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EXPLAINER: बेदम ‘दबंग’ पापा राजा भैय्या’-अड़ियल मम्मी भानवी सिंह की बेहूदा ‘नाक’ की लड़ाई में पिसते बेबस-बेकसूर बेटे-बेटियां!

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की कुंडा रियासत के राजा भैय्या का पारिवारिक विवाद सुर्खियों में है. कभी शान-ओ-शौकत और दबंग छवि से पहचाने जाने वाले राजा अब पत्नी भानवी कुमारी सिंह संग घरेलू कलह के कारण कोर्ट-कचहरी और सोशल मीडिया में घिरे हैं. इस विवाद ने राजघराने की इज्जत को सड़क पर ला दिया है. राजा-रानी और बच्चों के बीच यह कलह आज सोशल मीडिया पर तमाशा बन चुकी है.

EXPLAINER: बेदम ‘दबंग’ पापा राजा भैय्या’-अड़ियल मम्मी भानवी सिंह की बेहूदा ‘नाक’ की लड़ाई में पिसते बेबस-बेकसूर बेटे-बेटियां!
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( Image Source:  X/BMYADAV7062 )
संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 28 Sept 2025 1:28 PM IST

उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ की कुंडा रियासत के अजेय राजा कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या आज करीब 58 साल के हो चुके हैं. वही राजा भैय्या जिनकी जिंदगी में आज तूफान कोहराम जलजला..या और कुछ बाकी बचा हो तो वह भी शामिल कर लीजिए, मचा है. जिंदगी बद-से-बदतर यानी नरक से भी ज्यादा गई गुजरी कहूं कि जहन्नुम बन चुकी है, तो गलत नहीं होगा.

कभी देश में अपनी राजशाही और खुद्दारी के लिए मशहूर रजवाड़ों का यही परिवार आज सड़क पर झुग्गी-बस्ती वालों की तरह लड़ रहा है. राज परिवार और राजा-राजकुमारी के खानदान की तमाम शानदार परिपाटियों, शान-ओ-शौकत वाले रीति-रिवाजों के ऊपर थूक कर.

आखिर क्या है कारण?

सबकी जड़ में हैं मगर वे ही तीन बातें या चीजें जिनके चलते कुरुक्षेत्र में महाभारत का रण हो गया था. यानी जर जोरू और जमीन. अपनी-अपनी झूठी आन-बान-शान को सच में खाक में मिलाने पर उतारू मियां बीवी जो कर रहे हैं वो तो भस्मासुर सा कर ही रहे हैं. इस घरेलू कलह और तमाशे का सबसे शर्मनाक कहूं या फिर बदकिस्मती वाला पहलू है...मां-बाप की नाक की बेजा-बेहूदा लड़ाई में रजवाड़ों के परिवार के उन बच्चों का भी कूद पड़ना, जिन्हें यही नहीं पता है कि इस बेतुकी और पूरी तरह कटकर जमीन पर पड़ी खून सनी कटी हुई नाक की जंग में मां बाप में से सही कौन और गलत कौन है.

बच्चे भी इस विवाद में कूदे

बच्चे वही कर रहे हैं जो अपने आप में बेकाबू हुए पड़े पापा या जिद की जंग में सब कुछ स्वाहा करने पर आमादा बैठी अम्मा यानी मम्मी करवा रही हैं. इस घरेलू लड़ाई को आसमान तक पहुंचाने का काम कर रहा है सोशल-मीडिया और मीडिया जो इस बर्बाद-बदनाम होते खानदान की एक-एक कहानी को चार-चार चटकारे लगाकर परोस और बांट रही है. ऐसा नहीं है कि रजवाड़ों के कुनवे की इस ‘बे-सिर पैर’ की लड़ाई का आनंद मीडिया ही ले रही हो. इस लड़ाई की खबरों का आनंद जिद पर अड़े राजा भैय्या और उनकी बेकाबू हो चुकी बीवी भानवी कुमारी सिंह के अपने यार-दोस्त-पिछलग्गू भी चोरी-छिपे ही सही मगर ले रहे हैं.

