आतंक के संरक्षकों को बख्शेंगे नहीं... चीन में सामने बैठा था पाक, भारत ने ऐसे लगाई लताड़- 10 Pointers
चीन के क़िंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने वैश्विक अस्थिरता, आतंकवाद और बहुपक्षीय सहयोग की गिरती व्यवस्था पर चिंता जताई. उन्होंने पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का ज़िक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद और शांति एक साथ संभव नहीं. उन्होंने SCO से दोहरे मानदंडों को त्यागने की अपील की.

चीन के क़िंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद, वैश्विक अस्थिरता और बहुपक्षीय सहयोग की कमजोर होती प्रणाली को लेकर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने वैश्विक व्यवस्था में आ रहे बदलावों और कट्टरपंथ के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता जताई. साथ ही बेलारूस के SCO में नए सदस्य के रूप में शामिल होने पर बधाई दी और आयोजन के लिए चीन का आभार जताया.
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत का मानना है कि पुनःसुधारित बहुपक्षीयता (Reformed Multilateralism) ही दुनिया को सामूहिक लाभ और सहयोग के रास्ते पर ले जा सकती है. उन्होंने कहा कि कोई भी देश, चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों न हो, अकेले वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकता. उन्होंने भारतीय संस्कृति का हवाला देते हुए 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' की भावना को SCO के दृष्टिकोण से जोड़ते हुए शांति और सहयोग पर ज़ोर दिया. दिलचस्प बात ये रही कि इस समिट में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी शामिल थे.
राजनाथ सिंह के संबोधन की बड़ी बातें
- वैश्विक अस्थिरता और बहुपक्षीयता की कमजोरी पर चिंता: राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण की जो लहर देशों को जोड़ रही थी, वह अब धीमी हो गई है. बहुपक्षीय संस्थानों की ताकत कम हुई है, जिससे शांति, सुरक्षा और आर्थिक पुनर्निर्माण जैसी समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं.
- पुनःसुधारित बहुपक्षीयता की आवश्यकता: भारत का मानना है कि सुधारवादी बहुपक्षीय ढांचा देशों के बीच टकराव रोकने में मदद कर सकता है. संवाद और सहयोग की व्यवस्था स्थापित कर संघर्ष से बचा जा सकता है.
- कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद को बताया मुख्य चुनौती: रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या शांति, सुरक्षा और भरोसे की कमी है, जिसके मूल में बढ़ती कट्टर सोच और आतंकवाद है. जब तक आतंकवाद रहेगा, शांति और समृद्धि साथ-साथ नहीं चल सकते.
- दोहरा मापदंड अपनाने वाले देशों पर निशाना: राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को विदेश नीति के औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और आतंकियों को पनाह दे रहे हैं. SCO को ऐसे देशों के खिलाफ खुलकर बोलना चाहिए और दोहरे मापदंडों की आलोचना करनी चाहिए.
- पाहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र: उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र किया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी. हमले के पीछे 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' था, जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है.
- ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ: राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने आत्मरक्षा और भविष्य के हमलों को रोकने के लिए 7 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर सफल कार्रवाई की. यह भारत का वैधानिक अधिकार है.
- आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति: उन्होंने कहा कि आतंकवाद चाहे किसी भी कारण से हो, वह एक अपराध है और उसे किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. SCO देशों को इसे लेकर स्पष्ट और कठोर रुख अपनाना होगा.
- आतंकी संगठनों के मददगारों को सज़ा दिलाने की मांग: सिंह ने कहा कि जो आतंकियों को संगठित करते हैं, फंडिंग करते हैं या संरक्षण देते हैं, उन्हें सज़ा दिलाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. आतंकवाद को खत्म करने के लिए एकजुटता आवश्यक है.
- अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर जोर: उन्होंने बताया कि भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के पक्ष में हमेशा खड़ा रहा है. भारत अफगानिस्तान का सबसे बड़ा क्षेत्रीय विकास साझेदार है और वहां क्षमता निर्माण की परियोजनाएं चला रहा है.
- भारतीय मूल्यों को वैश्विक दृष्टिकोण से जोड़ा: अपने भाषण का समापन करते हुए राजनाथ सिंह ने भारतीय संस्कृति की सार्वभौमिक सोच का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि 'सर्वे जना सुखिनो भवन्तु' का भावनात्मक दृष्टिकोण हमें वैश्विक सहयोग और शांति की दिशा में प्रेरित करता है.