EXCLUSIVE: 'मुझे विधवा और मेरी औलाद को यतीम मत करना', जब DON शौहर की जिंदगी को DGP से गिड़गिड़ाई मास्टरमाइंड बेगम
पूर्व DGP विक्रम सिंह ने खुलासा किया कि माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन उनसे पति की जान की भीख मांगने आई थी. उन्होंने कहा, “मुझे विधवा और बच्चों को यतीम मत बनाइए.” विक्रम सिंह के मुताबिक, अतीक और अशरफ जैसे गुंडे उनकी DGP तैनाती से पहले ही डर गए थे. शाइस्ता अपने बेटे असद के साथ उनसे मिली, जो बाद में एनकाउंटर में मारा गया. विक्रम सिंह ने साफ कहा कि अगर अतीक सुधरता नहीं, तो कानून अपना काम करेगा.

सब वक्त वक्त की बात है. एक जमाना था जब यूपी के प्रयागराज (इलाहाबाद) की गलियों में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की बदमाशी की दुनिया में तूती बोला करती थी. राजनीतिक पार्टी के संरक्षण से जब वह सांसद-नेता बनकर देश की संसद में पहुंच गया, तो उसका बेकाबू हो जाना लाजिमी था. जब बेकाबू हुआ तब उसका अंत भी जरूरी था. 15-16 अप्रैल 2023 को रात के वक्त अतीक अहमद और अशरफ का अंत किस कदर डरावना हुआ, जमाने ने अपनी आंखों से देखा था. ऐसे हाई-प्रोफाइल बदमाश की मास्टरमाइंड बीवी को जब लगा कि अब उसके लुच्चे शौहर की शामत आनी तय है तो वह सिहर उठी. लिहाजा मरता क्या न करता वाली कहावत को अमल में लाकर, खुद को लेडी डॉन समझने वाली हड़बड़ाई शाइस्ता उर्फ शैस्ता परवीन (Most Wanted Shaista Parveen) जा पहुंची उत्तर प्रदेश के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह की देहरी पर. मतलबपरस्ती के लिए उन्हें अपना भाई बनाकर, अपने सुहाग की रक्षा की भीख मांगने.
यह सच्चा किस्सा खुद 1974 बैच के पूर्व आईपीएस रिटायर्ड डीजीपी यूपी डॉ. विक्रम सिंह (Former Retired DGP UP Police IPS Dr Vikram Singh) ने ही बयान किया है. जुलाई 2025 के अंतिम दिनों में डॉ. विक्रम सिंह स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन से विशेष बात कर रहे थे. उनसे पूछा गया था कि उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Chief Mayawati) के मुख्यमंत्रित्व काल में जब उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े सूबे की पुलिस का बॉस यानी पुलिस महानिदेशक (DGP UP) बनाया गया, तब उस दौरान की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कई बातें बेबाकी से साझा कीं.
मेरे बिना कुछ करे वे खुद ‘नपुसंक’ बन गए!
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बोले, “मायावती जी के शासनकाल में एक पुलिस महानिदेशक के रूप में काम करने का जितना फ्रीहैंड मौका मुझे मिला, शायद ही तब से पहले और उसके बाद किसी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में किसी अन्य पुलिस महानिदेशक को इतना खुलकर काम (पुलिसिंग) करने की स्वतंत्रता नसीब में आई होगी. हां, साल 2007 से 2009 तक के मैं अपने पुलिस महानिदेशक कार्यकाल की अगर उपलब्धियों का जिक्र करूं तो वह था, खुद को देश का सबसे बड़ा डॉन कहने-मानने वाले प्रयागराज-इलाहाबाद की गलियों के टुच्चे गुंडा ब्रदर्स अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ को घुटनों पर ला देना. जिसके लिए मुझे पुलिस महानिदेशक बनने पर रत्ती भर भी मेहनत नहीं करनी पड़ी. मेरी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की पूर्व में यूपी पुलिस में बन चुकी छवि ने अपने आप ही अतीक अहमद और अशरफ जैसे गुंडों की गुंडई को नपुंसक बना डाला था.”
मेरे DGP बनने से अतीक-अशरफ खौफजदा
स्टेट मिरर हिंदी के साथ खास बातचीत जारी रखते हुए यूपी के रिटायर्ड डीजीपी डॉ. विक्रम सिंह (IPS Dr Vikram Singh) कहते हैं, “मैं अतीक अहमद (Mafia Gangster Atiq Ahmed) और अशरफ (Mafia Gangster Ashraf) की औकात तो काफी पहले से जानता था. जिन्हें पूरी यूपी पुलिस डॉन, खतरनाक बदमाश, ऊंची पहुंच वाला समझती थी. जिन्हें सूबे के नेताओं का खुला संरक्षण था. जिनके दरवाजे खाकी वर्दी की जाने की औकात नहीं होती थी. वह अतीक अहमद और उसका पिछलग्गू बदमाश भाई अशरफ मेरी नजर में प्रयागराज-इलाहाबाद की गली के सड़कछाप गुंडा-मवाली से ज्यादा कुछ नहीं थे. चूंकि मेरे पास अतीक जैसों को तब उनकी औकात बताने की कानूनी ताकत नहीं थी. इसलिए हमेशा तब तक खामोश रहा जब तक कि मुझे यूपी का डीजीपी न बना दिया गया. अपराधियों के जेहन में क्या मेरे खुद अपने दिल-ओ-दिमाग में कभी यह ख्वाब नहीं पला कि, मैं यूपी पुलिस का चीफ-महानिदेशक बनाया जाऊंगा. जब मुझे सूबे का डीजीपी बनाया गया तो मैं खुद और अतीक अहमद असरफ जैसे गुंडे-मवाली भी चक्कर में आ गए कि यह क्या हो गया?”
