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Mars Reconnaissance Orbiter: 20 साल, 1 लाख तस्वीरें और मंगल का सच - NASA ने रच दिया इतिहास, HiRISE बना मंगल की आंख

NASA के Mars Reconnaissance Orbiter के शक्तिशाली HiRISE कैमरे ने मंगल की सतह की 1 लाखवीं हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीर खींचकर इतिहास रच दिया है. लगभग 20 साल से सक्रिय यह मिशन मंगल की बदलती भू-आकृति, रेत के टीले, पहाड़नुमा संरचनाओं और भूस्खलन जैसी गतिविधियों को रिकॉर्ड कर रहा है. यह ऐतिहासिक तस्वीर Syrtis Major क्षेत्र की है, जो Jezero Crater के पास स्थित है, जहां Perseverance Rover खोज अभियान में जुटा है.

Mars Reconnaissance Orbiter: 20 साल, 1 लाख तस्वीरें और मंगल का सच - NASA ने रच दिया इतिहास, HiRISE बना मंगल की आंख
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( Image Source:  nasa.gov )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 21 Dec 2025 10:40 AM

लगभग दो दशकों से मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहा NASA का Mars Reconnaissance Orbiter (MRO) अब इतिहास रच चुका है. इस मिशन के सबसे ताकतवर कैमरे HiRISE (High Resolution Imaging Science Experiment) ने मंगल की सतह की 1 लाखवीं हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीर खींच ली है.

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यह सिर्फ एक तस्वीर नहीं, बल्कि लाल ग्रह को समझने की इंसानी जिद, वैज्ञानिक धैर्य और भविष्य की अंतरग्रहीय योजनाओं का ठोस सबूत है.

20 साल, 1 लाख तस्वीरें और अनगिनत राज़

2006 में मंगल की कक्षा में पहुंचा MRO तब से लगातार ग्रह की बारीकियों को कैद कर रहा है. HiRISE कैमरा इतना शक्तिशाली है कि यह मंगल पर एक टेबल जितनी छोटी वस्तु को भी साफ-साफ देख सकता है. अब तक इस कैमरे ने क्रेटर, रेत के टीले (Sand Dunes), बर्फ की परतें, भूस्खलन और संभावित लैंडिंग साइट्स जैसी हजारों संरचनाओं की तस्वीरें ली हैं. NASA के वैज्ञानिकों के मुताबिक, HiRISE की ये तस्वीरें सिर्फ देखने के लिए नहीं होतीं, बल्कि इन्हीं के आधार पर मंगल पर रोवर उतारने, मानव मिशन की योजना बनाने और ग्रह के अतीत को समझने का काम किया जाता है.

1 लाखवीं तस्वीर में क्या है खास?

यह ऐतिहासिक तस्वीर 7 अक्टूबर को ली गई थी. इसमें मंगल के Syrtis Major क्षेत्र की झलक है, जहां ऊंचे-ऊंचे Mesas (समतल पहाड़) और उनके बीच फैले रेत के विशाल टीले दिखाई दे रहे हैं. यह इलाका Jezero Crater से करीब 80 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है, जहां इस वक्त NASA का Perseverance Rover प्राचीन जीवन के संकेत तलाश रहा है. वैज्ञानिक इस तस्वीर के जरिए यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि हवा से उड़कर आने वाली रेत आखिर कहां से आती है, कैसे वह इन इलाकों में फंसती है और समय के साथ विशाल रेत के टीलों में बदल जाती है.

मंगल: स्थिर नहीं, लगातार बदलता ग्रह

NASA की जेट प्रोपल्शन लैब की प्रोजेक्ट साइंटिस्ट लेस्ली टैम्पारी कहती हैं, “HiRISE ने सिर्फ यह नहीं दिखाया कि मंगल की सतह पृथ्वी से कितनी अलग है, बल्कि यह भी साबित किया कि मंगल एक जीवंत ग्रह है, जो समय के साथ बदलता रहता है.” HiRISE ने मंगल पर हवा के साथ सरकते रेत के टीले, खड़ी ढलानों से गिरते हिमस्खलन जैसे भूस्खलन और मौसम से होने वाले बदलावों को भी रिकॉर्ड किया है. यानी मंगल कोई जमी हुई, मृत दुनिया नहीं, बल्कि एक सक्रिय ग्रह है.

एक छात्र की पसंद बनी ऐतिहासिक तस्वीर

इस 1 लाखवीं तस्वीर की एक और खास बात है. इसका सुझाव किसी बड़े वैज्ञानिक ने नहीं, बल्कि एक हाई स्कूल के छात्र ने दिया था. NASA की HiWish वेबसाइट के जरिए दुनिया का कोई भी व्यक्ति मंगल के किसी हिस्से की स्टडी के लिए सुझाव दे सकता है. यही सुझाव टीम को इतना पसंद आया कि वह इतिहास का हिस्सा बन गया. यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना की टीम, जो HiRISE कैमरे को ऑपरेट करती है, इन तस्वीरों से 3D मॉडल और वर्चुअल फ्लाईओवर वीडियो भी बनाती है, ताकि आम लोग भी मंगल की सतह को “उड़ते हुए” महसूस कर सकें.

मंगल अब रहस्यमयी नहीं, परिचित होता ग्रह

HiRISE के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर शेन बर्न कहते हैं, “तेज़ी से डेटा रिलीज़ करना और आम लोगों के सुझाए टारगेट्स की इमेजिंग करना HiRISE की पहचान रही है. 1 लाख तस्वीरों ने मंगल को हर इंसान के लिए ज्यादा परिचित और सुलभ बना दिया है.” यही वजह है कि आज मंगल सिर्फ वैज्ञानिकों की प्रयोगशाला तक सीमित नहीं, बल्कि छात्रों, शोधकर्ताओं और आम लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बन चुका है.

भविष्य की मानव उड़ानों की नींव

MRO और HiRISE का सबसे बड़ा योगदान भविष्य में होने वाले मानव मिशनों की तैयारी है. मंगल पर इंसान को उतारने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि कहां उतरना सुरक्षित होगा, कहां बर्फ या पानी के संकेत हैं और किन इलाकों में खतरा ज्यादा है. HiRISE की तस्वीरें इन सभी सवालों का जवाब देती हैं.

1 लाखवीं तस्वीर सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह संदेश है कि इंसान की नजर अब मंगल की हर धड़कन पर है. आने वाले वर्षों में यही कैमरा, यही मिशन, मंगल के और गहरे रहस्य खोलेगा - और शायद उस दिन की नींव रखेगा, जब इंसान पहली बार लाल ग्रह की मिट्टी पर अपने कदम रखेगा.

नासा
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