जंतर-मंतर पर उलटा इंसाफ! कुलदीप सेंगर के सपोर्ट में उतरने वाली महिला कौन? पीड़िता को ही गिनाए कानून तो मचा बवाल- VIDEO
उन्नाव रेप केस में जंतर-मंतर पर पीड़िता और उसकी मां न्याय की मांग के लिए धरने पर थीं, तभी एक महिला कुलदीप सेंगर के समर्थन में सामने आई. उसने पीड़िता को कानून गिनाए और समर्थन में नारे लगाए, जिससे वहां बवाल मच गया और लोगों ने इसे उल्टा इंसाफ बताया.
उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज राजधानी दिल्ली का जंतर-मंतर एक बार फिर इंसाफ की पुकार से गूंज उठा. पीड़िता अपनी मां के साथ सड़क पर उतरी और फैसले के खिलाफ खुला विरोध दर्ज कराया. चारों तरफ नारे थे. 'कुलदीप सेंगर मुर्दाबाद', 'बेटियों को न्याय दो'- लेकिन इसी भीड़ के बीच एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने हर किसी को हैरान कर दिया.
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जब लोग कोर्ट के आदेश और दोषी करार दिए जा चुके पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ आक्रोश जता रहे थे, तभी अचानक एक महिला सेंगर के समर्थन में तख्ती लेकर सामने आ गई. विरोध स्थल पर पल भर में सन्नाटा और फिर हंगामा- आखिर ये महिला कौन थी? और सवाल ये भी कि बलात्कारी के समर्थन की हिम्मत आखिर कहां से आई?
कौन है सेंगर के समर्थन में खड़ी महिला?
जांच में सामने आया कि कुलदीप सेंगर के पक्ष में खड़ी यह महिला कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि एनजीओ ‘पुरुष आयोग’ की अध्यक्ष बरखा त्रेहान हैं. मौके पर मौजूद दिल्ली की महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने दावा किया कि सेंगर के समर्थन में आने वाली वह इकलौती महिला थीं.
योगिता भयाना ने कहा कि "मुझे लगता है कि वह मानसिक रूप से स्थिर नहीं है और उसे इलाज की जरूरत है. वह कुलदीप सिंह सेंगर का समर्थन करने वाली पहली और आखिरी महिला होगी." बरखा त्रेहान के साथ ‘पुरुष आयोग’ से जुड़े कुछ अन्य लोग भी मौजूद थे, जिसके बाद पीड़िता समर्थकों और सेंगर समर्थकों के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की तक की नौबत आ गई.
‘बिना सबूत नहीं, यह सजायाफ्ता बलात्कारी है’
पीड़िता के समर्थन में खड़े प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि उनका विरोध किसी अफवाह पर नहीं, बल्कि एक सजायाफ्ता बलात्कारी को मिली राहत के खिलाफ है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 'हम बिना सबूतों के बात नहीं कर रहे हैं. वह एक सजायाफ्ता बलात्कारी है, जिसे पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है. हम उसे मिली जमानत और सजा के निलंबन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं.' सवाल उठता है- जब कोर्ट पहले ही दोषी ठहरा चुका है, तो ऐसे में समर्थन का नैरेटिव आखिर किस एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है?
अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, बढ़ी पीड़िता की उम्मीद
उन्नाव रेप केस अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है. सोमवार को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी. कोर्ट की कार्यसूची के मुताबिक, CJI सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन जजों की वेकेशन बेंच इस मामले को सुनेगी. इसके अलावा अधिवक्ता अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार द्वारा दायर अलग याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें हाई कोर्ट के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है.
‘न्याय की लड़ाई है, पीछे नहीं हटेंगे’- पीड़िता का दर्द
दिल्ली हाई कोर्ट से कुलदीप सेंगर को जमानत मिलने के बाद पीड़िता और उसकी मां ने इंडिया गेट पर धरना दिया. पीड़िता का दर्द शब्दों में छलक पड़ा. पीड़िता ने कहा कि 'देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी, अगर रेप के आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा. मुझे जजमेंट सुनकर इतना दुख हुआ कि लगा सुसाइड कर लूं. मेरे दो मासूम बच्चे हैं, परिवार है… अगर मैं नहीं रहूंगी तो वे कैसे सुरक्षित रहेंगे? उन्होंने आगे कहा कि एक बेटी के साथ रेप होता है, उसके पिता को मार दिया जाता है, परिवार का एक्सीडेंट कराया जाता है, फिर भी आरोपी को जमानत मिल जाती है. मेरा परिवार यह सब कैसे सहेगा?" ये सवाल सिर्फ एक पीड़िता के नहीं, पूरे सिस्टम पर सीधा वार हैं.
क्या है पूरा उन्नाव रेप केस?
साल 2017 में उन्नाव में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला सामने आया था. जांच CBI ने की और 20 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए आदेश दिया कि वह मृत्यु तक जेल में रहेगा. उस पर ₹25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया और विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. भाजपा ने भी उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया था. हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा को सस्पेंड करते हुए सेंगर को चार शर्तों के साथ जमानत दी है. हालांकि वह अभी जेल में है, क्योंकि पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में उसे 10 साल की सजा भी मिली हुई है.
सबसे बड़ा सवाल: बलात्कारी को सहानुभूति क्यों?
जब एक पीड़िता इंसाफ के लिए सड़क पर है, तब दोषी के समर्थन में खड़े लोग क्या संदेश दे रहे हैं? क्या यह न्याय प्रणाली पर भरोसा तोड़ने की कोशिश नहीं? और क्या ऐसे मामलों में पीड़िता का मनोबल और सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा नहीं होना चाहिए?





