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Epstein Files: ट्रंप प्रशासन ने जारी किया 3 लाख पन्नों का पहला बैच, Bill Clinton और Michael Jackson जैसे बड़े नाम शामिल

जेफरी एपस्टीन से जुड़ी बहुचर्चित फाइलें सार्वजनिक होने के बाद अमेरिका की राजनीति और न्याय व्यवस्था पर नए सवाल खड़े हो गए हैं. करीब तीन लाख पन्नों के दस्तावेज़ों में बिल क्लिंटन, डोनाल्ड ट्रंप और कई ग्लोबल हस्तियों के नाम सामने आए, लेकिन भारी ब्लैकआउट और सेंसरशिप ने खुलासे को विवादों में डाल दिया. आलोचकों का कहना है कि यह पारदर्शिता नहीं, बल्कि नियंत्रित खुलासा है. एपस्टीन की रहस्यमयी मौत के बाद भी नेटवर्क, संरक्षक और असली साजिश अब तक पूरी तरह उजागर नहीं हो सकी है.

Epstein Files: ट्रंप प्रशासन ने जारी किया 3 लाख पन्नों का पहला बैच, Bill Clinton और Michael Jackson जैसे बड़े नाम शामिल
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( Image Source:  House Oversight Democrats )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 20 Dec 2025 8:38 AM IST

जेफरी एपस्टीन से जुड़ी फाइलें खुलते ही अमेरिका की राजनीति, न्याय व्यवस्था और ताकतवर वर्ग फिर कटघरे में आ गया. जिन दस्तावेज़ों को सालों से “सील्ड” कहा जाता रहा, उनके सार्वजनिक होने से उम्मीद जगी थी कि अब पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा. लेकिन जैसे-जैसे पन्ने सामने आए, वैसे-वैसे यह एहसास गहराता गया कि सच्चाई का एक बड़ा हिस्सा अब भी अंधेरे में है.

करीब तीन लाख पन्नों की फाइलें सामने आईं, लेकिन उनमें भारी ब्लैकआउट, कटे हुए नाम और अधूरी जानकारियां भी दिखीं. इससे सवाल उठा कि क्या यह असली पारदर्शिता है, या फिर एक ऐसा “नियंत्रित खुलासा”, जिसमें सिस्टम खुद तय कर रहा है कि जनता क्या देखे और क्या नहीं.

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Epstein Files आखिर हैं क्या?

ये फाइलें अमेरिकी न्याय विभाग और अदालतों से जुड़े वे दस्तावेज़ हैं, जो कुख्यात फाइनेंसर Jeffrey Epstein की जांच, गवाहियों, उड़ानों की लिस्ट, तस्वीरों और संपर्कों से संबंधित हैं. एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों की तस्करी और यौन शोषण का आरोप था, लेकिन 2019 में जेल में उसकी रहस्यमयी मौत ने मामले को और गहरा बना दिया.

मौत के बाद भी खत्म नहीं हुआ केस

एपस्टीन की मौत के बावजूद जांच कभी पूरी तरह बंद नहीं हुई. उसकी सहयोगी घिस्लेन मैक्सवेल को सजा मिली, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही रहा कि क्या वह अकेली थी? या फिर एपस्टीन एक बड़े, ताकतवर नेटवर्क का सिर्फ चेहरा था? फाइलों का खुलना इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश माना गया.

3 लाख पन्नों का खुलासा, लेकिन भारी सेंसरशिप

हालांकि दस्तावेज़ों की संख्या बहुत बड़ी है, लेकिन उनमें से कई पन्ने आंशिक या पूरी तरह ब्लैक कर दिए गए हैं. न्याय विभाग का कहना है कि ऐसा पीड़ितों की सुरक्षा, निजता और कानूनी प्रक्रिया के चलते किया गया. आलोचकों का तर्क है कि यही ब्लैकआउट असल साजिश को ढकने का जरिया बन गया है.

बिल क्लिंटन पर क्यों टिक गई नजर?

रिलीज़ हुई फाइल्स में पूर्व राष्ट्रपति Bill Clinton का नाम बार-बार सामने आता है. कुछ तस्वीरों में वे एपस्टीन और उसकी सहयोगी घिस्लेन मैक्सवेल के साथ दिखते हैं. हालांकि अब तक कोई आपराधिक आरोप साबित नहीं हुआ, लेकिन नाम की मौजूदगी ने राजनीतिक तूफान जरूर खड़ा कर दिया. क्लिंटन पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें एपस्टीन के अपराधों की कोई जानकारी नहीं थी.

ट्रंप का जिक्र कम, सवाल ज्यादा

कई लोगों को उम्मीद थी कि मौजूदा राष्ट्रपति Donald Trump का नाम ज्यादा उभरेगा, क्योंकि 90 के दशक में उनके और एपस्टीन के सामाजिक संबंधों की चर्चा रही है. लेकिन फाइलों में ट्रंप का जिक्र सीमित है. यही असमानता विपक्ष को यह कहने का मौका दे रही है कि खुलासा चयनात्मक है. यही बात विवाद का बड़ा कारण बन गई है.

मशहूर हस्तियां: नाम होना अपराध नहीं

फाइलों में कई ग्लोबल सेलेब्रिटीज़ और प्रभावशाली लोगों के नाम हैं. जिनमें Michael Jackson, मिक जैगर, डायना रॉस, प्रिंस एंड्रयू जैसे नाम भी सामने आए हैं. लेकिन न्याय विभाग ने साफ किया है कि किसी तस्वीर या दस्तावेज़ में नाम होना, अपराध का प्रमाण नहीं माना जा सकता.

राजनीति बनाम न्याय व्यवस्था

व्हाइट हाउस ने इस रिलीज़ को “इतिहास की सबसे पारदर्शी कार्रवाई” बताया, जबकि डेमोक्रेटिक सांसदों ने आरोप लगाया कि फाइलों को जानबूझकर अधूरा रखा गया, ताकि अमीर और ताकतवर लोगों को बचाया जा सके. इस टकराव ने अमेरिका की न्याय प्रणाली पर भरोसे को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया. सीनेट और कांग्रेस दोनों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि क्या जनता को पूरी सच्चाई बताई जा रही है. कई सांसदों ने कहा कि सैकड़ों पन्ने पूरी तरह ब्लैक कर दिए गए हैं, जो कानून की भावना के खिलाफ है. कुछ नेताओं ने तो इसे अमीर और ताकतवर लोगों को बचाने की कोशिश तक बता दिया.

क्या सच पूरा आएगा या नहीं?

न्याय विभाग ने संकेत दिए हैं कि आगे और दस्तावेज़ जारी हो सकते हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या कभी पूरा नेटवर्क सामने आएगा? या फिर एपस्टीन केस भी उन मामलों में शामिल हो जाएगा, जहां सच्चाई कागजों में तो है, लेकिन जनता तक कभी पूरी नहीं पहुंचती.

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