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फेयरवेल पार्टी का उर्दू नाम रखने का सच आया सामने! राजस्थान में स्कूल के प्रिंसिपल ने किए कई खुलासे

Rajasthan News: हाल ही में राजस्थान के बारां जिले स्थित महात्मा गांधी सरकारी स्कूल में फेयरवेल पार्टी निमंत्रण कार्ड का नाम उर्दू में लिखा गया. यह कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और शिक्षा विभाग ने मामले पर संज्ञान लिया. कार्ड पर विद्या की देवी मां सरस्वती के तस्वीर भी और 'जश्न-ए-अलविदा' हुआ है. जिसे देखकर लोग भड़क उठे हैं. अब मामले की जांच की जा रही है.

फेयरवेल पार्टी का उर्दू नाम रखने का सच आया सामने! राजस्थान में स्कूल के प्रिंसिपल ने किए कई खुलासे
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( Image Source:  meta ai )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 10 Nov 2025 2:04 PM IST

Rajasthan News: राजस्थान के बारां जिले स्थित एक स्कूल में फेयरवल पार्टी विवाद में बनी हुई है. 28 फरवरी को 12वीं क्लास के लिए यह फंक्शन रखा गया था, लेकिन इसके उर्दू नाम से हंगामा खड़ा हो गया. मंगलवार को राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल का दौरान किया. इस दौरान कई बड़ी जानकारी निकलकर आई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बारां जिले के महात्मा गांधी सरकारी स्कूल में फेयरवेल पार्टी का नाम 'जश्न-ए-अलविदा' दिया गया. पार्टी के निमंत्रण कार्ड पर देवी सरस्वती की तस्वीर भी थी. हिंदू देवी के साथ उर्दू नाम दिए जाने लोग भड़क उठे. यह कार्ड सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया, जिसने बीते दिन दौरान किया.

अधिकारियों ने की जांच

टीम ने स्कूल का दौरा किया, जिसमें किशनगंज के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र सिंह और दो अन्य स्कूलों के प्रिंसिपल भी शामिल हैं. निमंत्रण कार्ड पर 'जश्न-ए-अलविदा' लिखा होना शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के खिलाफ था. देवेंद्र सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है, हम इसे जल्द ही विभाग को सौंपेंगे. वहीं महात्मा गांधी स्कूल के प्रिंसिपल विकेश कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह कार्यक्रम प्रतिभा को पहचानने और कक्षा 12 के छात्रों को विदाई देने के लिए आयोजित किया गया था.

बाद में वापस लिया कार्ड

प्रिंसिपल विकेश कुमार ने कहा, निमंत्रण पत्र छपने के बाद हमें ऐसा लगा कि यह नाम ‘सरकारी भाषा’ के हिसाब से ठीक नहीं है. इसके बाद कार्ड को वापस ले लिया गया, लेकिन कुछ कार्ड छात्रों के पास रह गए, जिन्होंने उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

किसकी है गलती?

स्कूल प्रशासन की ओर से कहा गया कि कार्ड छपे जरूर थे, लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर बांटा नहीं गया था. क्योंकि हमें भी नाम सही नहीं लगा, जिसे बदलना था. कुछ छात्रों ने इसे वायरल करा दिया. प्रिंसिपल ने कहा, मामले की जांच की जा रही है. इस संबंध में स्कूल के सभी स्टाफ और छात्रों के बयान दर्ज किए गए हैं. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि सोशल मीडिया पर कार्ड के वायरल होने पर लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं स्कूल प्रशासन की लापरवाही की निंदा की जा रही है.

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