अब अमेरिका में वोटिंग के लिए दिखाना पड़ेगा कागज़, डोनाल्ड ट्रंप ने आदेश पर किया सिग्नेचर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक नया आदेश जारी किया, जिसके तहत अब मतदान के लिए नागरिकता प्रमाण अनिवार्य होगा. प्रशासन का दावा है कि इससे चुनावी पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन मतदान अधिकार समूहों ने इसे लाखों नागरिकों के लिए बाधा बताया है. यह आदेश कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है, क्योंकि चुनावी नियम तय करने का अधिकार राज्यों के पास है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनावी नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए एक नया आदेश जारी किया, जिसके तहत अब वोट डालने के लिए नागरिकता का प्रमाण देना अनिवार्य होगा. ट्रम्प ने इसे चुनावों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी कदम बताया है. लेकिन इस आदेश के चलते कई राज्यों में विवाद भी खड़ा हो सकता है, क्योंकि राज्यों के पास अपने चुनाव नियम बनाने का अधिकार है.
इस आदेश में कहा गया है कि अमेरिका अब तक जरूरी चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है. इसे सुधारने के लिए संघीय सरकार राज्यों को मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देगी. जो राज्य इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन्हें संघीय वित्त पोषण में कटौती का सामना करना पड़ सकता है. इससे राज्यों पर इस आदेश को लागू करने का दबाव बढ़ सकता है.
कई बार उठाया सवाल
ट्रम्प लंबे समय से मेल-इन बैलटिंग (डाक से मतदान) को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. उन्होंने 2020 के चुनावों में अपनी हार के बाद वोटिंग प्रणाली पर संदेह जताया था और दावा किया था कि चुनावों में धांधली हुई थी. हालांकि, उनके इन दावों के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला. फिर भी, उन्होंने इस आदेश के जरिए मतदान प्रक्रिया को और सख्त बनाने की कोशिश की है.
21.3 मिलियन लोगों के पास नहीं है डॉक्यूमेंट
इस आदेश से सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ सकता है जिनके पास नागरिकता का प्रमाण आसानी से उपलब्ध नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 21.3 मिलियन अमेरिकी नागरिकों के पास नागरिकता का कोई भी दस्तावेज नहीं है. इसमें बुजुर्ग, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग, और हाल ही में शादी करने वाली महिलाएं शामिल हैं, जिनका नाम आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खा सकता है. इससे इन वर्गों के लिए मतदान करना मुश्किल हो सकता है.
कई डिपार्टमेंट शेयर करेंगे डाटा
ट्रम्प के इस आदेश में यह भी प्रावधान है कि होमलैंड सिक्योरिटी, सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन और विदेश विभाग जैसे संघीय एजेंसियां मतदाता डेटा साझा करेंगी. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल योग्य नागरिक ही वोट डालें. इसके अलावा, अटॉर्नी जनरल को ऐसे राज्यों में चुनाव कानून लागू करने के लिए सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया गया है, जो संदिग्ध चुनाव अपराधों की जानकारी शेयर करने में असफल रहते हैं.
आदेश को दी जा सकती है चुनौती
हालांकि, इस आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि अमेरिकी संविधान के अनुसार, चुनावों का संचालन राज्यों का अधिकार है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश कानूनी बाधाओं में फंस सकता है और राज्यों के लिए इसे लागू करना आसान नहीं होगा. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प का यह कदम आने वाले चुनावों को कैसे प्रभावित करता है और क्या यह चुनावी प्रक्रिया में सुधार ला पाएगा या नहीं.