1878 करोड़ के ज़िरकपुर–पंचकुला बाइपास प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी राहत, पंजाब सरकार ने की स्टेज 2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की सिफारिश
₹1,878 करोड़ की लागत वाला ज़िरकपुर–पंचकुला छह लेन बाइपास प्रोजेक्ट आखिरकार आगे बढ़ने के करीब पहुंच गया है. पंजाब के वन सचिव ने लंबे समय से लंबित स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की सिफारिश करते हुए फाइल वन मंत्री को भेज दी है. इस मंजूरी के बाद फाइल केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को भेजी जाएगी, जिससे NHAI को टेंडर आवंटन और निर्माण कार्य शुरू करने का रास्ता साफ होगा. यह परियोजना ट्राइसिटी क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने में अहम भूमिका निभाएगी.
Zirakpur Panchkula Bypass Project: पंजाब में लंबे समय से अटके ₹1,878 करोड़ के ज़िरकपुर–पंचकुला बाइपास प्रोजेक्ट को लेकर आखिरकार बड़ी प्रगति हुई है. शुक्रवार को पंजाब के वन सचिव (Forests Secretary) ने इस परियोजना के लिए लंबित स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की सिफारिश करते हुए फाइल को वन मंत्री (Forests Minister) के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेज दिया है.
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यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब कुछ ही घंटे पहले द ट्रिब्यून ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित कर पंजाब वन विभाग की देरी को उजागर किया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) से आठ महीने पहले मंजूरी मिलने के बावजूद फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर फाइल वन सचिव के पास करीब दो हफ्ते तक अटकी रही और इस दौरान सवालों के जवाब भी नहीं दिए गए.
अब आगे क्या होगा?
एक वरिष्ठ पंजाब सरकार के अधिकारी ने पुष्टि की कि वन सचिव की सिफारिश के बाद फाइल अब वन मंत्री के पास है. अधिकारी ने कहा, “जैसे ही मंत्री औपचारिक मंजूरी देंगे, प्रक्रिया अगले चरण में प्रवेश कर जाएगी.” वन मंत्री की स्वीकृति के बाद फाइल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के इंटीग्रेटेड रीजनल ऑफिस (IRO), चंडीगढ़ भेजी जाएगी, जहां से अंतिम स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जारी होगा. अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया ज्यादा समय नहीं लेगी.
NHAI को मिली राहत
इस फॉरेस्ट क्लीयरेंस में देरी के कारण नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को बार-बार टेंडर की तारीख बढ़ानी पड़ी. हाल ही में बोली की समयसीमा को छठी बार आगे बढ़ाया गया था, क्योंकि स्टेज-2 क्लीयरेंस के बिना काम आवंटित नहीं किया जा सकता. NHAI अधिकारियों के अनुसार, विभाग ने वन विभाग की सभी शर्तें और आपत्तियां पहले ही पूरी कर दी थीं, लेकिन मंजूरी अटकी हुई थी.
ट्राइसिटी के लिए क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
करीब 19.2 किलोमीटर लंबा यह छह लेन का बाइपास पिछले एक दशक से प्रस्तावित है. भूमि अधिग्रहण का काम 2020 में पूरा हो चुका है. इसमें 6.195 किमी का एलिवेटेड सेक्शन, कई फ्लाईओवर, अंडरपास, पुल और एक रेलवे ओवरब्रिज शामिल है. यह बाइपास NH-5 और NH-7 के अत्यधिक जाम वाले ज़िरकपुर–पंचकुला कॉरिडोर से भारी और स्थानीय ट्रैफिक को बाहर निकालने के लिए बनाया गया है. साथ ही यह आगामी ट्राइसिटी रिंग रोड का भी एक अहम हिस्सा है.
ट्रैफिक जाम से राहत की उम्मीद
महीनों की प्रशासनिक अड़चनों के बाद फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइल आगे बढ़ने से अब उम्मीद जगी है कि ट्राइसिटी (चंडीगढ़–मोहाली–पंचकुला) की रोज़ाना ट्रैफिक समस्या का समाधान जल्द जमीन पर उतर सकता है. अधिकारियों का मानना है कि यदि अब कोई और बाधा नहीं आई, तो जल्द ही इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट का कार्य आवंटित कर दिया जाएगा.





