'दोषी से हो न्याय, यह...', लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, जानें रेप के दोषी को क्यों दी बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को रेप पीड़िता को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार की लापरवाही पर सख्त फटकार लगाते हुए कहा कि पीड़िता के अधिकारों की अनदेखी बर्दाश्त के काबिल नहीं है. दरअसल, सरकार की लापरवाही से दोषी को 4.7 साल जेल में सजा काटने के बाद भी बितानी पड़ी.

मध्य प्रदेश से जुड़ा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. अमूमन आप सुनते होंगे रेप के आरोपी को मौत की सजा मिलनी चाहिए, लेकिन इस मामले में अदालत का फैसला कुछ अलग ही आया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि वो रेप के दोषी को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे. ऐसा इसलिए कि उसने इस मामले में सात साल की सजा काटने के अलावा भी उसे 4.7 साल तक जेल में रहने के लिए मजबूर किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा कि राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह पीड़ित आरोपियों की न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन इस मामले में जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाई नहीं गई.
सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार से सुनवाई के दौरान कहा कि रेप के दोषी को न्याय दिलाना और उन्हें पुनर्वास में मदद करना राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखी, जिसके चलते कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा.
MP सरकार अपने फंड से दे पैसा
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि रेप के दोषी को तत्काल 25 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं. यह रकम राज्य सरकार को ही वहन करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा पीड़िता के जीवन को दोबारा पटरी पर लाने और उसे मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक सहारा देने के लिए जरूरी है.
ऐसे में जनता का विश्वास टूट जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पीड़ित को न्याय और राहत दिलाने में देरी करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इस तरह लापरवाह रहीं तो जनता का विश्वास टूट जाएगा. इस आदेश से यह स्पष्ट संदेश गया है कि रेप पीड़िताओं की उपेक्षा किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं होगी. सरकारों को अब ऐसे मामलों में जल्द से जल्द मुआवजा और सुरक्षा प्रदान करनी होगी.
वकील ने अदालत को दी थी गलत जानकारी
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को इस चूक के लिए सख्त टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि जब मध्य प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया गया था तो अदालत ने कहा गया थ्ज्ञा कि दोषी ने 8 साल अतिरिक्त कारावास की सजा काटी है, लेकिन सोमवार को सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नचिकेता जोशी ने अदालत को बताया कि दोषी कुछ समय से जमानत पर बाहर है. दोषी जेल में 4.7 साल की अतिरिक्त कारावास की सजा काटी, जिसको लेकर कोर्ट ने एमपी सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया.
पीठ ने इस मामले में "भ्रामक" हलफनामा दायर करने के लिए सरकार के वकील पर भी सवाल उठाया. अदालत मध्य प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण को समान स्थिति वाले व्यक्तियों की तलाश करने का निर्देश देते हुए मामले का निपटारा कर दिया.
2004 में ठहराया था दोषी
इस मामले में याचिकाकर्ता को 2004 में मध्य प्रदेश के एक सत्र न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(1), 450 और 560बी के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया था. उसे आजीवन कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी. अपील में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2007 में उसकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और उसकी सजा घटाकर 7 साल कर दी. दोषी को इस साल जून में अतिरिक्त सजा काटने के बाद जेल से रिहा किया गया था.