गाजियाबाद मकान मालकिन हत्या मामला: तांत्रिक की हुई एंट्री, 2 साल में बदले 4 मकान; हुआ चौंकाने वाला खुलासा
बीते कुछ दिनों पहले गाजियाबाद में मकान मालकिन की हत्या कर दी गई थी. जिसके आरोपी फिलहाल पुलिस की हिरासत में है. पुलिस पूछताछ में दोनों आरोपियों ने मामले को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के चलते उन्होंने हत्या को अंजाम दिया.
Ghaziabad Murder Case: गाजियाबाद में मकान मालकिन की हत्या का मामला जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसकी परतें और भी डरावनी होती जा रही हैं. पुलिस पूछताछ में सामने आई आरोपी दंपती की कहानी अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और मानसिक भय के ऐसे जाल को उजागर करती है, जिसने एक परिवार को अपराध की खाई में धकेल दिया.
स्टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्सक्राइब करने के लिए क्लिक करें
पुलिस हिरासत में आरोपी अजय और उसकी पत्नी आकृति ने जो बयान दिए हैं, उन्होंने जांच अधिकारियों को भी चौंका दिया है. आरोपियों का दावा है कि उन्होंने मकान मालकिन को एक सामान्य इंसान नहीं, बल्कि किसी भूत-बाधा का रूप मान लिया था, इसी भ्रम और डर के बीच वारदात को अंजाम दिया गया.
पुलिस पूछताछ में हुआ खुलासा
पुलिस के अनुसार, पूछताछ के दौरान अजय और आकृति ने बताया कि मकान मालकिन के चिल्लाने पर उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि तांत्रिक जिस दुष्ट शक्ति की बात करता था, वही उनके सामने आ गई है. उस वक्त हमें लगा कि सामने इंसान नहीं, कोई भूत-बाधा है. इसके बाद हम खुद पर काबू नहीं रख पाए. पुलिस का कहना है कि यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि आरोपी पूरी तरह अंधविश्वास और मानसिक भय के प्रभाव में थे.
तांत्रिकों के जाल में फंसा परिवार
जांच में सामने आया है कि अजय पिछले दो वर्षों से हापुड़ और लोनी के अलग-अलग तांत्रिकों के संपर्क में था. उसके दो बच्चों की बीमारी से मौत हो चुकी थी और वह दोबारा पिता बनना चाहता था. तांत्रिकों ने उसे यह यकीन दिलाया कि उसके आसपास नकारात्मक शक्तियां हैं और जिस घर में वह रह रहा है, वहां भूत-बाधा है. इसी डर के चलते अजय ने बीते दो सालों में चार बार मकान बदले. हर बार उसे लगता था कि नया घर उसकी परेशानियों का समाधान करेगा, लेकिन हालात और बिगड़ते चले गए.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अजय और आकृति नियमित रूप से पूजा-पाठ और तंत्र-मंत्र में शामिल होने लगे. यही नहीं, वे कथित तौर पर श्मशान में होने वाली पूजा में भी गए. आरोपियों को उम्मीद थी कि इससे उनका कारोबार चलेगा और उन्हें संतान सुख मिलेगा. लेकिन न तो आर्थिक स्थिति सुधरी और न ही उनकी पारिवारिक परेशानियां खत्म हुईं. धीरे-धीरे अंधविश्वास और भय ने उनके दिमाग पर पूरी तरह कब्जा कर लिया.





