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क्‍या अब डोनाल्ड ट्रंप रोकेंगे पाकिस्तान-अफगानिस्तान युद्ध? सही में ऐसा हो पाएगा या नहीं

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ती झड़पों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे इस युद्ध को रोकने की कोशिश करेंगे, लेकिन ऐसा वह विदेश यात्रा पूरा करने के बाद करेंगे. क्या डोनाल्ड ट्रंप की पहल से दक्षिण एशिया में शांति लौटेगी या पहले की तरह यह भी एक राजनीतिक बयान बनकर रह जाएगा?

क्‍या अब डोनाल्ड ट्रंप रोकेंगे पाकिस्तान-अफगानिस्तान युद्ध? सही में ऐसा हो पाएगा या नहीं
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( Image Source:  ANI )

हाल ही में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर हिंसक संघर्ष तेज हो गया है. पाकिस्तान काबुल सहित तीन शहरों में एयर स्ट्राइक के बाद अफगानिस्तान ने भी पलटवार किया है. अफगान सेना ने दावा किया है कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला है. वहीं, पाकिस्तान ने यह कहा कि उसने लगभग 19 अफगान पोस्ट पर कब्जा किया है. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पत्रकारों को बताया कि वे इस संघर्ष को मध्यस्थता कर सुलझाने की कोशिश करूंगा. “मैं युद्ध सुलझाने में अच्छा हूं, लेकिन उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें पहले अपनी यात्रा पूरी करनी होगी.' सवाल उठता है कि क्या ट्रम्प वाकई इस युद्ध को रोक सकते हैं?

क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा कदम

डोनाल्ड ट्रंप का बयान दक्षिण एशिया की राजनीति पर असर डाल सकता है. भारत, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान का पड़ोसी है, इस स्थिति पर नजर रखे हुए है. अमेरिकी राष्ट्रपति की कूटनीति अगर सफल रही तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है, लेकिन वैश्विक राजनयिकों का मानना है कि इस जटिल विवाद को सुलझाना इतना आसान नहीं होगा.

पाकिस्‍तान-अफगानिस्तान संघर्ष की वजह

1. डूरंड लाइन विवाद

पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा यानी डुरंड लाइन (Durand Line) को अफगानिस्तान कभी मान्यता नहीं देता. पाकिस्तान ने सीमा पर दीवार और चौकियों का निर्माण किया है. ताकि आंतरिक सुरक्षा में सुधार हो, आतंकियों की आवाजाही रोकी जाए.

2. आतंकवादी समूह और पारस्परिक आरोप

पाकिस्तान आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में टीटीपी (Tehreek-i-Taliban Pakistan) और अन्य आतंकी संगठन सुरक्षित पनाहगाह पाते हैं, जिनका उपयोग पाकिस्तान में हमले करने के लिए किया जाता है. वहीं अफगानिस्तान (तालिबान सरकार) ये आरोप नकारते हैं या कहते हैं कि वे नियंत्रण में नहीं हैं उन समूहों पर.

3. हाल की हिंसा का दौर

अक्टूबर 2025 में पाकिस्तानी हवाई हमले अफगानिस्तान के अंदर कुछ स्थानों पर किए गए, जैसे कि काबुल, और अन्य. इसके जवाब में अफगान सैन्य या तालिबान बलों ने पाकिस्तान सीमा पर हमला किया. सीमा पार संघर्ष में अफगानिस्तान ने 6 से 7 पोस्टों पर कब्जा करने का दावा किया है.

4. ट्रम्प की दावेदारी कितना प्रभावी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है, “अभी तक मैं आठ युद्ध को सुलझा चुका हूं. अब मैं पाकिस्तान–अफगानिस्तान संघर्ष को भी हल करूंगा.” उन्होंने यह भी कहा कि वे “युद्ध सुलझाने के मामले में मेरा अनुभव अच्छा है. शांति स्थापित करने में भी रिकॉर्ड अच्छा है. लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि फिलहाल उनकी यात्रा में व्यस्त है, और वे “वापस लौटने” पर इस मुद्दे को देखेंगे.

5. क्या संभव भूमिका निभा सकते हैं?

अमेरिका की भूमिका और सम्मान अभी भी विश्व स्तर पर है. यदि ट्रंप समर्थक और निष्पक्ष मध्यस्थता प्रस्ताव लाएं, तो वह दोनों पक्षों को शांति वार्ता के लिए प्रेरित कर सकते हैं. अमेरिका अन्य देशों (संयुक्त राष्ट्र, मध्य पूर्वी शक्तियों) के साथ मिलकर दबाव बना सकता है. ताकि दोनों पक्ष संयम बनाएं.

अमेरिका पाकिस्तान या अन्य भागीदारों को सैन्य सहायता प्रदान करने या रोकने की नीति से संकेत भेज सकता है. शांति समझौतों, सुरक्षा गारंटी और निगरानी तंत्र (जैसे सीमा पेट्रोलिंग, तकनीकी सहयोग) प्रस्ताव कर सकता है.

6. शांति की राह में चुनौतियां

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मामले में विदेशी हस्तक्षेप पर संवेदनशील मामला है. यदि किसी को 'दबाव' लगे तो वे विरोध करेंगे.पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आपस में आंतरिक समूह, सैन्य और राजनीतिक हित जुड़े हैं. ये समूह कहीं न कहीं हस्तक्षेप को स्वीकार न भी कर सकते हैं.

चीन, रूस, भारत, ईरान आदि के भी इस क्षेत्र में हित हैं. किसी भी मध्यस्थता को इन शक्तियों के मत को अनदेखा नहीं कर सकती. फिर डोनाल्ड ट्रम्प को यह साबित करना होगा कि वे निष्पक्ष हैं, न कि पक्षपाती. यदि कोई पक्ष यह कहे कि उन्होंने झुकाव दिखाया, वार्ता टूट सकती है. वास्तविक नियंत्रण व्यवस्था, निगरानी और अमल करना सबसे कठिन काम है. केवल समझौते कराने से नहीं होगा स्थायी समाधान.

7. क्या वे रोक पाएंगे?

इस मामले में ट्रंप की दावेदारी बड़ी है, लेकिन तथ्य यह है कि पाकिस्तान–अफगानिस्तान संघर्ष को रोकने के लिए सिर्फ इच्छा नहीं, गहरी रणनीति, बड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव और भरोसेमंद मध्यस्थता तंत्र की जरूरत होती है.

यदि दोनों पक्ष वार्ता की ओर खुलें और ट्रम्प संतुलित भूमिका निभाएं तो वह शांति प्रस्तावों को गति दे सकते हैं. लेकिन यह नहीं कि वे तुरंत युद्ध बंद कर दें. ऐसे संघर्षों में स्थानीय तत्व, सैन्य गतिशीलता में, आतंकी नेटवर्क और संभावनाएं जैसी बड़ी बाधाएं हैं.

8. इन विवादों को सुलझाने का ट्रंप करते हैं दावा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि उन्होंने अब तक आर्मेनिया-अजरबैजान, कोसोवो-सर्बिया, इजरायल-ईरान, इजरायल हमास, मिस्र-इथियोपिया और रवांडा-कांगो जैसे संघर्ष को सुलझा चुका हूं. हालांकि, इन दावों की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इनमें से कई विवाद अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं.

वर्ल्‍ड न्‍यूजडोनाल्ड ट्रंप
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