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गंगा तेरा पानी कितना निर्मल? CM योगी सच्‍चे या NGT की रिपोर्ट?

सीएम योगी ने यूपी विधानसभा में 19 फरवरी को एनजीटी की रिपोर्ट का जिक्र कर कहा कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में गंगा का पानी न केवल नहाने के लायक है, बल्कि इससे आचमन भी किया जा सकता है. हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस दावे का खंडन करते हुए बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर तंज कसा. वहीं, एनजीटी ने गलत जानकारी देने को लेकर UPPCB को फटकार भी लगाई है.

गंगा तेरा पानी कितना निर्मल? CM योगी सच्‍चे या NGT की रिपोर्ट?
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Mahakumbh 2025 Prayagraj Ganga Water Quality: प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने महाकुंभ में पहुंच रहे हैं. अब तक 56 करोड़ से अधिक लोग पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं. इस बीच गंगा के जल को लेकर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक तरफ जहां विधानसभा में कहा कि गंगा का पानी न केवल पीने, बल्कि आचमन करने के भी लायक है, वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसका खंडन करते हुए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल यानी एनजीटी की रिपोर्ट का जिक्र किया. उन्होंने तंज कसते हुए यह भी कहा कि यूपी वाले पूछ रहे हैं कि दिल्ली और लखनऊ के बीच चल क्या रहा है.

अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जब एनजीटी को बताया, तब ये समाचार सामने आया कि प्रयागराज में गंगा जी का 'जल मल संक्रमित' है.लखनऊ में सदन के पटल पर इस रिपोर्ट को झूठ साबित करते हुए कहा गया कि सब कुछ ‘नियंत्रण’ में है. दरअसल, लखनऊवालों का मतलब था ‘प्रदूषित पानी’ के समाचार को फैलने से रोकने के लिए मीडिया पर नियंत्रण है. जनता पूछ रही है कि ‘न्यायालय की अवमानना’ की तरह किसी पर ‘सरकारी बोर्ड या प्राधिकरण की अवमानना’ का मुक़दमा हो सकता है क्या? यूपीवाले पूछ रहे हैं : दिल्ली-लखनऊ के बीच ये चल क्या रहा है?

'संगम के पास BOD की मात्रा 3 से कम है'

इससे पहले, सीएम योगी ने यूपी विधानसभा में फीकल बैक्टीरिया रिपोर्ट पर कहा कि त्रिवेणी के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. संगम और उसके आसपास के सभी पाइप और नालों को टेप कर दिया गया है. पानी को शुद्ध करने के बाद ही उसे गंगा में छोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है. आज की रिपोर्ट के अनुसार संगम के पास BOD की मात्रा 3 से कम है और घुलित ऑक्सीजन 8-9 के आसपास है. इसका मतलब है कि संगम का पानी न केवल नहाने के लिए, बल्कि आचमन के लिए भी उपयुक्त है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि फेकल कोलीफॉर्म बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं- जैसे सीवेज लीकेज और जानवरों का मल, लेकिन प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानकों के अनुसार 2,500 MPN प्रति 100 ml से कम है. इसका मतलब है कि झूठा अभियान केवल महाकुंभ को बदनाम करने के लिए है. NGT ने भी कहा है कि फेकल अपशिष्ट 2000 MPN प्रति 100 ml से कम था. कोलीफार्म बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाया जाता है. यह मनुष्य या पशु अपशिष्ट की गंदगी से जुड़ा होता है.

एनजीटी ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लगाई फटकार

दूसरी तरफ, एनजीटी ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को फटकार लगाई है. उसका कहना है कि UPPCB ने संगम के पानी को लेकर पर्याप्त जानकारी दी. एनजीटी ने यूपी सरकार को एक हफ्ते में नई रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच ने यूपी सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना का पानी पीने लायक सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे, जिस पर हाल ही में CPCB ने एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि गंगा के पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया है. इस पर बेंच ने UPPCB को फटकार लगाई है.

'आपने 50 करोड़ लोगों को सीवेज के पानी से स्नान करा दिया'

बेंच ने कहा कि आपने 50 करोड़ लोगों को सीवेज के पानी से स्नान करा दिया. ऐसा पानी, जो नहाने लायक भी नहीं था, उससे आपने लोगों को आचमन करा दिया. वहीं, रिपोर्ट दायर नहीं कर बेंच ने UPPCB से कहा कि लगता है कि आप किसी दबाव में हैं. UPPCB ने 19 फरवरी को एनजीटी को कम्पलायंस रिपोर्ट सौंपी. इस दौरान बताया गया कि उसने सीपीसीबी से उन जगहों के बारे में पूछा है, जहां से सैंपल इकट्ठे किए गए हैं.

सीपीसीबी का कहना है कि गंगा जल में बोओडी की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक है. बीओडी पानी की गुणवत्ता तय करने का एक पैरामीटर है. सीपीसीबी ने बताया कि उसने 6 मानकों पर गंगा के पानी को जांचा है. ये सैंपल 12,13,14,15 और 19 जनवरी को लिए गए थे. पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 2500 यूनिट से कम होना चाहिए, लेकिन सैंपल्स में यह मात्रा ज्यादा पाई गई.

'महाकुंभ के आयोजन को बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी'

बता दें कि सीएम योगी ने विधानसभा में विपक्ष पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि दुष्प्रचार की भी एक सीमा होती है. आज उस सीमा को भी आप लोगों ने पार कर महाकुंभ के आयोजन को बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी है.

'समाजवादी पार्टी झूठ बोल रही है'

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी झूठ बोल रही है कि स्नान नहीं हुआ है. उन्होंने सपा से कहा कि महाकुंभ और आस्था पर प्रश्न खड़ा मत करिए. उन्होंने कहा कि महाकुंभ के आयोजन में तुष्टीकरण नहीं, 56 करोड़ लोगों के आने का संतुष्टीकरण है, भारत का संतुष्टीकरण है, दुनिया का संतुष्टीकरण है.

'2013 कुंभ आयोजन के लिए राज्य सरकार ने नहीं दिए पैसे'

सीएम योगी ने कहा कि साल 2014 में कुम्भ-2013 के विषय में CAG की रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि कुम्भ में ₹1,141 करोड़ 63 लाख केंद्र सरकार के खर्च हुए और वहीं मात्र ₹10 करोड़ 57 लाख राज्य सरकार ने खर्च किए थे, यानी पैसा ही नहीं दिया आयोजन के लिए..

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