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चीन से दोस्ती, भारत से दुश्मनी, चिकन नेक पर विवाद; बांग्लादेश के लिए कैसा होगा साल 2026?

साल 2026 बांग्लादेश के लिए बड़े राजनीतिक और कूटनीतिक बदलाव लेकर आ सकता है. Bangladesh में चुनावी माहौल, China के साथ बढ़ती नजदीकी, India से बिगड़ते रिश्ते और ‘चिकन नेक’ जैसे संवेदनशील मुद्दे क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रहे हैं. शेख हसीना फैक्टर, अल्पसंख्यकों पर हमले और भारत विरोधी राजनीति ने हालात और जटिल बना दिए हैं. 2026 में ढाका किस दिशा में जाएगा, इस पर पूरी दुनिया की नजर है.

चीन से दोस्ती, भारत से दुश्मनी, चिकन नेक पर विवाद; बांग्लादेश के लिए कैसा होगा साल 2026?
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 31 Dec 2025 2:45 PM

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कभी कारोबार, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी की मिसाल माने जाते थे. लेकिन 2024 के मध्य से लेकर 2025 के अंत तक हालात तेजी से बदले. शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद ढाका की सड़कों पर भारत विरोधी नारे, राजनीतिक अस्थिरता और अल्पसंख्यकों पर हमलों ने भरोसे की नींव हिला दी. 2026 की शुरुआत बांग्लादेश के लिए इसी तनावपूर्ण माहौल में होती दिख रही है.

अंतरिम सरकार के दौर में बांग्लादेश का झुकाव खुलकर चीन की ओर नजर आया. सर्वे रिपोर्ट्स बताती हैं कि ढाका में चीन की छवि भारत से कहीं ज्यादा सकारात्मक हो चुकी है. पाकिस्तान और तुर्किए के साथ भी रिश्तों को नई धार देने की कोशिशें दिखीं. यह बदलाव संकेत देता है कि 2026 में बांग्लादेश अपनी विदेश नीति में भारत-केंद्रित सोच से हटकर नया संतुलन खोजने की कोशिश करेगा.

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शेख हसीना फैक्टर और भारत की दुविधा

शेख हसीना का भारत में रहना ढाका-दिल्ली रिश्तों की सबसे संवेदनशील कड़ी बन चुका है. बांग्लादेशी अदालत का सख्त रुख और भारत की रणनीतिक मजबूरी दोनों के बीच फंसा यह मुद्दा 2026 में भी गरम रहने वाला है. भारत के पास प्रत्यर्पण, यथास्थिति बनाए रखने या किसी तीसरे देश का विकल्प तीनों ही रास्ते जोखिम से भरे हैं.

भारत विरोधी राजनीति और ‘India Out’ नैरेटिव

2025 में भारत विरोधी ताकतों को सड़कों और सोशल मीडिया पर खुली जगह मिली. ‘India Out’ जैसे अभियानों ने आम जनमानस को भी प्रभावित किया. नए छात्र-नेतृत्व वाले दलों और कट्टर बयानों ने संकेत दिया कि 2026 का चुनावी साल भारत विरोध को एक मजबूत राजनीतिक हथियार बना सकता है.

चिकन नेक विवाद और सुरक्षा चिंता

सिलीगुड़ी कॉरिडोर यानी ‘चिकन नेक’ पर दिए गए बयानों ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और गहरा कर दिया. भारत के पूर्वोत्तर को अलग-थलग करने जैसी धमकियां सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि क्षेत्रीय अस्थिरता की ओर इशारा करती हैं. 2026 में यह मुद्दा भारत-बांग्लादेश रिश्तों का सबसे संवेदनशील सुरक्षा आयाम बन सकता है.

अल्पसंख्यकों पर हमले और अंतरराष्ट्रीय दबाव

हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं ने बांग्लादेश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाया. भारत में इन घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन और कूटनीतिक बयानबाजी तेज हुई. 2026 में ढाका पर मानवाधिकार और आंतरिक सुरक्षा को लेकर वैश्विक दबाव बढ़ने की संभावना है.

BNP का उभार

फरवरी 2026 के आम चुनाव बांग्लादेश की दिशा तय करेंगे. बीएनपी की मजबूत स्थिति को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि सत्ता परिवर्तन हुआ तो भारत के साथ रिश्तों में और ठंडापन आ सकता है. अतीत में बीएनपी शासन के दौरान पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ा था. यह स्मृति भारत के रणनीतिक हलकों में चिंता बढ़ाती है.

2026: अनिश्चितता, जोखिम और नए समीकरण

विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 बांग्लादेश के लिए ‘गायब साल’ रहा, जहां स्पष्ट विदेश नीति नहीं दिखी. 2026 में चुनाव, चीन के साथ नजदीकी, भारत से टकराव और आंतरिक अस्थिरता ये चारों फैक्टर मिलकर बांग्लादेश के भविष्य को तय करेंगे. सवाल यही है कि ढाका संतुलन साधेगा या टकराव की राह पर आगे बढ़ेगा.

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