अतीक-अशरफ निशाने पर तो थे मगर...
“जब मैं साल 2007 में यूपी का डीजीपी बन ही गया और मुझे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती जी ने कानून के हित में स्वतंत्र पुलिसिंग करने की इजाजत दे दी, तो मेरी नजरें सबसे पहले नेताओं के ही पाले हुए गली के गुंडा-बंधु अतीक अहमद और जीवन-पर्यन्त उसकी स्टेपनी की तरह पीछे पीछे घिसटते रहने वाले अशरफ की तरफ गई. यह सब तो मैं खुद से ही सोच रहा था कि सबसे पहले इन दोनों आतताइयों को ही शांत करुंगा जिन्होंने प्रयागराज-इलाहाबाद की बहन-बेटियों, आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है. मेरे मन की यह मंशा कहिए या फिर यूपी पुलिस महकमे में मेरी पहले से बनी छवि की दहशत का साया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और अशरफ को सपने में जाकर जगा आया. मेरे बिना-कुछ करे-धरे ही एक दिन देखता हूं कि अतीक अहमद की बेगम साहिबा (जिन्हें आज बीते दो तीन साल से यूपी एसटीएफ तलाश रही है और मैडम हैं कि हाथ ही नहीं लग रही हैं कानून के) शाइस्ता परवीन लखनऊ पुलिस मुख्यालय में मेरी देहरी पर खड़ी थीं. उनके साथ एक छोटा बेहद खूबसूरत बच्चा भी था.
मासूम बच्चा बाद में गुंडा बन मुठभेड़ में ढेर
बच्चे का परिचय उन्होंने अपने और अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के रूप में कराया. दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अपने कुकर्मों के चलते वही बच्चा असद अहमद जब बाप और चाचा के नक्श-ए-कदम पर आगे बढ़ता हुआ टॉप का शूटर-गुंडा बना, तो उसे साल 2023 में झांसी में हुए एनकाउंटर में यूपी एसटीएफ ने हमेशा के लिए शांत कर दिया. अतीक अहमद की बीवी मेरे सामने बैठते ही बोली कि आप मेरे भाई हैं. मैं आपसे दरखास्त करने आई हूं कि, आप मेरे पति (बदमाश अतीक अहमद) पर हाथ न डालें (मतलब मैं या मेरी पुलिस अतीक अहमद का एनकाउंटर न करें). वरना मैं विधवा हो जाऊंगी और मेरे बच्चे यतीम (लावारिस बिना बाप के) हो जाएंगे. मैं समझ गया कि वह मुझे अपनी लच्छेदार बातों में उलझाकर, अपने उस गली के गुंडा-बदमाश पति की जिंदगी की भीख मांगने पहुंची थी, जिसने प्रयागराज इलाहाबाद के आमजन का जीना हराम कर रखा था.”
बेगम का इरादा ‘संदेहास्पद’ लगा सो मैंने...
“अतीक अहमद गुंडा था. मेरे सामने पुलिस महानिदेशालय में मौजूद उसकी बीवी का शायद तब तक उतना बड़ा अपराध नहीं रहा होगा. न ही उसके साथ मौजूद 5-6 साल के उसके बेटे असद का ही बाप के गुंडा बनने में कोई दोष था. अपने कुकर्मों के लिए तो सीधे तौर पर जिम्मेदार खुद अतीक अहमद और उसका भाई मोहम्मद अशरफ था. लिहाजा मैंने शाइस्ता और उसके बेटे असद से एक पुलिस महमके का मुखिया होने के नाते और एक इंसान होने के नाते, बेहद सलीके से ही बात की. जो मेरी प्राथमिक जिम्मेदारी भी थी. हां, जिस तरह मुझे या मेरी पुलिसिंग क्षमता को आंकने के बाद अतीक की बीवी शाइस्ता मेरे सामने पहुंची थी, वह उसका इरादा कुछ संदेहास्पद था.”
डॉन पति के जिंदगी की भीख तो मांग रही थी मगर...
नेताओं के पाले-पोसे गली के गुंडे से डॉन बनकर दुनिया से अकाल मौत मरकर जा चुके अतीक अहमद की बीवी से हुई उस यादगार भेंट की सच्ची कहानी सुनाते हुए यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं, “वह मुझसे तो अपने पति के जीवन की भीख मांगने आ गई. ऐसे में मेरे जेहन में सवाल कौंधना लाजिमी था कि वह (अतीक की बीवी) अपने बदमाश पति अतीक अहमद और गुंडा उसके पिछलग्गू अपने देवर अशरफ को क्यों नहीं काबू करती है, जो दिन दहाड़े किसी भी कमजोर के घर में घुसकर मां-बेटी तक को नहीं बख्शते हैं.
यही सब गुणा-गणित लगाकर मैंने शाइस्ता से दो टूक कह दिया था कि, आप विधवा होना नहीं चाहती हैं और अपने बच्चों के सिर से पति का साया न उठवाकर उन्हें यतीम बनने से भी बचाना चाहती हैं. तो इसमें मैं या यूपी पुलिस कुछ नहीं कर सकती है. सब कुछ आपको और आपके पति को ही करना होगा. आपका पति औकात में आ जाए. कानून के खिलाफ खुराफातें बंद करे. इलाके में बदमाशी से तौबा कर ले. तब तो वही सब हो सकेगा जो तुम चाहती हो. वरना फिर तो वही होगा जो कानून को मुनासिब लगेगा.”