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रिटायरमेंट से ठीक पहले झारखंड की डीजीपी बनीं तदाशा मिश्रा, राज्य सरकार ने बदले कौन से नियम?

झारखंड सरकार ने 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को राज्य का नियमित डीजीपी नियुक्त किया है. रिटायरमेंट से पहले उन्हें डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने छह महीने की सेवा अवधि वाले नियम में संशोधन किया. अब तदाशा मिश्रा 2027 तक दो साल के तय कार्यकाल के लिए डीजीपी रहेंगी. सरकार के इस फैसले को पुलिस सुधार और नक्सल विरोधी अभियानों के लिहाज से अहम माना जा रहा है.

रिटायरमेंट से ठीक पहले झारखंड की डीजीपी बनीं तदाशा मिश्रा, राज्य सरकार ने बदले कौन से नियम?
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( Image Source:  X/@airnews_ranchi )

Tadasha Mishra Jharkhand New DGP: झारखंड को नया नियमित पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मिल गया है. हेमंत सोरेन की सरकार ने 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को झारखंड का डीजीपी नियुक्त किया है. इससे पहले वह राज्य की प्रभारी डीजीपी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रही थीं. गौर करने वाली बात यह है कि तदाशा मिश्रा 31 दिसंबर को ही रिटायर होने वाली थीं, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने उन्हें नियमित डीजीपी बनाए जाने का फैसला लिया. सरकार ने उन्हें 6 नवंबर को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया था, यानी रिटायरमेंट से महज 55 दिन पहले उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

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ऐसे में यह माना जा रहा था कि झारखंड को कोई और अधिकारी नियमित डीजीपी के रूप में मिलेगा, क्योंकि राज्य की नियमावली के अनुसार डीजीपी पद के लिए रिटायरमेंट से कम से कम छह महीने पहले तक सेवा शेष होना अनिवार्य था. हालांकि, तदाशा मिश्रा को डीजीपी बनाने के लिए राज्य सरकार ने इसी नियमावली में संशोधन किया, जिसके बाद उनके नाम पर अंतिम मुहर लगी.



सरकार ने नियम में किया बदलाव

दरअसल, डीजीपी पद के लिए न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा अवधि का नियम पहले से लागू था. सरकार ने इस नियम को बदलते हुए तदाशा मिश्रा की नियुक्ति का रास्ता साफ किया. इसके बाद उन्हें नियमित डीजीपी नियुक्त कर दिया गया. संशोधित नियमावली के तहत अब तदाशा मिश्रा वर्ष 2027 तक, यानी अगले दो वर्षों के लिए झारखंड की डीजीपी रहेंगी. इस फैसले के साथ ही उन्हें रिटायरमेंट से पहले प्रोन्नति का लाभ भी मिल गया है.


स्वच्छ छवि वाली और अनुभवी अधिकारी मानी जाती हैं तदाशा मिश्रा

तदाशा मिश्रा को एक स्वच्छ छवि वाली और अनुभवी अधिकारी माना जाता है. उन्होंने अपने करियर में बोकारो और गिरिडीह जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में एसपी और डीआईजी के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई है. हाल ही में उनकी सीआरपीएफ डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह के साथ बैठक भी हुई थी, जिसमें नक्सल विरोधी रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई थी.



गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पुलिस प्रमुख के चयन और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर 8 जनवरी 2025 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के तहत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के एक पैनल पर विचार किया गया और अंततः तदाशा मिश्रा के नाम पर सहमति बनी. नियमों के अनुसार, डीजीपी को न्यूनतम दो वर्षों का निश्चित कार्यकाल दिया जाता है, ताकि पुलिस प्रशासन में स्थिरता और नीति-स्तर पर निरंतरता बनी रहे.


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