कनाडा में लिबरल लहर... मार्क कार्नी बने नए प्रधानमंत्री, ट्रंप समर्थक पोइलिवरे को चटाई धूल
कनाडा के आम चुनाव में पूर्व बैंकर और ट्रंप विरोधी मार्क कार्नी ने पियरे पोइलिवरे को हराकर प्रधानमंत्री पद हासिल किया. कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी कर इतिहास रच दिया. ट्रंप की नीतियों के खिलाफ आक्रामक प्रचार करते हुए कार्नी ने आर्थिक स्थिरता और कनाडा की स्वतंत्र पहचान को प्राथमिकता देने का वादा कर मतदाताओं का दिल जीता.

कनाडा की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है. पूर्व बैंकर और धुर ट्रंप विरोधी मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद का चुनाव जीत लिया है.कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी कर इतिहास रच दिया. सरकारी प्रसारकों CBC और CTV न्यूज के अनुसार, लिबरल पार्टी ने पियरे पोइलिवरे की कंजरवेटिव पार्टी को कड़े मुकाबले में हराया. इस जीत के साथ मार्क कार्नी ने कनाडा में अपने सशक्त नेतृत्व का पहला बड़ा परिचय दिया.
मार्क कार्नी का राजनीतिक सफर अपेक्षाकृत नया है, लेकिन उन्होंने कम समय में लिबरल पार्टी को एकजुट कर मजबूती से चुनावी मैदान में उतारा. दूसरी ओर, उनके प्रतिद्वंदी पियरे पोइलिवरे दो दशकों से हाउस ऑफ कॉमन्स का हिस्सा रहे हैं और खासे अनुभवी नेता माने जाते हैं. कार्नी ने अपने चुनाव प्रचार में खुद को एक आर्थिक संकट प्रबंधक के रूप में पेश किया और वादा किया कि वे कनाडा को ट्रंप की टैरिफ नीतियों और अमेरिकी विस्तारवाद से सुरक्षित रखेंगे.
कनाडा को चाहिए मजबूत और स्वतंत्र नेतृत्व
कार्नी की यह जीत केवल राजनीतिक बदलाव नहीं है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी है कि कनाडा की जनता अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ एक मजबूत और स्वतंत्र नेतृत्व चाहती है. जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी को मिली यह सफलता मार्क कार्नी की रणनीति और उनके आर्थिक विजन पर जनता के भरोसे का नतीजा है. अब कनाडा में एक नई राजनीतिक दिशा की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें आर्थिक स्थिरता और वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र पहचान बनाए रखने को प्राथमिकता दी जाएगी.
ट्रम्प की वजह से हुआ फायदा
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा की अर्थव्यवस्था पर हमला करना शुरू किया, तो लिबरल पार्टी के लिए राजनीतिक माहौल प्रतिकूल हो गया. ट्रंप के इन हमलों ने कनाडाई नागरिकों को उत्तेजित किया और राष्ट्रवाद का उभार देखा गया. इसके बाद लिबरल पार्टी ने चुनावी मैदान में वापसी की. विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पॉइलिवर का मानना था कि यह चुनाव प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए जनमत संग्रह साबित होगा, क्योंकि उनके कार्यकाल के अंत में खाद्यान्न और आवास की कीमतों में वृद्धि के कारण उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई थी. ट्रंप के हमले और ट्रूडो के इस्तीफे के बाद, केंद्रीय बैंकर रहे कार्नी ने लिबरल पार्टी की कमान संभाली और प्रधानमंत्री बनने की ओर कदम बढ़ाए.