Unnao Rape Case: कुलदीप सिंह सेंगर केस की पूरी टाइमलाइन, सजा पर रोक और जमानत तक...जानें अभी तक क्या-क्या हुआ?
Unnao Rape Case: हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक लगाए जाने के बाद से पीड़िता दिल्ली में धरने पर बैठी रही. देखते ही देखते एकबार फिर ये मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया और पीड़िता को भी प्रदर्शन के दौरान समर्थन मिलने लगा. उन्नाव कांड के बाद कुलदीप सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. लेकिन हाईकोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने के मामला फिर बदल गया.
Unnao Rape Case, Kuldeep Sengar: पूरे देश की नजरे आज उन्नाव रेप केस की सुनवाई पर थी. क्योंकि हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक लगा दी थी, तबसे ये मामला एकबार फिर गरमा गया था. आज यानी 29 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई. CJI जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जे के महेश्वरी, जस्टिस ऑगस्टिन जार्ज मसीह की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. जिससे पीड़िता ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली होगी.
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दरअसल हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक लगाए जाने के बाद से पीड़िता दिल्ली में धरने पर बैठी रही. देखते ही देखते एकबार फिर ये मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया और पीड़िता को भी प्रदर्शन के दौरान समर्थन मिलने लगा. उन्नाव कांड के बाद कुलदीप सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. लेकिन हाईकोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने के मामला फिर बदल गया. चलिए हम आपको बताते हैं कि इस केस में शुरू से आखिर तक अब तक क्या कार्रवाई और फैसले लिए गए.
1. साल 2017 में माखी दुष्कर्म कांड से हिली थी राजनीति
माखी थाना क्षेत्र की खुद को नाबालिग बताने वाली 17 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि 4 जून 2017 को कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने आवास पर बुलाया और दुष्कर्म किया. पीड़िता का कहना था कि घटना के बाद वह अपने परिजनों के साथ माखी थाने पहुंची, लेकिन विधायक के प्रभाव के चलते पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया.
2. महीनों तक नहीं हुई कार्रवाई
जून 2017 से मार्च 2018 तक पीड़िता और उसके परिवार की लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. आरोप है कि स्थानीय स्तर से लेकर लखनऊ तक कई बार गुहार लगाने के बाद भी मामले को दबाए रखा गया.
3. पिता से मारपीट और जेल भेजे जाने का आरोप
3 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की गई. परिवार का आरोप था कि कुलदीप सेंगर के प्रभाव में पुलिस ने उल्टा पीड़िता के पिता को ही जेल भेज दिया. इसके कुछ ही दिनों बाद मामला और गंभीर हो गया.
4. सीएम आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास
8 अप्रैल 2018 को पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने की कोशिश की. इससे मामला अचानक देशभर में सुर्खियों में आ गया. पीड़िता और उसके परिवार का कहना था कि स्थानीय थाने से लेकर पुलिस मुख्यालय तक चक्कर काटने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद वह दिल्ली तक पहुंची और आत्मदाह की चेतावनी दी.
5. FIR और पिता की कस्टडी में मौत
मामले के तूल पकड़ने पर 8-9 अप्रैल 2018 को पहली एफआईआर दर्ज की गई. इसी दौरान 9 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया. परिवार ने इसे बदले की कार्रवाई बताया. जेल में कथित पिटाई के बाद उनकी हालत बिगड़ गई और अस्पताल में भर्ती कराने के बाद 10 अप्रैल 2018 को उनकी मौत हो गई. इसके बाद मामला रेप के साथ-साथ कस्टोडियल डेथ और साजिश तक पहुंच गया.
6. हाईकोर्ट का सवाल: “क्या विधायक कानून से ऊपर है?”
देशभर में गुस्से के माहौल के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और पूछा “क्या विधायक कानून से ऊपर है?” इसके बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. 13 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए और उसी रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
7. सुप्रीम कोर्ट का दखल, केस दिल्ली ट्रांसफर
एक अगस्त 2019 को उच्चतम न्यायालय ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरा केस उत्तर प्रदेश से हटाकर दिल्ली की तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित कर दिया. साथ ही पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश जारी किए गए.
8. उम्रकैद और जुर्माने की सजा
20 दिसंबर 2019 को तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी ठहराया. 21 दिसंबर 2019 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 10 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया गया.
9. पिता की मौत के मामले में भी दोषी करार
मार्च 2020 में दिल्ली की अदालत ने पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े मामले में भी कुलदीप सिंह सेंगर और सात अन्य को दोषी ठहराया. इस केस में उन्हें 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी.
10. सुरक्षा और हालिया घटनाक्रम
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक अगस्त 2019 से पीड़िता, उसके स्वजनों और वकील को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई थी, जो साढ़े छह साल से अधिक समय तक जारी रही. तीन अप्रैल 2025 को यह सुरक्षा हटा दी गई, हालांकि पीड़िता को दिल्ली यूनिट से सुरक्षा बहाल रखी गई है.





