Bangladesh Unrest: उस्मान हादी की कब्र पर तारिक रहमान का नमन, 17 साल बाद बने वोटर; देश में नहीं थम रहा बवाल
बांग्लादेश की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर है. 17 साल के निर्वासन के बाद लौटे BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच युवा नेता शरीफ ओस्मान हादी की कब्र पर श्रद्धांजलि दी और ढाका में रोडशो के साथ वोटर पंजीकरण कराया. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब शेख हसीना सरकार के पतन के बाद देश में हिंसा, लिंचिंग, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक अस्थिरता चरम पर है.
बांग्लादेश की राजनीति इस वक्त तेज उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. एक ओर शेख हसीना सरकार के पतन के बाद सत्ता संतुलन बदल चुका है, तो दूसरी ओर हिंसा, लिंचिंग और विरोध प्रदर्शनों ने देश को अस्थिर बना दिया है. इसी उथल-पुथल के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान शनिवार को ढाका में एक अहम सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आए.
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करीब 17 साल के निर्वासन के बाद स्वदेश लौटे तारिक रहमान ने कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच युवा नेता शरीफ ओस्मान हादी की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की. हादी की हत्या ने हाल के दिनों में पूरे बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव को जन्म दिया है.
कड़े सुरक्षा इंतजाम, ढाका की सड़कें सील
स्थानीय मीडिया और द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, तारिक रहमान ने पहले ढाका विश्वविद्यालय सेंट्रल मस्जिद के पास स्थित राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की कब्र पर भी दुआ अदा की. गौरतलब है कि 20 दिसंबर को शरीफ ओस्मान हादी को भी नजरुल इस्लाम की कब्र के पास ही दफनाया गया था.
तारिक रहमान के दौरे के दौरान शाहबाग से ढाका विश्वविद्यालय तक की सड़कें पूरी तरह बंद कर दी गईं. रास्ते में रैपिड एक्शन बटालियन (RAB), बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) और स्थानीय पुलिस की भारी तैनाती रही. पैदल यात्रियों और वाहनों की आवाजाही रोक दी गई, जिससे साफ था कि सरकार किसी भी अप्रिय स्थिति से बचना चाहती है.
ओस्मान हादी की हत्या और राजनीति का उबाल
शरीफ ओस्मान हादी, इंकलाब मंचो के प्रवक्ता और एक चर्चित युवा नेता थे. इस महीने की शुरुआत में उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हादी जुलाई 2024 के उस जनआंदोलन का बड़ा चेहरा थे, जिसने अंततः शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया. उनकी हत्या ने फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को विस्फोटक बना दिया है.
कब्र पर श्रद्धांजलि के बाद चुनाव आयोग की ओर कूच
ओस्मान हादी की कब्र पर श्रद्धांजलि देने के बाद तारिक रहमान चुनाव आयोग कार्यालय (अगरगांव) जाने वाले थे, जहां उन्होंने राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) के लिए आवेदन और वोटर के रूप में पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की. BNP ने इस पूरे रोडशो को लाइव स्ट्रीम किया. हजारों समर्थक तारिक रहमान के साथ सड़कों पर उतरे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह अब पूरी तरह चुनावी मोड में हैं.
17 साल बाद वापसी: बांग्लादेश की राजनीति में टर्निंग पॉइंट
तारिक रहमान की वापसी को बांग्लादेश की राजनीति में ट्रांसफॉर्मेशनल मोमेंट माना जा रहा है. वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के सबसे बड़े चेहरे हैं. 2008 से वह लंदन में निर्वासन में रह रहे थे. तारिक रहमान का कहना है कि उन्हें राजनीतिक प्रताड़ना के चलते देश छोड़ना पड़ा था. 2007 में केयरटेकर सरकार के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था और करीब 18 महीने जेल में रहना पड़ा. बाद में इलाज के बहाने वह ब्रिटेन चले गए.
‘बांग्लादेश दो बार आज़ाद हुआ’ - तारीक रहमान का बड़ा बयान
देश लौटने के बाद अपने पहले संबोधन में तारिक रहमान ने कहा - “बांग्लादेश दो बार आज़ाद हुआ, पहली बार 1971 में और दूसरी बार जुलाई 2024 के जनउभार के जरिए.” उन्होंने समावेशी बांग्लादेश की बात करते हुए कहा कि सभी समुदायों, सभी जातीय समूहों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. उनका दावा है कि एकता और समान प्रतिनिधित्व ही BNP की आगे की राजनीति का आधार होगा.
खालिदा जिया से विरासत, प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार
80 वर्षीय और बीमार चल रहीं खालिदा जिया से अब पार्टी की पूरी कमान धीरे-धीरे तारिक रहमान के हाथ में जाती दिख रही है. वह अपनी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी जाइमा रहमान के साथ ढाका पहुंचे. शेख हसीना सरकार के पतन के बाद तारीक रहमान को फरवरी में होने वाले आम चुनावों में प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
लेकिन देश सुलग रहा है: हिंसा, लिंचिंग और अंतरराष्ट्रीय चिंता
तारीक रहमान की राजनीतिक सक्रियता ऐसे समय में बढ़ रही है, जब बांग्लादेश गंभीर संकट से गुजर रहा है -
- शेख हसीना की सत्ता से विदाई
- कई जगह लिंचिंग की घटनाएं
- एक प्रमुख छात्र नेता की हत्या
- न्याय की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन
- मीडिया कार्यालयों और सांस्कृतिक संगठनों पर हमले
इन सबने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
अवामी लीग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद चुनावी मैदान लगभग BNP के लिए आसान होता दिख रहा है. इसी को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी चिंता जताई है और कहा है कि मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा जरूरी है.
भारत तक पहुंचा असर
कुछ ही दिनों में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की लिंचिंग ने भारत में भी विरोध-प्रदर्शन को जन्म दिया है. बांग्लादेश की सियासत अब सिर्फ आंतरिक मुद्दा नहीं रह गई, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और मानवाधिकारों से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुकी है. एक तरफ तारीक रहमान की दमदार वापसी, रोडशो और वोटर रजिस्ट्रेशन, दूसरी तरफ हिंसा, डर और अनिश्चित भविष्य. बांग्लादेश इस वक्त चुनाव से पहले सबसे नाज़ुक मोड़ पर खड़ा है, जहां हर कदम आने वाले वर्षों की दिशा तय करेगा.





