बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काज़ी नज़रुल इस्लाम के बगल में दफ़्न होगा शरीफ उस्मान हादी, संसद भवन में होगा नमाज-ए-जनाजा
बांग्लादेश में आगामी चुनाव से पहले हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं. छात्र नेता उस्मान हादी की गोली मारकर हत्या के बाद ढाका समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन, आगजनी और मीडिया संस्थानों पर हमले हुए हैं. शनिवार को संसद भवन परिसर में होने वाले जनाज़े को देखते हुए सरकार ने कड़ा सुरक्षा घेरा बनाया है. अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है, लेकिन विपक्ष और नागरिक संगठनों ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं. हादी की मौत ने बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर मोड़ पर ला खड़ा किया है.
बांग्लादेश एक बार फिर सियासी उबाल के दौर से गुजर रहा है. चुनाव से ठीक पहले जिस तरह हिंसा, आगजनी और संस्थानों पर हमले सामने आ रहे हैं, उसने पूरे देश को हाई अलर्ट मोड में डाल दिया है. इस उथल-पुथल के केंद्र में एक नाम है- शरीफ उस्मान हादी, जिनकी मौत ने बांग्लादेश की राजनीति में बारूद भर दिया है.
हादी सिर्फ एक छात्र नेता नहीं थे, बल्कि जुलाई आंदोलन के बाद उभरे उस चेहरे का प्रतीक थे, जिसने शेख हसीना सरकार के पतन के बाद नई सियासी उम्मीदों को आवाज दी थी. अब उनकी हत्या ने पूरे देश को सड़क पर उतार दिया है और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि भारत समेत विदेशी मिशनों को भी अपने ठिकाने बंद करने पड़े हैं.
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ढाका पहुंचा पार्थिव शरीर
शुक्रवार शाम सिंगापुर से जब उस्मान हादी का पार्थिव शरीर ढाका पहुंचा, तो माहौल पूरी तरह बदल गया. बांग्लादेश एयरलाइंस की फ्लाइट से आए ताबूत को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था. राजधानी के कई इलाकों में समर्थक सड़कों पर उतर आए और “शहीद हादी” के नारे गूंजने लगे. सरकार को अंदेशा है कि अंतिम संस्कार एक बड़े जनसैलाब में बदल सकता है, इसलिए पूरे ढाका में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं.
यूनिवर्सिटी कैंपस में दफन की तैयारी
इंकिलाब मंच के अनुसार, उस्मान हादी का नमाज-ए-जनाजा शनिवार दोपहर 2 बजे संसद भवन (जतियो संसद) के साउथ प्लाजा में होगा. इसके बाद उन्हें ढाका यूनिवर्सिटी कैंपस में राष्ट्रीय कवि काज़ी नज़रुल इस्लाम की मजार के पास दफन किया जाएगा. यह फैसला खुद में सियासी संदेश माना जा रहा है, क्योंकि ढाका यूनिवर्सिटी लंबे समय से आंदोलनों का केंद्र रही है.
हाई सिक्योरिटी अलर्ट
जनाजे को देखते हुए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं.
- संसद भवन के आसपास ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह प्रतिबंध
- किसी भी व्यक्ति को बैग या भारी सामान लाने की इजाजत नहीं
- संवेदनशील इलाकों में मोबाइल इंटरनेट की निगरानी
प्रशासन को आशंका है कि भीड़ में घुसपैठ कर हालात बिगाड़े जा सकते हैं.
चुनाव प्रचार के दौरान सिर में मारी गोली
12 दिसंबर को ढाका के पुराना पल्टन इलाके में उस्मान हादी पर बेहद नजदीक से गोली चलाई गई. वे रिक्शा में सवार होकर चुनाव प्रचार के लिए जा रहे थे. गोली सीधे सिर में लगी, जिससे वे मौके पर ही गंभीर रूप से घायल हो गए. पहले ढाका मेडिकल कॉलेज, फिर एवरकेयर अस्पताल और अंततः 15 दिसंबर को उन्हें एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन बाद उन्होंने दम तोड़ दिया.
मौत के बाद भड़की हिंसा
हादी की मौत की खबर आते ही ढाका समेत कई शहरों में हिंसा भड़क उठी. प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में तोड़फोड़ हुई. अवामी लीग के दफ्तरों में आगजनी, सड़कों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई. Editors’ Council और NOAB ने इसे प्रेस स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया.
एक दिन का राजकीय शोक
अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने उस्मान हादी की मौत पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. उन्होंने इसे “लोकतंत्र के लिए गहरा आघात” बताते हुए निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया. लेकिन सच्चाई यह है कि कानून-व्यवस्था को लेकर उनकी सरकार अब तक सबसे बड़े दबाव में है.
गृह सलाहकार से इस्तीफे की मांग
16 से अधिक नागरिक संगठनों ने संयुक्त बयान जारी कर गृह सलाहकार पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि सरकार नागरिकों की सुरक्षा में विफल रही, हिंसा को राजनीतिक ताकतें भड़का रही हैं. देश को अस्थिर करने की साजिश चल रही है और यह बयान सरकार के लिए एक और सियासी झटका है.
चुनाव से पहले अराजकता की साजिश
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने दावा किया है कि हादी की हत्या के बाद भड़की हिंसा चुनाव से पहले देश को अस्थिर करने की साजिश है. पार्टी महासचिव मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि कुछ ताकतें जानबूझकर देश को अराजकता की ओर धकेल रही हैं. BNP ने हिंसा की निंदा तो की, लेकिन इसके पीछे “पहचाने हुए तत्वों” का हाथ बताया.
अंतिम संस्कार के बाद भी सवाल जिंदा रहेंगे
उस्मान हादी की कब्र पर आज हजारों लोग दुआ करेंगे, लेकिन उनके खून के साथ जो सवाल बहे हैं, वे जल्द खत्म नहीं होंगे. क्या उनकी हत्या सिर्फ एक अपराध थी या एक सियासी संदेश? क्या बांग्लादेश चुनाव से पहले स्थिर रह पाएगा? फिलहाल इतना तय है कि हादी की मौत ने बांग्लादेश की राजनीति को एक खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां एक चिंगारी पूरे देश को जला सकती है.





