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Iran Israel War: मंडरा रहा महंगाई का बड़ा खतरा, भारत समेत दुनिया के देशों को करना होगा इन संकटों का सामना

Iran Israel War Effect: ICRA पूर्वानुमान के अनुसार अगर होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते से तेल और गैस की सप्लाई में रुकावट आती है तो तेल आयात बिल, चालू खाता घाटे के साथ प्राइवेट सेक्टर का निवेश रुक सकता है. कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ी तो भारत का तेल आयात बिल 13 से 14 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है.

Iran Israel War: मंडरा रहा महंगाई का बड़ा खतरा, भारत समेत दुनिया के देशों को करना होगा इन संकटों का सामना
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Iran Israel War News: ईरान इजरायल युद्ध की वजह से बढ़ते तनाव के बीच न केवल दोनों की घरेलू अर्थव्यवस्थाएं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका असर दिखने लगा है. अब तो इसका असर भारतीय रुपये पर भी दिखने लगा है. वैश्विक स्तर पर कारोबार में अस्थिरता का दौर शुरू हो गया है. युद्ध के चलते पिछले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल के दाम में एक ही दिन में पिछले तीन साल की सबसे बड़ी तेजी आई.

अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध लंबा चला तो यह संकट और गहरा सकता है. ऐसे में आगे और क्या हो सकता असर, 6 प्वाइंट्स में जाने सब कुछ.

1. क्रूड शिपमेंट में आई कमी

कुल क्रूड ऑयल की ग्लोबल डिमांड का 2 फीसदी ईरान से आता है. करीब 90 प्रतिशत तेल खरग द्वीप से बाहर भेजा जाता है. युद्ध की वजह से इसमें कमी आई है. इसके पीछे वजह ईरान द्वारा खरग द्वीप टर्मिनल की परिधि को युद्ध की वजह से खाली करना है. बता दें कि होर्मुज जलडमरूमध्य से वैश्विक तेल शिपमेंट का लगभग 20 प्रतिशत ऑयल बाहर भेजा जाता है.

2. ईरान तेल सप्लाई रोक सकता है

इजरायल-अमेरिकी दबाव बढ़ने पर ईरान तेल सप्लाई रोक सकता है. खाड़ी के दूसरे तेल उत्पादक देश भी ईरानी मिसाइलों की पहुंच में हैं. वह उनको भी निशाना बना सकता है. ऐसा होने पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.

3. सऊदी और यूएई पर बढ़ेगी निर्भरता

ईरान की ओर से सप्लाई रुकने की स्थिति में दुनिया की निर्भरता सऊदी अरब और UAE पर बढ़ेगी. दुनिया के देश सऊदी अरब से तेल की सप्लाई बढ़ाने की मांग करेंगे. दोनों देश की 30 से 40 लाख बैरल अतिरिक्त क्रूड ऑयल का प्रतिदिन उत्पादन करने की क्षमता है. सऊदी अरब दुनिया का एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है और 2024 में सऊदी अरामको का तेल उत्पादन 12.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन था, लेकिन डिमांड ज्यादा बढ़ने पर उसे पूरा कर पाएगा या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है.

4. तेल की कीमतों में 20 फीसदी उछाल आने की संभावना

ईरान और इजरायल के बीच पूर्ण युद्ध के हालात में ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है. इससे दुनिया की 20 प्रतिशत नेचुरल गैस और एक तिहाई तेल ट्रांसपोर्ट होता है. यह मार्ग युद्ध की वजह से प्रभावित हुआ तो कच्चे तेल में 20% तक उछाल आ सकता है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार इराक, सऊदी अरब, कुवैत और यूएई से आने वाला कच्चा तेल भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 45 से 50 फीसदी है.

5. युद्ध का भारत पर कितना होगा असर?

दरअसल, इंडिया अपनी जरूरत का 85 से 88 फीसदी तेल बाहर से खरीदता है. साल 2023-24 में सबसे ज्यादा खरीद इराक, सऊदी अरब, रूस और यूएई से की थी. ICRA पूर्वानुमान के अनुसार अगर होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते से तेल और गैस की सप्लाई में रुकावट आती है तो भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावना है. तेल आयात बिल और चालू खाता घाटे के साथ प्राइवेट सेक्टर का निवेश रुक सकता है. अगर कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ती है तो भारत का तेल आयात बिल 13 से 14 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है.

6. निवेश को कैसे सुरक्षित रखें

ईरान इजरायल युद्ध को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच निवेशक पोर्टफोलियो विविधीकरण के माध्यम से निवेशक अपने कारोबार को संतुलित कर सकता है. ग्रिप मार्केटप्लेस ऐसे ही एक सुरक्षित-हेवन में निवेश करने में सहायता कर सकता है, जो एक बॉन्ड है. यह एक द्वितीयक बॉन्ड ट्रेडिंग प्लेटफार्म है जहां निवेश कम परिपक्वता अवधि वाले विभिन्न बॉन्ड का चयन कर सकते हैं.

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