सरेआम उछाल रहे एक दूसरे की इज्जत

मनुस्मृति में एक जगह लिखा है “पति ही स्त्री का देवता है, पति की प्रतिष्ठा की रक्षा करना ही पत्नी का प्रथम धर्म है” सोचिए मनुस्मृति में मौजूद यह अल्फाज किस कदर आज राजा भैय्या और अपनी पर उतर आईं उनकी बेकाबू बीवी भान्वी कुमारी सिंह की करतूतें देख-सुनकर रो-सिसक या बिलख रहे होंगे, जहां आज ये दोनो एक-दूसरे के न केवल खून के प्यासे हुए पड़े हैं अपितु, मियां-बीवी-बच्चे सब एक दूसरे को नीचा दिखाने की जिद में दोनो पक्ष जुटे हैं, तो सिर्फ और सिर्फ अपने घर की इज्जत को अपने हाथों से सड़क पर उछालने में.

इन्हें रोकने, समझाने वाला कोई नहीं है. और कोई होगा भी तो फिर जमाने में जब इन्हीं को अपने घर की इज्जत की नहीं पड़ी है. तब फिर ऐसे में भला कोई रिश्तेदार, नातेदार, यार दोस्त क्यों इनकी फटी में अपनी टांग अड़ाकर बैठे बिठाए अपने सिर पर आफत मोल ले. हां, इतना जरूर है कि दोनो पक्ष बीते लंबे समय से ठीक उसी तरह से एक-दूसरे की इज्जत पर झपट्टा मारने में जुटे हैं, जैसे कि सड़क पर पड़ी किसी थैली में मौजूद ‘मल मूत्र” की छीना झपटी के लिए कुत्ता-बिल्ली लड़ाई और चें-चें-पों- पों करते हैं.

कभी बजा करता था राजघराने में डंका

यह कहानी है उन्हीं कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या के घर की तबाह हो चुकी इज्जत की, जिनका कभी राजघराने-रियासत और राजघराने में डंका बजा करता था और तूती बोला करती थी, जिधर राजा भैया के पांव उठा करते थे कुंडा के आसमान में उड़ती हवा का रुख भी राजा भैया के पांवों की चाल के साथ उधर को हो जाता था. भले ही अपने इलाके के दबंग राजा भैय्या ने राजनीतिक गलियारों में साल 1993 में जबसे उन्होंने महज 26 साल की उम्र में निर्दलीय विधायक के रूप में सूबे की सल्तनत में कदम रखा, राजा भैय्या का कोई भी बाल-बांका न कर सका हो मगर, आज जिस तरह से उनकी अर्धांगिनी यानी कल तक भद्री रियासत की रानी साहिबा और आज राजा भैय्या की जान का बवाल बन चुकी भानवी कुमारी सिंह, राज परिवार को सड़क पर और कोर्ट कचहरी में घसीट लाई हैं. इसकी कल्पना तो दबंग राजा भैय्या ने सपने में भी नहीं की होगी.

अब तक बीते कई साल से नाक की जो लड़ाई मियां-बीवी के बीच हो रही थी उसमें बच्चे भी कूद पड़े हैं या कहिए कुदा डाले गए हैं. हाल ही में दबंग पिता के बड़े पुत्र शिवराज प्रताप सिंह ने मम्मी-पापा की इस ओछी कहिए या फिर घटिया लडाई में, एक ट्विटर यानी एक्स पोस्ट के जरिए छलांग लगाई है. जिसमें उन्हें अपनी बेकाबू मम्मी भानवी कुमारी सिंह सीधे शब्दों में बुरी तरह चौतरफा लपेटते हुए आईना दिखाकर, काबू करने की कोशिश में उनकी करतूतें उजागर करके, मां को ही बेटे ने पापा के पक्ष में बेदम करने की कोशिश की है. पिता का पक्ष लेते हुए बड़े बेटे शिवराज प्रताप सिंह अपनी एक्स पोस्ट में लिखते हैं. “कोर्ट में भी कई बार ये अपनी छीछालेदर करा चुकी हैं. अनेक बार माननीय न्यायाधीश को इनके वकील को फटकार लगाते हुए कहना पड़ा कि ‘अपनी क्लाइंट को चुप कराइये. अदालत में कैसा व्यवहार किया जाता है व कोर्ट में बोलने की तमीज़ सिखाइये.’

