बांग्लादेश में शेख हसीना के बाद यूनुस सरकार के पीछे पड़े सेना प्रमुख, जानें कौन हैं जनरल वकर-उज़-ज़मान
बांग्लादेश में सेना तख्तापलट की अटकलों के बीच सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने इन खबरों को झूठा बताया. वे एक अनुभवी सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भी सेवा दी है. उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की. उनकी सैन्य रणनीति और नेतृत्व पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नजर रखी जा रही है.

बांग्लादेश में सेना द्वारा तख्तापलट की आशंका के बीच सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान की भूमिका पर खूब चर्चा हो रही है. हाल ही में उन्होंने इन अटकलों को खारिज किया और मीडिया रिपोर्ट्स को 'झूठा और मनगढ़ंत' बताया. सेना की मीडिया शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने भी इस दावे को गलत जानकारी और अफवाह फैलाने का प्रयास बताया है.
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के कुछ समय बाद ही जनरल वकर-उज़-ज़मान ने घोषणा की थी कि वे एक अंतरिम सरकार का गठन करेंगे. उन्होंने सरकारी टेलीविजन पर आकर कहा था कि अब देश को स्थिरता की जरूरत है. उन्होंने अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान और हिंसा का जिक्र करते हुए कहा था कि अब इसे रोकने का समय आ गया है. आइये जानते हैं कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख कौन हैं.
कौन हैं जनरल वकर-उज़-ज़मान?
जनरल वकर-उज़-ज़मान एक अनुभवी सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होंने लगभग चार दशक सेना में सेवा दी है. वे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों का भी हिस्सा रह चुके हैं. सेना प्रमुख बनने से पहले उन्होंने कई अहम पदों पर कार्य किया, जिनमें पैदल सेना बटालियन, स्वतंत्र पैदल सेना ब्रिगेड और पैदल सेना डिवीजन की कमान संभालना शामिल है.
लंदन यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई
शिक्षा की बात करें तो जनरल वकर-उज़-ज़मान ने बांग्लादेश सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण लिया है. इसके अलावा, उन्होंने मीरपुर स्थित रक्षा सेवा कमान एवं स्टाफ कॉलेज और ब्रिटेन के संयुक्त सेवा कमान एवं स्टाफ कॉलेज से भी अध्ययन किया है. वे बांग्लादेश के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय के किंग्स कॉलेज से रक्षा अध्ययन में उच्च डिग्री प्राप्त कर चुके हैं.
शेख हसीना के साथ भी किया काम
पूर्व में, वे प्रधानमंत्री शेख हसीना के अधीन सशस्त्र बल प्रभाग में प्रमुख स्टाफ अधिकारी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. इस भूमिका में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसके चलते उन्हें कई प्रतिष्ठित सैन्य पुरस्कार भी मिले हैं. सेना के आधुनिकीकरण में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें आर्मी मेडल ऑफ ग्लोरी (SGP) और एक्स्ट्राऑर्डिनरी सर्विस मेडल (OSP) से सम्मानित किया गया है. उनके नेतृत्व में बांग्लादेश की सेना ने कई नई तकनीकों और रणनीतियों को अपनाया, जिससे देश की सैन्य शक्ति को मजबूती मिली.
क्या सेना करेगी राजनीतिक हस्तक्षेप?
हालांकि, वर्तमान राजनीतिक स्थिति में सेना की भूमिका को लेकर अब भी सवाल उठ रहे हैं. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच जनरल वकर-उज़-ज़मान की भूमिका पर नज़र बनी हुई है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भविष्य में क्या कदम उठाते हैं और क्या सेना वास्तव में कोई बड़ा राजनीतिक हस्तक्षेप करने वाली है.