पत्नी का था अफेयर, साला भड़काता था, फिर फौजी जीजा ने पिस्तौल से उतारा मौत के घाट
राजस्थान के नागौर से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक रिटायर फौजी ने अपने साले की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद, खुद भी सुसाइट कर लिया. इतना ही नहीं, एक सुसाइट नोट भी छोड़ा, जिसमें उसने बताया कि उसकी पत्नी का अफेयर था.

राजस्थान के नागौर जिले के नोखा चांदावता गांव में गुरुवार तड़के एक दिल दहला देने वाली घटना घटी. बीएसएफ से रिटायर्ड फौजी मनरूप (42) ने अपने साले पप्पूराम को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मार दी और फिर खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली. घटना से पहले मनरूप ने 6 मिनट का वीडियो सोशल मीडिया पर डाला और तीन हजार शब्दों का भावुक सुसाइड नोट भी लिखा.
मनरूप ने अपने सुसाइड नोट में लिखा 'मैंने 20 साल बीएसएफ में देश की सेवा की, हर हालात में ड्यूटी निभाई. लेकिन रिटायरमेंट के बाद अपनों के बदलते चेहरे ने मुझे तोड़ दिया.'
रिटायरमेंट के बाद बदलता घर
रिटायरमेंट के 20-25 दिन बाद ही पत्नी का व्यवहार बदल गया. वह बात-बात पर झगड़ने लगी, वजह पूछने पर मनरूप को तीन कारण मिले. अब घर खर्च के लिए पैसे नहीं मिल रहे थे. पत्नी मायके और बहनों से फोन पर लंबी बातें नहीं कर पा रही थी. मायके आना-जाना भी कम हो गया था.
बहन-बहनोई का दखल
मनरूप ने लिखा कि पत्नी की दो बहन-बहनोई उसे भड़काते थे. उन्होंने घर तोड़ने की साजिश रची. जब पत्नी को समझाया, तो वह मायके चली गई और मनरूप पर गंभीर आरोप लगा दिए. पत्नी के आरोपों और बच्चों से दूर होने के दर्द ने मनरूप को अंदर से तोड़ दिया. दो महीने में 7 किलो वजन कम हो गया. आखिरकार उसने सोच लिया कि 'मेरे घर को बर्बाद करने वालों को मैं भी बर्बाद कर दूंगा.'
खौफनाक अंजाम
मनरूप के सब्र का बांध टूट चुका था. उसने तय कर लिया कि जिसने उसका घर तोड़ा, अब वो भी चैन से नहीं रहेंगे. उसका पहला निशाना बना साला पप्पूराम. नोखा चांदावता गांव में उसने लाइसेंसी पिस्तौल से पहले उसे गोली मारी और फिर खुद को. इस घटना से पहले मनरूप ने एक 6 मिनट का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. साथ ही एक 3000+ शब्दों का सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपने टूटे मन, अपनों के छल और समाज के लिए आख़िरी मैसेज दिए.
'मैं पत्नी को भी मार सकता था'
सुसाइड नोट में मनरूप ने लिखा 'मैं पत्नी को भी मार सकता था, लेकिन उसे उसके कर्मों की सजा खुद भुगतने देना चाहता था. एक मर्द मरने-मारने से पहले हजारों बार रिश्ते सुधारने की कोशिश करता है. लेकिन जब सब्र का बांध टूटता है, तो कयामत आ जाती है. अपने घर के शेर को मत मारिए, वरना बाहर के भेड़िए खा जाएंगे.' यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि समाज में बढ़ते घरेलू तनाव, संवादहीनता और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की भी कहानी है.