कौन हैं मौलाना तौकीर रजा, जिनके आह्वान पर बरेली में भड़का 'I Love Mohammad' विवाद, बार-बार विवादों में क्यों आता है नाम?
यूपी के बरेली जिले में 'आई लव मोहम्मद' विवाद के बाद मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर जुमे के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ. भीड़ बेकाबू हो गई और बाजारों में अफरा-तफरी मच गई. पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति नियंत्रण में ली और दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया. तौकीर रजा पर पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं और एनएसए जैसी कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है.

यूपी का बरेली जिला फिर से सुर्खियों में है. इस बार वजह है 'I Love Muhammad' विवाद के बाद हुई सड़क विरोध-प्रदर्शन और बेफिक्री में भड़की हिंसा. जुमे की नमाज के बाद माहौल गरमा गया और बड़े पैमाने पर लोगों के सड़कों पर उतरने से भीड़ बेकाबू हुई, बाजारों में अफरा-तफरी मच गई और सुरक्षा बलों को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी.
पुलिस ने पहले से ही हाई अलर्ट जारी कर दिया था ताकि जुमे की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके, पर नमाज़ के बाद जुटी भीड़ ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की जिससे पुलिस को लाठीचार्ज और होटल-रोडवेज बस रोकने जैसे कदम उठाने पड़े. इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए और दर्जनों प्रदर्शनकारी पकड़े गए, जिससे कानून-व्यवस्था पर सवाल फिर उठने लगे.
कौन हैं तौकीर रजा?
तौकीर रजा खान बरेली के एक प्रभावशाली मुस्लिम नेता और मौलाना हैं जिनका संबंध बरेलवी परंपरा से बताया जाता है. वे इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष के रूप में सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर अपने समर्थकों में खासी पैठ रखते हैं. परपोते होने के नाते उन्हें अहमद रजा खान की विरासत से जोड़ा जाता है और धार्मिक-सामाजिक मुद्दों पर उनकी आवाज मजबूत मानी जाती है. उनकी पॉलिटिकल इमेज धार्मिक नेतृत्व के साथ-साथ परोक्ष रूप से सार्वजनिक विरोध-आंदोलन खड़ा करने वाली भी है. आलोचक उन्हें कट्टरवादी रुझानों के लिए जिम्मेदार मानते हैं जबकि समर्थक उन्हें समुदाय के हितों का प्रतिनिधि दिखाते हैं.
कब-कब विवादों में रहे?
- 2010 के दंगों से जिनका नाम जुड़ा, मामला अभी कोर्ट में लंबित रहा.
- ज्ञानवापी और अन्य राष्ट्रीय स्तर की सियासी घटनाओं पर उनके आह्वान से बड़े प्रदर्शन हुए.
- 2020 में संभल के नखासा थाने में धमकी देने का केस दर्ज हुआ था.
- बरेली के प्रेमनगर थाने में जानलेवा हमला और तोड़फोड़ के आरोपों की एफआईआर और चार्जशीटें दर्ज हैं.
- फरीदपुर थाने में धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला भी दर्ज हो चुका है.
- कोर्ट समन का पालन न करने पर गैर जमानती वारंट और कुर्की नोटिस भी जारी हुए.
ये बहुचर्चित घटनाएं दर्शाती हैं कि मौलाना का विवादों से पुराना नाता है और हर बार उनके बुलावे पर सार्वजनिक माहौल तनावपूर्ण बनता आया है.
'I Love Muhammad' विवाद क्या है?
मामला कानपुर से शुरू हुआ जब बरावफात जुलूस के दौरान 'I Love Muhammad' के पोस्टर और बैनरों को लेकर विवाद खड़ा हुआ. उस घटना के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने उसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की धमकी दी. विवाद जल्दी ही आगरा, वाराणसी, लखनऊ, मेरठ, बरेली, सीतापुर और प्रयागराज जैसे शहरों तक फैल गया और सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया.
तौकीर रजा ने इस विवाद में सक्रिय भूमिका निभाई और कार्रवाई रद्द करने तथा सरकार को दबाव में लाने के लिए प्रदर्शन का आह्वान किया. उनके आह्वान ने स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर जुड़ाव पैदा कर दिया और प्रशासन के लिये नियंत्रण बनाए रखना मुश्किल हो गया.
जुमे के बाद हुई हिंसा
जुमे के बाद बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ने लगे. पुलिस ने भीड़ को समझाने की कोशिशें कीं लेकिन नाकाम रहने पर नियंत्रण के लिये बल का प्रयोग किया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार 10 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया. कई दुकानों ने अपने शटर गिरा दिए और रोडवेज बसों को रोककर माहौल और तनावपूर्ण बना दिया गया.
प्रशासन ने बाद में कहा कि भीड़ में कुछ लोगों ने बच्चों को आगे कर सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की, जिससे स्थिति और नाजुक हुई. इस बात के साक्ष्य मिलने पर बच्चों को भीड़ में लाने वाले माता-पिता के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.
कानूनी स्थिति और NSA पर विचार
पुलिस के पास मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ पहले से दर्ज कई मुकदमे हैं और कुछ मामलों में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. कोर्ट ने कई मौकों पर उन्हें उपस्थित होने का या जवाब देने का आदेश दिया, पर नहीं हाजिर होने पर गैर-जमानती वारंट और कुर्की की कार्यवाही भी शुरू हुई थी. अप्रैल 2024 में कुर्की की नोटिसें चस्पा की गईं और बाद में दो नजदीकी सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
हालिया हिंसा के बाद प्रशासन ने उच्चतम स्तर पर रिपोर्ट भेजकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे NSA लगाने पर विचार करने की सिफारिश की है. यह संकेत है कि पुलिस अब सिर्फ सामान्य आपराधिक धाराओं से आगे बढ़कर, सार्वजनिक सुरक्षा के लिहाज से सख्त कदम उठाने की तैयारी में है.
सामाजिक परिणाम और आगे की राह
बरेली की घटनाओं ने इलाके में सामाजिक ताने-बाने को हिलाया है और धार्मिक-सांप्रदायिक भरोसे पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और बच्चों को भीड़ का हिस्सा बनाने वाले माता-पिता को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा. स्थानीय व्यापार, स्कूल और रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर इसका नकारात्मक असर दिख रहा है.
आगे का रास्ता बातचीत और कड़े प्रशासनिक एवं न्यायिक कदमों का मिश्रण होगा. समस्या का स्थायी हल तभी संभव है जब समुदाय स्तर पर शांति की पहल हो, धार्मिक नेताओं द्वारा जिम्मेदार सार्वजनिक संवाद को प्रोत्साहित किया जाए और कानून का पालन सख्ती से सुनिश्चित किया जाए.