सीजफायर के नाम पर Trump की 'Crypto Deal', पाकिस्तान को फायदा, भारत को धोखा?
Pakistan-America: भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ विवाद खत्म हो गया. इसके 5 दिन बाद ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच क्रिप्टो करेंसी को लेकर बड़ी डील हुई. अब इस पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप लगातार युद्धविराम की बात कर रहे थे. इस डील में ट्रंप की फैमिली के सदस्य भी शामिल है.

Pakistan-America: पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. इसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया. हालांकि 4 दिन बाद ही सीजफायर पर सहमति बनी और भारत ने कुछ शर्तों के साथ इस फैसले को मंजूरी दे दी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकने का क्रेडिट खुद देने लगे. अमेरिका जंग को क्यों रोकना चाहता था, इसके पीछे का सच सामने आ गया है.
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर सहमति के 5 दिन बाद, पाकिस्तान और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच एक डील हुई. WLF में ट्रंप के परिवार की 60% हिस्सेदारी है. पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) और WLF के समझौते से नया हंगामा खड़ा हो गया है. अब कहा जा रहा है कि इस डील की वजह से ही ट्रंप नहीं चाहते थे कि यह युद्ध हो. इसलिए उन्हें पाक को बचाना था.
क्या ट्रंम ने देखा फायदा?
पाकिस्तान की PCC का गठन हुए सिर्फ एक ही महीना हुआ था. डील साइन करने के लिए काफी जल्दबाजी देखने को मिली. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की ओर से एक प्रेस रिलीज भी जारी की गई. जिसमें लिखा था कि WLF और PCC ने ब्लॉकचेन नवाचार, स्टेबलकॉइन को अपनाने और विकेंद्रीकृत वित्त प्रणाली को पाकिस्तान में बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर साइन किए हैं.
इस डील को लेकर WLF के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख, उप प्रधानमंत्री और सूचना व रक्षा मंत्रियों से भी मुलाकात की. WLF की ओर से जेकरी फोल्कमैन, चेज हेरो और स्टीव विटकॉफ़ के बेटे जैकरी विटकॉफ शामिल हुए. बता दें कि स्टीव विटकॉफ ट्रंप के विशेष दूत हैं. वह एक रियल एस्टेट अरबपति हैं, जिनका वॉशिंगटन डीसी की राजनीति में बड़ा प्रभाव माना जाता है. वह अक्सर ट्रंप के मार-ए-लागो रिज़ॉर्ट में देखे जाते हैं.
ट्रंप की फैमिली से कनेक्शन
WLF को डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन प्राप्त है. इसका उद्देश्य क्रिप्टो करेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक को बढ़ावा देना है. इसकी लॉन्चिंग पिछले साल ही हुई थी. ट्रंप एवं उनके करीबी सहयोगी जैसे- एरिक ट्रंप, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर और जारेड कुशनर के पास इसमें 60% हिस्सेदारी है. इस पूरी डील और ट्रंप के सीजफायर के दावे को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि क्या ट्रंप ने अपने फायदे के लिए सीजफायर की वकालत की.