सुंदर पहाड़, बदहाल ज़िंदगी! सड़क के अभाव से चमोली में बीमार को 5 किमी कंधे पर ढोकर अस्पताल पहुंचाने की मजबूरी
सुंदर पहाड़ों के बीच बसे गांवों की खूबसूरती के पीछे उनकी कठिन जिंदगी छिपी हुई है. सड़क न होने के चलते क्षेत्रवासियों को अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, खासकर स्वास्थ्य जैसी जरूरी जरूरतों के लिए. हाल ही में ऐरठा गांव में बीमार पूरन राम की स्थिति बिगड़ने पर परिजनों और ग्रामीणों को उसे कंधे पर लादकर पांच किलोमीटर पैदल अस्पताल तक ले जाना पड़ा.
चमोली के देवाल ब्लॉक के ऐरठा गांव में सड़क न होने की वजह से क्षेत्रवासियों की जिंदगी कठिन होती जा रही है. पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोग अक्सर बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं और स्वास्थ्य जैसी जरूरी जरूरतों के लिए भी उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. शुक्रवार को इस मुश्किल की नमूना तब देखने को मिली जब बीमार पूरन राम को कंधे पर लादकर पांच किलोमीटर पैदल अस्पताल पहुंचाना पड़ा.
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ग्रामीण बताते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में हर छोटी-मोटी समस्या भी जिंदगी और मौत का सवाल बन जाती है. सड़क न होने के कारण गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार लोग इमरजेंसी में सुरक्षित तरीके से अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते. यही हालात ऐरठा गांव के लोगों के जीवन की कठिनाइयों को उजागर करते हैं.
कंधे पर उठाकर 5 किमी चले पैदल
ऐरठा गांव के लिए आठ किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लिए साल 2021 में मंजूरी मिली थी, लेकिन अब तक सड़क नहीं बनी है. इसकी वजह से मरीजों और गर्भवती महिलाओं को डंडी-कंडी में लादकर पैदल चलकर अस्पताल तक पहुंचना पड़ता है. शुक्रवार को भी 40 साल पूरन राम की तबीयत अचानक बिगड़ी और परिजन ग्रामीणों की मदद से उसे कंधे पर उठाकर पांच किलोमीटर पैदल लेकर पहुंचे.
पहाड़ी जीवन की असली चुनौती
ग्रामीण बताते हैं कि सड़क न होने के कारण न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मुश्किल है, बल्कि रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना भी कठिन हो जाता है. इतना ही नहीं, पूरन राम को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर श्रीनगर रेफर किया गया. यह घटना इस बात का सबूत है कि पहाड़ी इलाकों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी लोगों की जिंदगी को कितनी मुश्किल बना देती है.
बुनियादी सुविधाओं की दरकार
ऐरठा जैसे गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी से ग्रामीणों का जीवन हमेशा संघर्षपूर्ण रहता है. सड़क बन जाने से सिर्फ पैदल दूरी कम नहीं होगी, बल्कि इमरजेंसी सेवाओं तक त्वरित पहुंच भी सुनिश्चित होगी. ग्रामीणों की लगातार मांग है कि प्रशासन जल्द ही सड़क निर्माण का काम शुरू करे, ताकि उनके जीवन में इस तरह की मुश्किलें कम हो सकें.





