Begin typing your search...

आखिर क्‍यों पुचकार कर पाकिस्‍तान को गोद में बैठा रहे डोनाल्‍ड ट्रंप? पढ़‍िए Crypto की कुनबा स्‍टोरी

डोनाल्ड ट्रंप का क्रिप्टो प्रेम अब पाकिस्तान तक पहुंच गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संघर्ष में सीजफायर की जल्दबाजी के पीछे भी ट्रंप के आर्थिक हित जुड़े हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप फैमिली की क्रिप्टो डील पाकिस्तान में शुरू हो रही है, जिसमें पीएम शहबाज के बेटे सलमान को कमान मिली है. दुबई की हाईलैंड सिस्टम्स कंपनी इस नेटवर्क को खड़ा कर रही है. ट्रंप का मकसद – जहां ढीले नियम हों, वहां पैसा छापो.

आखिर क्‍यों पुचकार कर पाकिस्‍तान को गोद में बैठा रहे डोनाल्‍ड ट्रंप? पढ़‍िए Crypto की कुनबा स्‍टोरी
X
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 24 May 2025 3:08 PM

डोनाल्ड ट्रंप को अगर कोई एक चीज़ सबसे ज़्यादा प्रिय है, तो वो है - पैसा. ये कोई आरोप नहीं, बल्कि उनके हर राजनीतिक और कारोबारी फैसले इस सच्चाई को ज़ोरदार तरीके से साबित करते हैं. और अब भारत और पाकिस्तान के बीच के हालिया तनाव के बाद जो घटनाएं घटीं, उन्होंने यह पूरी तरह उजागर कर दिया कि दुनिया में शांति की कोशिशें भी अब क्रिप्टो करेंसी से संचालित हो रही हैं.

भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ लॉन्च किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पाकिस्तानी एयरबेसों पर मिसाइलें बरसीं, तो दुनिया सन्न रह गई. लेकिन इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाला था अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया. ट्रंप प्रशासन ने ना तो पाकिस्तान को फटकारा, ना ही भारत के आत्मरक्षा के अधिकार पर समर्थन जताया. इसकी बजाय वे जल्द से जल्द सीजफायर की बात करने लगे और इस शांति का श्रेय भी खुद लेने लगे.

सवाल उठने लगे कि क्या ट्रंप को दोनों परमाणु देशों के बीच युद्ध से वाकई चिंता थी, या फिर इसका कारण कुछ और था?

जवाब मिला - क्रिप्टो. और पैसा, बहुत सारा पैसा.

ट्रंप के 'क्रिप्टो प्रेम' की नई कहानी: पाकिस्तान में अरबों डॉलर का नेटवर्क

अभी हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार द्वारा समर्थित क्रिप्टो बिज़नेस का अगला गढ़ पाकिस्तान बनने जा रहा है. डील के अनुसार पाकिस्तान की क्रिप्टो नीति की कमान खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे सलमान शहबाज संभालेंगे. इस नेटवर्क को खड़ा करने का काम दुबई की एक संदिग्ध फर्म Highland Systems कर रही है, जो पाकिस्तानी सेना के ठेकेदारों और ट्रंप परिवार के सहयोग से एक ब्लॉकचेन इकोसिस्टम बना रही है.

क्यों चुना गया पाकिस्तान?

  • अमेरिका में क्रिप्टो पर रेगुलेटरी शिकंजा कसता जा रहा है
  • ट्रंप समर्थक निवेशकों को ऐसे देश की तलाश थी जहां नियम ढीले हों
  • पाकिस्तान की अस्थिर सरकार और अमेरिका को खुश रखने की इच्छा ने उसे 'आदर्श' बना दिया
  • बिजली से लेकर ब्लॉकचेन तक: सलमान शहबाज की SSE टेक्नोलॉजीज की भूमिका

क्रिप्टो माइनिंग में सबसे बड़ी लागत होती है बिजली. पाकिस्तान की सबसे बड़ी सोलर कंपनी SSE Technologies को इसीलिए इस नेटवर्क का पार्टनर बनाया गया है. ये कंपनी सिंध और बलूचिस्तान में सोलर फर्म लगाएगी जो क्रिप्टो माइनिंग ऑपरेशनों को पावर देंगी.

ट्रंप कुनबे की कंपनी WLF का अरबों डॉलर का क्रिप्टो साम्राज्य

इस पूरे सौदे में अहम भूमिका निभा रही है World Liberty Financial (WLF) जिसमें ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है. मार्च 2025 में WLF ने USD1 नाम का स्टेबलकॉइन लॉन्च किया. इस स्टेबलकॉइन की मार्केट कैप 18,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. ट्रंप, एरिक ट्रंप और जेरेड कुश्नर इस कंपनी में टॉप लेवल पर हैं. ट्रंप मीमकॉइन की वैल्यू भी 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. यहां तक कि मेलानिया ट्रंप ने भी इस साल जनवरी में अपनी क्रिप्टो करेंसी लॉन्च कर दी थी.

भारत-पाक तनाव और 'सीजफायर' के पीछे का आर्थिक गणित

भारत के मिसाइल स्ट्राइक के बाद अगर अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह उल्टा दबाव बनाकर सीजफायर करवा दिया, तो इसका जवाब अब सामने है. क्योंकि अगर पाकिस्तान में शांति नहीं होगी, तो वहां अरबों डॉलर के क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स, सोलर फार्म्स और माइनिंग हब नहीं बन सकते. और अगर ये प्रोजेक्ट्स नहीं बनते, तो ट्रंप कुनबे की अरबों की कमाई रुक सकती थी.

बिटकॉइन की चढ़ती कीमतें, ट्रंप की जीत और क्रिप्टो मार्केट का धमाका

  • जैसे ही अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की उम्मीदें जगीं, वैसे ही क्रिप्टो मार्केट में बूम आ गया.
  • बिटकॉइन की कीमत भारतीय मुद्रा में 80 लाख रुपए से ऊपर चली गई.
  • इस तेजी के पीछे ट्रंप समर्थकों की भावनाएं ही नहीं, बल्कि ट्रंप कुनबे के निजी स्टेक भी हैं.

भारत-पाक तनाव, ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिकी सीजफायर दबाव और अब पाकिस्तान में ट्रंप के क्रिप्टो साम्राज्य की नींव, ये सब सिर्फ इत्तेफाक नहीं हैं. इस पूरी कड़ी को जोड़ें, तो साफ दिखता है कि डोनाल्ड ट्रंप का असली मिशन 'मेक पाकिस्तान ग्रेट फॉर क्रिप्टो अगेन' हो चुका है. और भारत? उसे समझना होगा कि सिर्फ हथियारों से नहीं, आर्थिक मोर्चों पर भी रणनीतिक जवाब देना होगा, क्योंकि अब जंगें सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, ब्लॉकचेन पर भी लड़ी जा रही हैं.


ऑपरेशन सिंदूरडोनाल्ड ट्रंप
अगला लेख