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जौनपुर की अटाला मस्जिद का पूरा इतिहास, आखिर क्यों मंदिर होने का किया जा रहा दावा?

Atala Masjid Controversy: जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर विवाद पैदा हो गया है. कहा जा रहा है कि यहां पहले अटाला देवी का मंदिर था. इस मामले में 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. यह पूरा मामला क्या है और मस्जिद के मंदिर होने का दावा क्यों किया जा रहा है, आइए विस्तार से जानते हैं....

जौनपुर की अटाला मस्जिद का पूरा इतिहास, आखिर क्यों मंदिर होने का किया जा रहा दावा?
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Atala Masjid Dispute: वाराणसी, मथुरा, संभल, बदायूं और फतेहपुर सीकरी के बाद अब जौनपुर की अटाला मस्जिद पर विवाद पैदा हो गया है. इस मस्जिद में मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. इसे लेकर एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई है. इस याचिका को स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने दायर की है, जिस पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी.

याचिका में दावा किया गया है कि जहां अटाला मस्जिद है, वहां पर अटाला देवी मंदिर था. इसलिए सनातन धर्म के अनुयायियों को वहां पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए. इसके साथ ही, उन्हें संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार मिलना चाहिए. वहीं, प्रतिवादियों और गैर-हिंदुओं के यहां आने पर बैन लगना चाहिए.

अटाला मस्जिद का इतिहास

अटाला मस्जिद का निर्माण सन 1408 ईस्वी में इब्राहिम शाह शर्की ने कराया था. इसकी ऊंचाई 100 फीट से अधिक है. फिरोज शाह तुगलक ने 1393 ईस्वी में मस्जिद का निर्माण शुरू कराया था. हालांकि, याचिकाकर्ता का कहना है कि 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने अटाला देवी मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन फिरोज तुगलक ने आक्रमण कर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया और इसके खंभों पर मस्जिद का निर्माण शुरू कराया. तुगलक ने इसके बाद हिंदुओं को वहां जाने से मना कर दिया. मंदिर हिंदू कारीगरों द्वारा पारंपरिक शैली में बनाया गया था.

मस्जिद की जगह था अटाला देवी का मंदिर

याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि अटाला मस्जिद, कभी मस्जिद नहीं थी. यह मूल रूप से अटाला देवी का मंदिर ही था. इस इमारत में हिंदू स्थापत्य शैली मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मिटा दिया गया. किसी मंदिर को ध्वस्त करने मस्जिद का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए. इस्लाम और कुरान ध्वस्त मंदिर की जगह पर बनी मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति नहीं देते हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में 9 दिसंबर को अटाला मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करने वाले स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा अपना जवाब दाखिल करेंगे. हाईकोर्ट इस पर निर्णय लेगा कि यह मामला सुनवाई योग्य है या नहीं. इससे पहले, 12 अगस्त को जिला अदालत ने मुकदमे की पोषणीयता को मंजूरी दे दी थी.

किताब में अटाला देवी मंदिर का मिलता है जिक्र

बता दें कि त्रिपुरारि भास्कर की किताब 'जौनपुर का इतिहास' में लिखा है कि मोहल्ला सिपाह के पास गोमती नदी के किनारे अटाला देवी का विशाल घाट है, जिसका निर्माण कन्नौज के राजा विजयचंद्र ने कराया था. कहा जाता है कि अटाला देवी मंदिर को गिराने का हुक्म फिरोज शाह तुगलक ने दिया था, जिसका हिंदुओं ने काफी विरोध किया था.

प्रोफेसर फणींद्र नाथ ओझा ने 'मध्य कालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति' में ‘हिंदू-इस्लामी वास्तुकला का विकास’ शीर्षक के तहत पेज नंबर 93 पर लिखा है, ‘अटाला मस्जिद वास्तुकला की शर्की शैली का सबसे प्रांरभिक और सर्वाधिक सुंदर नमूना है. जिस जगह पर उसका निर्माण हुआ है, वहां पहले अटाला देवी का मंदिर था. मंस्जिद का निर्माण उस मंदिर की सामग्री से हुआ.

अटाला मस्जिद के अंदर शिलालेख में क्या लिखा है?

अटाला मस्जिद के अंदर एक शिलालेश है, जिसमें लिखा गया है- फिरोजशाह तुगलक का बसाया हुआ यह जौनपुर नगर देहली और बंगाल के मध्य गोमती तट पर स्थित है. यह नगर 100 वर्षों तक शर्की बादशाहों की राजधानी और विद्वानों व कलाकारों का केंद्र रहा. इस राज्य की सीमाएं इटावा से बंगाल और विंध्याचल से नेपाल की सीमा तक फैली हुई थी. शर्की बादशाहों की बनवाई हुई मस्जिदें केवल जौनपुर में मौजूद हैं, जिनमें अटाला मस्जिद सबसे प्राचीन है. इस मस्जिद की नींव 1376 में फिरोज शाह तुगलक ने डाली थी, लेकिन इसका निर्माण 1408 में इब्राहिम शाह शर्की ने कराया था.

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