Bareilly Violence: समय रहते संभाला नहीं तो... मौलाना ने कर ली थी बरेली को जलाने की तैयारी, कौन कर रहा था कंट्रोल?
बरेली शहर में एक बार फिर खतरनाक स्थिति पैदा होने वाली थी. मौलाना तौकीर रजा ने सात दिनों से एक योजनाबद्ध साजिश रच रखी थी, जिसमें शहर को जलाने और उपद्रव फैलाने की तैयारी थी. भड़काऊ बयान देकर और प्रदर्शन के नाम पर लोगों को इकट्ठा करके, मौलाना ने हिंसा को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी इंटरनेट मीडिया के हाथों में दे दी थी.

बरेली की गलियों में इस बार भी 2010 जैसे दंगों की आहट सुनाई दी. शहर एक बार फिर अशांति के दौर से गुजर सकता था, लेकिन पुलिस ने समय रहते स्थिति संभाल ली. मौलाना तौकीर रजा ने फिर से अपने पुराने खेल को दोहराते हुए शहर को जलाने की साजिश रची.
यह मामला कड़ी कार्रवाई के बाद बेनकाब हो गई. इस बार पुलिस ने समय रहते हालात को काबू में कर लिया, वरना नतीजे और भी खतरनाक हो सकते थे. दरअसल पुलिस को पहले कहा गया था कि वह प्रदर्शन नहीं करेंगे, लेकिन फिर हुआ बिल्कुल इसके उलटा. तकरीबन सात दिनों से साजिश की जा रही थी.
एक झूठे पत्र से गुमराह
कहानी की शुरुआत एक पत्र से हुई. मौलाना ने प्रशासन को भरोसा दिया कि कोई प्रदर्शन नहीं होगा. पुलिस के लिए यह खबर एक राहत की सांस थी. लेकिन यह राहत ज्यादा देर टिकी नहीं. अगले ही दिन सोशल मीडिया पर मौलाना का भड़काऊ वीडियो सामने आया, जिसने हालात को पल भर में बदल दिया. पुलिस समझ चुकी थी कि जो पत्र आया था, वह असल में एक बड़ी साजिश का हिस्सा था.
नमाज के बाद अचानक हमला
उस शुक्रवार की दोपहर, 80 प्रतिशत नमाज पूरी होते ही बड़ी संख्या में भीड़ बाहर निकल आई. उनके हाथों में सिर्फ तख्तियां या झंडे नहीं थे, बल्कि पत्थर, हथियार, चाकू, लाठियां और पेट्रोल बम तक मौजूद थे. जैसे ही उन्होंने पुलिस पर हमला करना शुरू किया, शहर की सड़कों पर अफरा-तफरी मच गई. पुलिसकर्मी भी हैरत में पड़ गए कि इतने बड़े पैमाने पर हमला कैसे पहले से प्लान हो सकता है.
पुलिस की कार्रवाई
हालांकि, पुलिस ने इस बार अपनी तैयारी पुख्ता रखी थी. एसएसपी ने अलग-अलग प्वाइंट्स पर फ़ोर्स तैनात कर रखा था. जैसे ही उपद्रवियों ने हमला शुरू किया, पुलिस ने मौके पर उन्हें घेरकर हालात काबू में कर लिए. यही तेजी वह दीवार बनी, जिसने शहर को दुबारा जलने से रोक लिया.
बरामद हुए हथियार और पेट्रोल बम
घटनास्थल से पुलिस को ऐसे सबूत मिले, जिन्होंने पूरी साजिश का असली चेहरा उजागर कर दिया. वहां से पेट्रोल बम, कारतूस और तमंचे बरामद किए गए. इससे साफ हो गया कि यह कोई अचानक भड़की भीड़ नहीं थी बल्कि पूरी तरह सोची-समझी योजना थी.
साजिश के धागे सोशल मीडिया से जुड़े
जब पुलिस ने जांच को और गहराई में ले जाया, तो सामने आया कि यह पूरा उपद्रव इंटरनेट मीडिया के जरिए कंट्रोल किया जा रहा था। आइएमसी संगठन के पदाधिकारी नदीम और अनीस समेत कई नाम इसमें जुड़े पाए गए. पुलिस ने जब उनके मोबाइल फोन खंगाले, तो साजिश की परतें एक-एक कर खुलती चली गईं. नदीम के फोन से उपद्रव के वक्त की कई संदिग्ध कॉल्स पकड़ी गईं. इससे पुख्ता हुआ कि दंगाइयों को निर्देश सोशल मीडिया और फोन के जरिए दिए जा रहे थे.
सात दिन पहले से हो रही थी प्लानिंग
जांच ने यह भी साफ कर दिया कि मौलाना इस साजिश को पिछले सात दिनों से रच रहे थे. बैठकों में अंदरखाने योजना बनाई जा रही थी, जिसमें प्रदर्शन मात्र बहाना था. असल मकसद शहर की शांति को तोड़कर दंगों का नजारा दोहराना था.