क्या लड़की बालिग होकर भी अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकती? इलाहाबाद HC का ये फैसला बना मिसाल
आज भी लड़के और लड़कियों को अपनी मन पसंद इंसान से शादी करने से रोका जाता है. इसका कारण सिर्फ और सिर्फ समाज है, जो अपनी रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देता है. इस मामले पर इलाहाबाद HC ने ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके बाद लोगों की आंखें खुलेंगी

मिर्जापुर की 27 साल की एक महिला अपने परिवार के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई. उसका आरोप था कि उसके पिता और भाई उसे उसकी पसंद के लड़के से शादी करने से रोक रहे हैं.
इतना ही नहीं, महिला ने यह भी बताया कि उसके परिवार ने उसका अपहरण करने की कोशिश की, ताकि वह अपनी मर्जी से शादी न कर सके. इस मामले में महिला ने सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां कोर्ट ने लड़की के पक्ष में फैसला सुनाकर नई मिसाल पेश की है.
कोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जेजे मुनीर और प्रवीण कुमार गिरि की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि भारत का संविधान हर वयस्क को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार देता है. यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत आता है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है.
समाज बनाम संविधान
कोर्ट ने माना कि समाज में आज भी ऐसे लोग हैं, जो अपनी पुरानी सोच के कारण वयस्कों को अपनी मर्जी से शादी करने से रोकते हैं. कोर्ट ने इसे 'मूल्य अंतर' कहा. यानी समाज की रूढ़िवादी सोच और संविधान की आज़ादी के बीच फर्क. कोर्ट ने इसके आगे कहा कि जब तक ये फर्क रहेगा, तब तक ऐसे मामले आते रहेंगे.
परिवार को दी कड़ी चेतावनी
कोर्ट ने महिला के परिवार को सख्त आदेश दिया कि वे उसकी जिंदगी में किसी भी तरह का दखल न दें. उन्हें फोन, इंटरनेट या किसी भी और तरीके से महिला से कॉन्टैक्ट करने से मना कर दिया गया. साथ ही, महिला या उसके होने वाले पति को डराने-धमकाने से भी रोक दिया गया.
पुलिस को भी दिए निर्देश
कोर्ट ने पुलिस को भी साफ-साफ कहा कि वे महिला की आज़ादी और स्वायत्तता में कोई दखल न दें। कोर्ट ने आदेश दिया कि यह निर्देश मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक तक तुरंत पहुंचाया जाए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई, 2025 को होगी. तब तक कोर्ट ने महिला को पूरी सुरक्षा और आज़ादी देने के आदेश दिए हैं.