दबंग छवि पर उठे सवाल

मतलब मां के गर्भ से जन्मा बेटा शिवराज प्रताप सिंह ही मां-बाप के बीच छिड़ी इस बे-सिर पैर की लड़ाई में कूदकर अम्मा को नसीहत दे रहा है, कि अम्मा तुम सुधरोगी नहीं. सुधरने की बजाए और ज्यादा कुंठित हो चुकी हो. अब सोचिए कि जो मां-बाप संतान को सलीका सिखाते हैं. जो बालक मां के गर्भ में रहकर पलता हो. वही पुत्र अगर मां को कुंठित बताने पर उतर आए तो फिर ऐसे में कैसे दबंग और किस कुंडा के नेता राजा भैय्या. वह भी कैसा दबंग इंसान जो अपने घर बीवी और बच्चों को काबू नहीं रख सका. जिसकी चाल की दिशा में चलने को बेताब हवा भी अपना रुख बदल लिया करती हो. आज के उन्हीं दबंग और कल के कद्दावर नेता कुंडा के राजकुमार भद्री के महाराज राजा भैय्या अपने ही बीवी-बच्चों की लड़ाई में, चक्की के पाट के बीच गेहूं की तरह खामोश रहकर पिसने को मजबूर हो चुके हों.

दादा थे हिमाचल के राज्यपाल

परिवार की इज्जत तार-तार होने की यह शर्मनाक सच्ची कहानी है उन्हीं कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भैय्या की जिनके, स्वतंत्रता संग्राम सेननी दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह कालांतर में हिमाचल के राज्यपाल हुआ करते थे. यह बदनामी और तबाही का सच्चा किस्सा है उन्हीं राजा उदय प्रताप सिंह के बेटे और बहू के बीच छिड़ी नाक की लड़ाई में मची तबाही का, जिनका कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद में डंका बजा करता था. यह झकझोर देने वाला बदनामी की चादर में लिपटा शर्मनाक सच्चा किस्सा है, आज 58 साल के हो चुके प्रतापगढ़ कुंडा विधानसभा से मौजूदा विधायक और समाजवादी पार्टी से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक में अपना सिक्का चलवा चुके पूर्व मंत्री राजा भैय्या का. यह किस्सा है कल के दबंग और आज के बेबस उन्हीं राजा भैय्या के घर के भीतर का, जो कालांतर में जब बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के शासनकाल में तब की मुख्यमंत्री मायावती की आंख में जब करकने लगे, तो गिरफ्तार करके मायावती की हुकूमत द्वारा जेल में ठूंसवा दिए गए.

राजा भैया हुए हलकान!

