UNOCT की मेज पर गूंजी भारत की आवाज़, पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर की खुली पोल; TRF की गर्दन पर लगेगा फंदा
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक मोर्चे पर भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान तेज किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कराने की मांग दोहराई. उभरती तकनीकों पर नियंत्रण और पाक-प्रायोजित नेटवर्क को बेनकाब करने की भारत की रणनीति को UNOCT और CTED का समर्थन मिल रहा है.

भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति अब केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि तकनीक और कूटनीति के ज़रिये उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिल रहा है. संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोनकोव और CTED की सहायक महासचिव नतालिया गेरमन ने हाल ही में न्यूयॉर्क में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. चर्चा का केंद्र भारत की उस पहल पर रहा जिसमें 2022 दिल्ली डिक्लेरेशन के ज़रिए उभरती तकनीकों के आतंकी दुरुपयोग को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग को मजबूती दी गई थी.
यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करते हुए ड्रोन, क्रिप्टोकरेंसी और फिनटेक जैसी तकनीकों के आतंकवाद में उपयोग पर नियंत्रण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार करने की दिशा में तेजी से काम शुरू किया है. CTED के साथ भारत की साझेदारी इन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभा रही है. यह भारत के उस नेतृत्व को दर्शाता है जिसमें वह अब केवल आतंकवाद से पीड़ित नहीं बल्कि समाधान पेश करने वाला राष्ट्र भी है.
TRF जैसे संगठनों पर कार्रवाई को बन रही वैश्विक सहमति
चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर गहरी संवेदना जताई, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे. भारत ने इस हमले के बाद न सिर्फ सैन्य जवाब दिया, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी TRF जैसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए वैश्विक सहमति बनाने की कोशिशें तेज कर दी है. तकनीकी सहयोग के साथ, भारत अब वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ नीतिगत ढांचे में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है.
UNSC की 1267 प्रतिबंध सूची में होगी शामिल
भारत ने इस हमले को अंजाम देने वाले समूह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया और इसे UNSC की 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल कराने की कोशिश तेज कर दी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति को भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने TRF से जुड़ी विस्तृत जानकारी, सबूत और पाक प्रायोजित नेटवर्क के प्रमाण सौंपे.
पाकिस्तान को बेनकाब करना है मकसद
TRF ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया. भारत का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान की रणनीतिक सलाह पर उठाया गया. इससे पहले भारत दो बार (मई और नवंबर 2024 में) इस संगठन को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की मांग कर चुका है. इस प्रयास का मकसद केवल TRF को प्रतिबंधित कराना नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के ‘छद्म युद्ध’ मॉडल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करना है. भारत यह स्पष्ट करना चाहता है कि लश्कर और जैश जैसे संगठन अब TRF जैसे नए नामों के साथ सीमा पार आतंक को बढ़ावा दे रहे हैं. दिसंबर 2023 में भी भारत ने मॉनिटरिंग टीम को इन्हीं बिंदुओं पर जानकारी दी थी.
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को पहुंचाया नुकसान
बता दें, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर किया था. इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पार से गोलाबारी और ड्रोन हमलों की कोशिश की, जिसका जवाब भारत ने सीमित लेकिन सटीक हमलों से दिया. भारत द्वारा रडार इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार केंद्र और एयरबेस को निशाना बनाने के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच अस्थायी शांति बनी. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने भारत की रणनीतिक दिशा को रेखांकित किया जहां सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ वैश्विक कूटनीति और तकनीकी दबाव भी आतंकवाद के खिलाफ उसके अभियान का हिस्सा बन चुका है.