मौलाना तौकीर रजा गिरफ्तार, इंटरनेट 48 घंटे के लिए बंद और सीएम योगी की सख्त चेतावनी... बरेली हिंसा मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
बरेली में मौलाना तौकीर रज़ा खान के ‘I Love Muhammad’ अभियान के समर्थन में विरोध प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसके चलते उन्हें और सात अन्य लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया. भीड़ ने कोतवाली मस्जिद और आसपास के इलाकों में पथराव और तोड़फोड़ की, जिससे कई दुकानें बंद करनी पड़ीं. इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए बंद कर दी गईं और पुलिस ने 36 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त चेतावनी दी, जबकि विपक्ष ने कार्रवाई पर सवाल उठाए.

Bareilly violence Maulana Tauqeer Raza arrest, I Love Muhammad campaign: बरेली में शुक्रवार की नमाज़ के बाद भड़की हिंसा का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. शनिवार को पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार कर लिया. उन पर ‘I Love Muhammad’ कैंपेन के समर्थन में बिना अनुमति मार्च निकालने और हिंसा भड़काने का आरोप है. मौलाना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
शुक्रवार की नमाज़ के बाद कोतवाली मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की तो माहौल बिगड़ गया. देखते ही देखते कुछ लोग पथराव करने लगे. हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा. हिंसा दरगाह-ए-आला हज़रत और इस्लामिया ग्राउंड तक फैल गई. आलमगीरगंज, सिविल लाइंस, बड़ा बाज़ार और बंसमंडी में दुकानों को बंद करना पड़ा.
बरेली हिंसा मामले में अब तक क्या हुआ?
- शुक्रवार की नमाज़ के बाद कोतवाली मस्जिद से शुरू हुआ प्रदर्शन दरगाह-ए-आला हज़रत और इस्लामिया ग्राउंड तक फैल गया. हिंसा की वजह से आलमगीरगंज, सिविल लाइंस, बड़ा बाज़ार और बंसमंडी की दुकानें बंद हो गईं. पुलिस ने शनिवार सुबह फैयज़ एन्क्लेव से मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार किया.
- अधिकारियों का कहना है कि मौलाना ने अपने समर्थकों को गुमराह किया और कहा कि वह दिल्ली जा चुके हैं. उनके साथ 7 अन्य लोगों, सरफराज, मनीफुद्दीन, अज़ीम अहमद, मोहम्मद शरीफ, मोहम्मद आमिर, रेहान और मोहम्मद सरफराज को भी जेल भेजा गया है. जिला मजिस्ट्रेट अविनाश सिंह और एसएसपी अनुराग आर्य ने गिरफ्तारी की पुष्टि की.
- डीआईजी अजय कुमार साहनी ने हिंसा को 'पूर्व नियोजित साज़िश' बताया. प्रशासन ने बताया कि मौलाना ने जुलूस की अनुमति न मिलने के बावजूद मार्च का ऐलान किया. इस दौरान बीएनएसएस की धारा 163 लागू थी, जिसके तहत बिना अनुमति किसी भी सार्वजनिक सभा पर रोक है.
- स्थिति को नियंत्रित करने और अफवाहें रोकने के लिए पूरे जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं. पुलिस ने हिंसा से जुड़े वीडियो खंगाले और अब तक 36 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
- कुल 11 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 2,000 से ज्यादा लोगों को नामजद किया गया है. इनमें से दो मामलों में सीधे मौलाना तौकीर रज़ा का नाम है.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ चेतावनी दी है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, “अराजकता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है. जो भी नागरिकों पर हमला करेगा या सुरक्षा को चुनौती देगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.”
- विपक्ष ने सरकार और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि I Love Muhammad कैंपेन अपराध नहीं है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पुलिस कार्रवाई को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा. दूसरी ओर बीजेपी हाईकमान ने अपने नेताओं को हिदायत दी है कि वे इस मामले पर अनावश्यक बयानबाज़ी से बचें.
- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "ऐसा कोई मुसलमान नहीं जिसके दिल में मुहम्मद के लिए प्यार न हो. उनके लिए प्यार के बिना, कोई मुसलमान, मुसलमान नहीं हो सकता. इसलिए, नमाज़ के बाद इसे इस तरह दिखाने की कोई ज़रूरत नहीं है. मुसलमान होने का मतलब है कि आपके दिल में प्यार है. इसके बिना, आप मुसलमान नहीं हैं. कुछ लोग इधर-उधर लोगों को भड़का रहे हैं, और नफ़रत फैलाने की बातें कर रहे हैं. बरेली में लोग बाहर निकले. वे बाहर क्यों निकल रहे हैं? मस्जिदें नमाज़ के लिए होती हैं. गुमराह मत होइए. जब पुलिस आप पर लाठीचार्ज करती है तो उसे दया नहीं आती. जब पुलिस आपको गोली मारती है तो उसे दर्द नहीं होता... मस्जिदें नमाज़ अदा करने के लिए होती हैं और उन्हें नमाज़ अदा करने के लिए ही रहना चाहिए.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह पूरा विवाद 4 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस से शुरू हुआ, जब कानपुर में ‘I Love Muhammad’ बोर्ड लगाए गए. 9 सितंबर को पुलिस ने 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज की. कुछ हिंदू संगठनों ने इसे परंपरा से हटकर और भड़काऊ कदम बताया. मामला जल्द ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ उत्तराखंड और कर्नाटक तक फैल गया, जहां प्रदर्शन और पुलिस एक्शन देखने को मिला.