किसी भी इज्जतदार घर खानदान कुनवे से जुड़ा यह बेहद झकझोर देने वाला बेहआई से रंगा-पुता किस्सा है, शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली और राजा भैय्या की मां मंजुल राजे के बेटे-बहू-पोते-पोतियों के बीच छिड़ी नाक की कानूनी-गैर-कानूनी मगर, बेहद शर्मनाक लड़ाई का. यह किस्सा है अपने कुनवे कुल खानदान में पहले और अब तक के इकलौते सदस्य राजा भैय्या की इज्जत-बेइज्जती और अपनी पर उतर आई बीवी भानवी कुमारी सिंह द्वारा, ससुराल-मायके की तार-तार करके मिट्टी में मिलाई जा रही इज्जत की ‘बेइज्जती’ करने का किस्सा. यह किस्सा है उन्हीं राजा भैय्या के घर की लड़ाई लड़ने के लिए घर के अंदर ही पैदा हुए एक साथ कई-कई भस्मासुरों की बुद्दि भ्रष्ट होने का. जिन राजा भैया को बीते ढाई दशक में राजनीतिक गलियारों में अच्छे से अच्छा कद्दावर विरोधी तक टस से मस नहीं कर सका. यह बदनामी और तबाही के जलजले में बहते रुतबा-रसूख का बेबाक किस्सा है, उन्हीं कुंडा के दबंग राजा भैय्या का जो उत्तर प्रदेश जैसे बडे सूबे में सरकार चाहे किसी की भी आती-जाती रही हो...मगर राजा भैय्या ने कुंडा और कुंडा वालों ने राजा भैय्या को कभी एक दूसरे से अलग नहीं होने दिया. यह किस्सा है कल के उन्हीं दबंग राजा भैय्या का जो साइकिल की सवारी से लेकर आसमान में हवाई जहाज उड़ाने तक में कभी न हारे न कभी हाँफें. मगर आज अपने ही घर की इज्जत अपनी ही बेकाबू बीवी के पावों तले सड़क पर रौंदे जाते देखकर हलकान हुए पड़े हैं.

असली बिलेन राजा भैय्या हैं!

महाभारत में एक जगह उल्लेखित श्लोक का यहां जिक्र करना जरूरी है कि “नास्ति स्त्रीणां पतिं विना धर्मः” अर्थात पत्नी का कोई धर्म पति से अलग नहीं है. दूसरा उदाहरण गरुड़ पुराण में मौजूद श्लोक “सदा पतिव्रता स्त्री स्वर्गलोकं व्रजत्युत।” यानी पतिव्रता स्त्री स्वर्गलोक जाती है, पर जो पति का अपमान करे वह पापिनी मानी जाती है, का जिक्र करना भी दबंग की इस कड़ी में करना बेहद जरूरी हैं. क्योंकि आज कलियुग में कुंडा के राजा और राजनीति के धुरंधर दबंग राजा भैय्या के आंगन से लेकर देहरी और फिर उनके दरवाजे से बाहर तक महाभारत, गरुण पुराण, में उल्लिखित इन्हीं श्लोकों की गरिमा और महत्तता को ही तो पांवों तले कुचला-रौंदा जा रहा है. वह फिर चाहे रौंदने-रौंदवाने वाले राजा भैय्या हों, उनके पुत्र, पुत्रियां, या फिर बेकाबू होकर घर की देहरी से निकल कर कोर्ट कचहरी के कटघरे तक जा पहुंचीं उनकी पत्नी बस्ती रियासत की राजकुमारी और भद्री रियासत की रानी भानवी कुमारी सिंह.

इस सब बदनामी-बर्बादी की जड़ में असली बिलेन राजा भैय्या हैं या उनकी बीवी भानवी कुमारी सिंह या फिर जर जोरू और जमीन. यह तय करना राजा भैया और उनकी बेलगाम हो चुकी बीवी भानवी कुमारी सिंह बेहतर बता और जान सकते हैं. बीते कल के एक दबंग और आज अपनी ही बीवी की बेजा हरकतों या अपनी ही कुछ कमियों के चलते बुरी तरह से कथित रूप से ही सही, मगर समाज की नजर में बीवी द्वारा ‘बिलेन’ बनाए जा चुके या बिलेन बन चुके राजा भैय्या और भानवी सिंह के बीच की इस मैली मंशा वाली, बर्बादी-बदनामी और तबाही की ‘रील’ में भला किसी बाहर वाले का कोई रोल क्यों होगा? मियां बीवी की लड़ाई में क्यों कोई बिल्ली के गले में घंटी बांधकर अपनी जान को बवाल मोल लेगा. नाक और जर, जोरू और जमीन की इस लड़ाई में दोषी निर्दोष का फैसला करने में जब अदालतें भी “हाँफ” रहीं हों.

UP NEWSस्टेट मिरर स्पेशल
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