हैं. वह साधारण ग्रे टी-शर्ट और जींस पहनते हैं, और उनका कहना है कि वे अपने कपड़े चुनने में समय नहीं गंवाना चाहते, ताकि ज्यादा फोकस सामाजिक बदलाव पर हो. 2013 में उन्होंने अपनी सैलरी घटाकर महज़ 1 डॉलर कर दी थी ताकि कंपनी का पैसा शोध व विकास में लगे. 2015 में बेटी मैक्सिमा के जन्म पर उन्होंने अपने व्यक्तिगत फेसबुक शेयरों का 99% हिस्सा करीब 450 करोड़ डॉलर दान करने की घोषणा की. ये सभी पहलू उनके नेतृत्व और सोच की उदारता को दर्शाते हैं.
212 अरब डॉलर की है संपत्ति
फेसबुक के सामने समय-समय पर कई चुनौतियां आई हैं. प्राइवेसी लीक, चुनावों में हस्तक्षेप के आरोप, फेक न्यूज का फैलाव, और यूज़र डेटा की निगरानी. मार्क ने हमेशा इन आरोपों का सामना किया और संसदों के सामने पेश होकर जवाब दिए. आज मेटा, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की पैरेंट कंपनी है, दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है. जुकरबर्ग 212 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं.