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बच्चों को शिकार बनाता था समलैंगिक पुजारी, पोल ना खुल जाए इसीलिए करवा दी पत्रकार की हत्या

बाबा को डर था कि कहीं राघवेंद्र यह बात सार्वजनिक न कर दे. इस डर से कि कहीं राज खुल न जाए और उसकी बदनामी न हो जाए, उसने राघवेंद्र को रास्ते से हटाने की साजिश रचनी शुरू कर दी. इसके लिए उसने इमलिया सुल्तानपुर के रामपुर नयागांव निवासी निर्मल सिंह और हरिकिशनपुर निवासी असलम गाजी से संपर्क किया.

बच्चों को शिकार बनाता था समलैंगिक पुजारी, पोल ना खुल जाए इसीलिए करवा दी पत्रकार की हत्या
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 11 April 2025 9:40 AM IST

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली में दैनिक जागरण के 35 वर्षीय पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता राघवेंद्र बाजपेयी की 8 मार्च, 2025 को लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना दोपहर करीब 3:15 बजे हुई जब बाजपेयी अपनी बाइक पर जा रहे थे.कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों और जीप में सवार अन्य लोगों द्वारा हमलावरों ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी और कई गोलियां चलाईं, जो उनके सीने, कंधे और पेट में लगी.

उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. लेकिन अब इस हत्या से के पीछे कौन था इसका मामला सुलझा लिया गया है. शुरुआती संदेह बाजपेयी की खोजी रिपोर्टिंग को इसका कारण बता रहे थे. लेकिन इस हत्या के पीछे एक बाबा का हाथ था जिसने भाड़े के शूटर से राघवेंद्र की हत्या करवाई. हालांकि 34 दिन बाद सुलझी इस पहेली में सामने आया कि महोली के इस मंदिर के बाबा समलैंगिंग थे और बच्चों का शोषण करता था और यह बात राघवेंद्र जनता था. बाबा को अपनी बदनामी का डर था, जिसके चलते उसने पत्रकार की हत्या करवाई.

कहीं खुल न जाए समलैंगिक होने का राज

पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया कि राघवेंद्र की हत्या हबीबपुर के विकास राठौर उर्फ ​​शिवानंद ने की है. यह रामकोट के अहाते का कप्तान है और एक मंदिर का कथित बाबा है, वह भी समलैंगिक. मंदिर की एक किशोरी सेवादार से उसके संबंध थे, जिसे राघवेंद्र ने देख लिया था. बाबा को डर था कि कहीं राघवेंद्र यह बात सार्वजनिक न कर दे. इस डर से कि कहीं राज खुल न जाए और उसकी बदनामी न हो जाए, उसने राघवेंद्र को रास्ते से हटाने की साजिश रचनी शुरू कर दी. इसके लिए उसने इमलिया सुल्तानपुर के रामपुर नयागांव निवासी निर्मल सिंह और हरिकिशनपुर निवासी असलम गाजी से संपर्क किया और उन्हें हत्या के लिए चार लाख रुपये की सुपारी दी. दोनों ने शूटरों से संपर्क किया. इसके बाद शूटरों ने रेकी की और राघवेंद्र की हत्या कर दी.

परिवार को 1 करोड़ रुपये

हालांकि राघवेंद्र की पत्नी यह मानने से इंकार करती हैं कि इस हत्या के पीछे बाबा का नहीं बल्कि प्रभावी लोगों को हाथ है, इसमें बाबा को सिर्फ मोहरा बनाया जा रहा है. मृतक पत्रकार की पत्नी ने मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की है. इस हत्या के बाद भारी तनाव देखा गया था. इस मामले की भारतीय पत्रकार संघ और अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ जैसे पत्रकार संघों ने व्यापक निंदा की, जिन्होंने न्याय की मांग की और भारत में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों को उजागर किया. उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सहित राजनीतिक हस्तियों ने त्वरित कार्रवाई और फास्ट-ट्रैक ट्रायल का वादा किया, जबकि विपक्षी नेताओं ने राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति की आलोचना की. बाजपेयी के परिवार ने वित्तीय सहायता (1-2 करोड़ रुपये) और रश्मि के लिए सरकारी नौकरी की मांग की क्योंकि उनके दो नाबालिग बच्चे भी हैं.

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