Begin typing your search...

क्या था ब्रेस्टफीडिंग मामला, जिसके चलते सास ने बहू को भिजवाया जेल? अब कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

आरोपों को निराधार बताते हुए अदालत ने कहा कि मामला "घरेलू विवाद" से उपजा लगता है. इसमें कहा गया है कि "चूंकि आरोपी का पति बेरोजगार है और आदतन नशे में रहता है. इसलिए पैसे की मांग को लेकर दोनों महिलाओं के बीच कुछ विवाद हो सकता है.

क्या था ब्रेस्टफीडिंग मामला, जिसके चलते सास ने बहू को भिजवाया जेल? अब कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
X
( Image Source:  grok )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 26 Nov 2025 3:32 PM IST

अल्मोड़ा से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक सास ने अपनी बहू पर उसकी 3 महीने की बेटी को मारने की कोशिश के साथ-साथ ब्रेस्टफीडिंग में लापरवाही का भी आरोप लगाया था. अब इस मामले में अल्मोड़ा के जिला न्यायालय ने 20 साल की महिला को बरी कर दिया है.

महिला को साल 2022 में छह महीने के लिए जेल भेजा गया था. कोर्ट ने कहा प्रॉसिक्यूशन के मामले को शक से भरा कहा और महिला को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि "कोई भी मां अपनी बच्चे का जीवन खत्म करने के लिए इतनी क्रूरता नहीं करेगी."

पारुल ने की थी लव मैरिज

आरोपी पारुल ने साल 2022 में शिवम दीक्षित से लव मैरिज की थी. हालांकि, शिवम की मां स्नेहलता इस शादी के खिलाफ थी. दो साल बाद पारुल ने एक बच्ची को जन्म दिया. जहां, बच्चे के जन्म के तीन महीने बाद स्नेहलता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी बहू ने बेटी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी.

6 महीने के लिए भेजा गया था जेल

स्नेहलता की शिकायत के आधार पर एक एफआईआर दर्ज की गई. इसके बाद पारुल को 28 जनवरी, 2023 को जमानत दिए जाने से पहले छह महीने के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. जहां बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के आदेश पर एक सरकारी चिल्ड्रन होम में रखा गया और रिहाई के बाद पारुल को बच्ची सौंप दी गई.

कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

मुकदमे के दौरान कोर्ट ने प्रॉसिक्यूशन के मामले में कई गड़बड़ी की पहचान की. जहां यह नोट किया गया कि देरी के लिए कोई सही क्लियरिफिकेशन नहीं होने के बावजूद भी एफआईआर देर से दर्ज की गई थी. अदालत ने यह भी उजागर किया कि हालांकि पुलिस ने कपल के पड़ोसियों से पूछताछ की, लेकिन प्रॉसिक्यूशन उन्हें गवाह के रूप में पेश नहीं कर पाया, जिससे उसका मामला कमजोर हो गया.

आरोपों को बताया बेबुनियाद

आरोपों को निराधार बताते हुए अदालत ने कहा कि मामला "घरेलू विवाद" से उपजा लगता है. इसमें कहा गया है कि "चूंकि आरोपी का पति बेरोजगार है और आदतन नशे में रहता है. इसलिए पैसे की मांग को लेकर दोनों महिलाओं के बीच कुछ विवाद हो सकता है. बता दें कि पारुल क्योंकि शिकायतकर्ता एक सरकारी नर्स है.

लेकिन यह कहना कि आरोपी ने अपनी ही बच्ची को मारने की कोशिश की होगी. यह आरोप निराधार है. प्रॉसिक्यूशन अपने इस दावे का सही साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका कि पारुल अपनी 3 महीने की बेटी से नफरत करती होगी. इसलिए यह कहानी संदिग्ध है."

अगला लेख