काशी में जरूरी राशि! अब गंगा घाटों पर आयोजन के लिए परमिशन लेने के साथ देना होगा चार्ज
Varanasi Ganga Ghats: वाराणसी के गंगा घाटों पर अभी किसी भी तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए शुल्क देना पड़ेगा. पहले इसके लिए अनुमति की जरूरत होती थी, लेकिन अब परमिशन के साथ पैसे भी देने होंगे. हालांकि गंगा आरती पर यह नियम लागू नहीं होगा. अनुमति के लिए आयोजक स्मार्ट काशी ऐप पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं.

Varanasi Ganga Ghats: उत्तर प्रदेश का वाराणसी, काशी या बनारस इसे इन तीनों ही नाम से जाना जाता है. हिन्दू धर्म में इसे एक पवित्र शहर माना जाता है. कहते हैं काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है. यह सबसे प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थल है, जहां रोजाना देश-विदेश के लोग आते हैं.
वाराणसी के गंगा घाट पर शाम की गंगा आरती को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. वाराणसी भीड़भाड़ वाला शहर है जो अपनी खान-पान और संस्कृति के लिए जाना जाता है. इसलिए गंगा घाटों पर बहुत से कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, लेकिन अब उन आयोजनों के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे.
कार्यक्रम के देने होंगे पैसे
जानकारी के अनुसार, वाराणसी में गंगा घाटों पर किसी भी तरह के आयोजन के लिए अब जेब ढिली करनी पड़ेगी. आयोजन के लिए परमिशन के साथ शुल्क भी देना अनिवार्य कर दिया गया है. इस संबंध में मंगलवार 25 मार्च को जानकारी दी गई है.
अधिकारी ने बताया कि घाट पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 880 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से देने होंगे. हालांकि गंगा आरती पर यह नियम लागू नहीं होगा. अनुमति के लिए आयोजक स्मार्ट काशी ऐप पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं.
पीआरओ का बयान
वाराणसी नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने कहा, अभी तक गंगा घाटों पर कार्यक्रम करने के लिए आयोजकों को पहले नगर निगम के ऑफिस जाकर अनुमति लेनी होती थी, जिसका कोई शुल्क नहीं लगता था. अब काशी के गंगा घाटों पर सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के लिए अनुमति के साथ-साथ शुल्क भी अनिवार्य होगा. इसके लिए ऑफिस आने की जरूरत नहीं स्मार्ट काशी ऐप पर जाकर अनुमति के लिए आवेदन किया जा सकता है.
काशी का सबसे फेमस घाट
बनारस में कुल 84 घाट हैं, लेकिन सबसे चर्चा में मणिकर्णिका घाट की चर्चा में रहता है. यह सबसे पुराने घाटों में से एक है. यहां पर 24 घंटे चिता जलती रहती है. कहते हैं जिसका मृतक के शव का अंतिम संस्कार यहां किया जाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. होली के मौके पर यहां पर चिता की राख से अघोरी होली खेलते हैं. यह होली देवों के देव महादेव को समर्पित होती है. मणिकर्णिका घाट का निर्माण देवी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था.