चिता सजाई, लकड़ी-कंडे भी आए, लेकिन बिना शव के ही बेटे ने कर दिया पिता का दाह संस्कार! उज्जैन में अजीबो-गरीब मामला
उज्जैन से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है जिसने श्मशान घाट के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को चौंका दिया. यहां एक बेटे ने अपने पिता का दाह संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पर चिता सजाई और लकड़ी-कंडे मंगाए, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि शव तो मौजूद ही नहीं था.

मध्यप्रदेश के उज्जैन से हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया. आमतौर पर श्मशान घाट वह जगह होती है जहां सिर्फ दुख और गम के पल दर्ज होते हैं, लेकिन यहां जो घटना घटी उसने पुलिस और श्मशान प्रबंधन दोनों को सकते में डाल दिया.
मामला चक्रतीर्थ श्मशान घाट का है, जहां कुछ युवक बिना शव के ही अंतिम संस्कार की लकड़ी और कंडे ले गए और बाकायदा नाम-पता लिखवाकर रसीद भी बनवा ली. लेकिन जब देर तक कोई शव नहीं आया तो श्मशान प्रबंधन को शक हुआ और कहानी का असली चेहरा सामने आया.
फर्जी अंतिम संस्कार का खेल
यह वाकया 16 सितंबर का है. उस दिन एक युवक अपने कुछ साथियों के साथ चक्रतीर्थ श्मशान घाट पहुंचा और कहा कि उसके पिता का निधन हो गया है और वह उनका अंतिम संस्कार करने आया है. श्मशान घाट ने अंतिम संस्कार की तैयारी के तहत लकड़ियां और कंडे उपलब्ध कराए और मृतक का नाम-पता दर्ज करके रसीद भी ली.
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कर्मचारियों को हुआ शक
श्मशान घाट पर रोजाना कई अंतिम संस्कार होते हैं, ऐसे में कर्मचारियों को अनुभव से अंदाजा लग जाता है कि कुछ गड़बड़ है. यहां भी जब लकड़ी और कंडे ले लिए गए लेकिन शव देर तक नहीं पहुंचा तो शक और गहरा गया. कर्मचारियों ने युवक से पूछताछ शुरू की तो वह इधर-उधर की बातें करने लगा. इसी बीच प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी और मामला जीवाजीगंज थाने पहुंचा.
गुम हो गई थी रसीद
पुलिस ने युवक को पकड़कर थाने ले जाकर कड़ी पूछताछ शुरू की. पूछताछ में सामने आई सच्चाई ने सभी को चौंका दिया. लड़के ने बताया कि उसके पिता लालचंद की मौत वास्तव में एक साल पहले ही हो चुकी थी. 15 सितंबर 2024 को उनका निधन हुआ और 16 सितंबर 2024 को ही उनका दाह संस्कार संपन्न हो चुका था. लेकिन उस समय की अंतिम संस्कार रसीद परिजनों के पास नहीं रही और गुम हो गई थी.
डेथ सर्टिफिकेट बनने में परेशानी
रसीद खो जाने के कारण डेथ सर्टिफिकेट बनाना संभव नहीं था. बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के न तो आईडी कार्ड बन पा रहा था और न ही संपत्ति से जुड़े जरूरी डॉक्यूमेंट्स पूरे हो पा रहे थे. इसी समस्या को देखते हुए बेटे ने एक नई योजना बना ली. उसने सोचा कि पुरानी तारीख के आधार पर एक नई रसीद बनवा ली जाए, ताकि सभी दस्तावेज़ बिना किसी अड़चन के पूरे किए जा सकें
रसीद के सहारे हो सकता था घोटाला
पुलिस ने बताया कि पिता-पुत्र ने तारीख मिलाकर यह योजना बनाई थी. बेटे ने 16 सितंबर की तारीख इसलिए चुनी क्योंकि असली दाह संस्कार भी उसी दिन हुआ था. उसका मकसद केवल रसीद हासिल करना था, लेकिन शक होने पर पूरा खेल वहीं धराशायी हो गया. पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस फर्जी रसीद का इस्तेमाल जमीन या बैंक से राशि निकालने के लिए किया जाना था. अगर ऐसा कुछ सामने आता है तो दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाएगा.