क्या है उत्तराखंड सरकार का मास्टरप्लान? केदारनाथ, हेमकुंड और कैंची धाम तक रोपवे सुविधा की होगी शुरुआत!
मुख्य सचिव जी ने साफ निर्देश दिए कि राज्य में बनने वाली हर रोपवे परियोजना को इस संचालन समिति से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि अलग-अलग विभागों या एजेंसियों द्वारा एक ही तरह की परियोजनाएं दोबारा न बनाई जाएं. इससे समय और पैसे की बर्बादी रुकेगी और सभी काम व्यवस्थित तरीके से होंगे.
उत्तराखंड सरकार राज्य में पर्यटन और तीर्थ यात्रा को बहुत तेजी से बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा प्लान बना रही है. इसके तहत कुल 50 रोपवे परियोजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इनमें से 6 सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सबसे पहले पूरा करने के लिए चुना गया है, ताकि जल्दी से काम शुरू हो सके और लोगों को फायदा मिले. इन 6 प्रमुख परियोजनाओं में दो बहुत खास रोपवे शामिल हैं एक सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक और दूसरा गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक. इन दोनों परियोजनाओं का काम पहले ही कुछ कंपनियों को सौंप दिया गया है. अब बहुत जल्द जमीन पर निर्माण कार्य तेज गति से शुरू होने वाला है, जिससे श्रद्धालुओं को पैदल चलने की तकलीफ कम होगी और यात्रा आसान हो जाएगी.
इसके अलावा, काठगोदाम से नैनीताल के हनुमानगढ़ी मंदिर तक एक रोपवे बनाने की योजना भी चल रही है. अभी यह परियोजना सरकारी अनुमोदन (अप्रूवल) के अंतिम चरण में है. जल्द ही इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है. रोपवे बनाने के लिए सरकार ने एक विशेष संचालन समिति बनाई है. हाल ही में इस समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें उत्तराखंड के मुख्य सचिव श्री आनंद वर्धन ने खुद अध्यक्षता की. इस बैठक में रोपवे निर्माण से जुड़े कई बड़े और जरूरी फैसले लिए गए.
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क्या इसका मुख्य उद्देश्य?
मुख्य सचिव जी ने साफ निर्देश दिए कि राज्य में बनने वाली हर रोपवे परियोजना को इस संचालन समिति से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि अलग-अलग विभागों या एजेंसियों द्वारा एक ही तरह की परियोजनाएं दोबारा न बनाई जाएं. इससे समय और पैसे की बर्बादी रुकेगी और सभी काम व्यवस्थित तरीके से होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि बड़े रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद अगले 5 से 10 सालों में स्थानीय स्तर पर नए-नए पर्यटन स्थल विकसित होंगे और यात्रा के रास्ते भी बढ़ेंगे. इसलिए अभी से ही एक स्पष्ट और लंबे समय का रोडमैप (योजना) तैयार करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न आए.
क्या है अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
50 प्रस्तावित रोपवे परियोजनाओं में से कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी हैं. जैसे- कनकचौरी से कार्तिक स्वामी मंदिर तक रोपवे की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अभी तैयार की जा रही है. इसी तरह रैथल-बारसू से बरनाला (उत्तरकाशी जिले में) और जोशीमठ-औली-गौरसों बुग्याल तक रोपवे के लिए डीपीआर बनाने की निविदा (टेंडर) प्रक्रिया चल रही है और जल्द पूरी हो जाएगी. मुख्य सचिव जी ने खास तौर पर जोर दिया कि अभी इन चुनी हुई 6 प्राथमिक परियोजनाओं पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाए. खासकर सोनप्रयाग-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे के हर चरण के लिए स्पष्ट समय-सीमा (टाइमलाइन) तय की जाए। साथ ही, जंगल और वन्यजीव से जुड़ी जरूरी मंजूरियां जल्दी से दिलाने की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश भी दिए गए.
कैंची धाम में रोपवे की सुविधा
रोपवे बनाने के लिए भारी-भरकम मशीनों को निर्माण स्थल तक पहुंचाना पड़ता है. इसके लिए सड़कों के मोड़ों (टर्निंग रेडियस) को बड़ा करने और पुलों को मजबूत बनाने के जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. एक और महत्वपूर्ण फैसला यह लिया गया कि काठगोदाम से हनुमानगढ़ी मंदिर वाले रोपवे प्रोजेक्ट में प्रसिद्ध कैंची धाम को भी शामिल किया जाए. कैंची धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए वहां अलग से रोपवे बनाने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा. उत्तराखंड सरकार इन रोपवे परियोजनाओं के जरिए चार धाम यात्रा, हेमकुंड साहिब यात्रा और अन्य पर्यटन स्थलों को ज्यादा सुगम, सुरक्षित और आकर्षक बनाना चाहती है. इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.





