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क्या अब बांग्लादेश में हिंदू सुरक्षित? दुर्गा मंदिर टूटने पर भारत ने यूनुस सरकार को दी चेतावनी, कहा- हिंदुओं की रक्षा अब...

यह घटनाक्रम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के एक बयान के कुछ हफ्ते बाद आया है, जिसमें उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत को “लैंडलॉक्ड” यानी भूमि से घिरा हुआ बताया था.

क्या अब बांग्लादेश में हिंदू सुरक्षित? दुर्गा मंदिर टूटने पर भारत ने यूनुस सरकार को दी चेतावनी, कहा- हिंदुओं की रक्षा अब...
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 27 Jun 2025 7:50 AM

भारत सरकार ने गुरुवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक दुर्गा मंदिर को तोड़े जाने की घटना पर गहरी 'निराशा' व्यक्त करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस घटना को “चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह हिंदू समुदाय, उनकी संपत्तियों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

विदेश मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, चरमपंथी तत्वों ने ढाका के खिलखेत इलाके में स्थित एक दुर्गा मंदिर को निशाना बनाया. रणधीर जायसवाल ने कहा कि मंदिर पर हमले की योजना के बावजूद बांग्लादेश की अस्थायी सरकार ने इसे केवल 'अवैध भूमि अतिक्रमण' का मामला बताते हुए इसे गंभीर धार्मिक हमला मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से मंदिर को सुरक्षा देने की बजाय इसे हटाने की अनुमति दे दी गई, और इसी के चलते मंदिर के भीतर स्थापित देवी-देवताओं को स्थानांतरित किए जाने से पहले ही मूर्तियों को नुकसान पहुंचा.

हिंदुओं की सुरक्षा

जायसवाल ने इस पर गहरा अफसोस जताते हुए कहा, 'हम इस बात से बेहद निराश हैं कि बांग्लादेश में इस प्रकार की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. हम एक बार फिर यह दोहराना चाहते हैं कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे.'

बांग्लादेश के उत्पादों पर प्रतिबंध

मंदिर विवाद के साथ-साथ भारत ने बांग्लादेश के साथ व्यापार संबंधों में उत्पन्न तनाव पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है. रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत द्वारा मई 2024 में बांग्लादेश से आने वाले कुछ उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए गए थे. ये प्रतिबंध एक पारस्परिक कदम थे, जो बांग्लादेश द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाई गई गैर-टैरिफ बाधाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप उठाए गए. भारत ने जिन उत्पादों पर बंदरगाह प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें रेडीमेड गारमेंट्स, लकड़ी का फर्नीचर, प्लास्टिक उत्पाद, जूस, बेकरी और कन्फेक्शनरी आइटम, तथा सूती धागा जैसे मुख्य वस्त्र शामिल हैं.

क्यों लिया यह फैसला

अब इनका निर्यात केवल कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों के माध्यम से ही भारत में किया जा सकेगा. असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और उत्तरी बंगाल जैसे क्षेत्रों में स्थित भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (Land Customs Stations) पर इन बांग्लादेशी उत्पादों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला पारस्परिकता, निष्पक्षता और समान व्यवहार की खोज पर आधारित था, और यह लंबे समय से उठाए जा रहे लेकिन अनसुलझे मुद्दों की पृष्ठभूमि में लिया गया.

बयान से विवाद

यह घटनाक्रम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के एक बयान के कुछ हफ्ते बाद आया है, जिसमें उन्होंने उत्तर-पूर्व भारत को “लैंडलॉक्ड” यानी भूमि से घिरा हुआ बताया था और कहा था कि इस क्षेत्र के पास बंगाल की खाड़ी तक पहुंच का कोई रास्ता नहीं है. इस बयान को भारत में कई हलकों ने आलोचना के रूप में देखा, और यह दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे कूटनीतिक तनाव को और गहरा कर गया.

गंगा जल संधि पर भारत का रुख

भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में हुई ऐतिहासिक गंगा जल संधि 2026 में समाप्त हो रही है. इस संदर्भ में जब विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो प्रवक्ता ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच गंगा समेत कुल 54 नदियों को साझा किया जाता है। जल सहयोग को लेकर संयुक्त नदी आयोग (Joint Rivers Commission) के माध्यम से बातचीत होती है और भारत इस मुद्दे पर गंभीरता से राज्यों व संबंधित विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करता है. रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हम ऐसे वातावरण में संवाद के लिए तैयार हैं, जहां पारस्परिक हितों को देखते हुए रचनात्मक और संतुलित बातचीत हो सके.'

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