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योग के नाम पर नमाज़! बुरहानपुर में आरोप के बाद मुस्लिम शिक्षक सस्पेंड, सफाई में कहा- शशांकासन को समझा गया गलत

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में सरकारी स्कूल के मुस्लिम शिक्षक पर योग के नाम पर नमाज सिखाने का आरोप लगा. विवाद बढ़ने पर प्रशासन ने शिक्षक जबूर तडवी को निलंबित कर जांच शुरू की. शिक्षक का कहना है कि उन्होंने सिर्फ शशांकासन कराया था, जिसे गलत समझा गया. अब मामला सांप्रदायिक रंग ले चुका है और शिक्षा बनाम आस्था की बहस छिड़ गई है.

योग के नाम पर नमाज़! बुरहानपुर में आरोप के बाद मुस्लिम शिक्षक सस्पेंड, सफाई में कहा- शशांकासन को समझा गया गलत
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 28 Oct 2025 8:50 AM

मध्य प्रदेश के शांत और शिक्षित जिले बुरहानपुर में दीपावली के ठीक बाद का दिन था. सरकारी स्कूलों में छुट्टियों के बाद फिर से रौनक लौट रही थी. इसी बीच, एक छोटे से सरकारी मिडिल स्कूल से ऐसी खबर आई जिसने पूरे इलाके को चौंका दिया. कहा गया कि एक मुस्लिम शिक्षक बच्चों को योग की आड़ में ‘नमाज पढ़ना’ सिखा रहे हैं. कुछ ही घंटों में यह मामला सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक पहुंच गया और सांप्रदायिक रंग ले लिया.

शिक्षक जबूर तडवी, जो वर्षों से योग और सामान्य व्यायाम के जरिए बच्चों को फिटनेस सिखाते रहे हैं, अचानक विवादों के घेरे में आ गए. गांव के कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने योगासन की जगह नमाज़ जैसी मुद्रा कराई. आरोप इतने गंभीर थे कि प्रशासन ने जांच शुरू करने से पहले ही उन्हें निलंबित कर दिया. पर जब तडवी ने अपनी सफाई दी, तो यह पूरा मामला एक नई दिशा में मुड़ गया.

देवहरी स्कूल से उठी चिंगारी

यह पूरा मामला बुरहानपुर जिले के देवहरी गांव के सरकारी मिडिल स्कूल से शुरू हुआ. यहां के शिक्षक जबूर तडवी रोज़ाना की तरह बच्चों को सुबह योग अभ्यास करा रहे थे. स्कूल के मैदान में बच्चे सूर्य नमस्कार और अन्य आसन कर रहे थे. तभी कुछ स्थानीय अभिभावकों ने देखा कि एक मुद्रा ऐसी है जो “नमाज की तरह” लग रही है. उन्होंने तुरंत यह बात गांव में फैला दी, और देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया.

अभिभावकों ने की शिकायत

गांव के कुछ अभिभावकों ने स्कूल के प्रभारी प्राचार्य को शिकायत दी कि बच्चों को योग के नाम पर धार्मिक गतिविधि सिखाई जा रही है. प्राचार्य ने मामला जिला शिक्षा अधिकारी को भेज दिया. अधिकारी ने तत्काल जांच टीम गठित की, जिसने स्कूल पहुंचकर बच्चों से पूछताछ की और पूरे सत्र की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच की. शुरुआती रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने एहतियातन शिक्षक को निलंबित कर दिया.

हिंदू संगठन का प्रदर्शन

जैसे ही खबर फैली, हिंदू जागरण मंच के स्थानीय कार्यकर्ता स्कूल के बाहर पहुंच गए. उन्होंने नारेबाजी करते हुए कहा कि “बच्चों को योग के नाम पर नमाज सिखाई जा रही है.” संगठन के जिला संयोजक अजीत परदेशी ने मीडिया से कहा, “यह सिर्फ योग नहीं था, बल्कि एक धार्मिक गतिविधि थी. शिक्षक बच्चों का धर्म बदलने की कोशिश कर रहा था. प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.” उनके बयान के बाद मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे राजनीतिक माहौल भी गर्माने लगा.

यह तो शशांकासन था: शिक्षक

विवाद बढ़ने के बाद शिक्षक जबूर तडवी ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया. उन्होंने लिखा, “मैं सरकार के निर्देशों के तहत स्कूल में योग की कक्षाएं लेता हूं. जिस मुद्रा को नमाज कहा जा रहा है, वह असल में शशांकासन (Shashankasana) है, जो एक सामान्य योग मुद्रा है. इसे नमाज समझ लेना अज्ञानता है. मैंने किसी धार्मिक शिक्षा की बात नहीं की. बिना मेरी बात सुने निलंबन देना अन्याय है.” शशांकासन में व्यक्ति घुटनों के बल बैठता है और झुककर दोनों हाथ आगे बढ़ाता है. यह मुद्रा सच में नमाज के सजदा जैसी दिख सकती है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी.

मुस्लिम समाज का समर्थन

जिले के कई मुस्लिम सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने जबूर तडवी के समर्थन में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि शिक्षक को बिना जांच के सस्पेंड करना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि यह समाज में अविश्वास का माहौल भी पैदा करता है. उन्होंने कहा, “योग एक सार्वभौमिक क्रिया है, जिसे किसी धर्म से जोड़ना गलत है. अगर हर मुद्रा को धर्म से जोड़ दिया जाए, तो शिक्षा का वातावरण कैसे बचेगा?”

तथ्यों की जांच जरूरी: प्रशासन

अपर कलेक्टर वीर सिंह चौहान ने बताया कि शिक्षक को जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है. “हमें कुछ अभिभावकों से शिकायतें मिलीं. प्रारंभिक जांच में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन हमने विस्तृत रिपोर्ट के लिए शिक्षा विभाग को कहा है. शिक्षक को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा,” उन्होंने कहा, "जिला शिक्षा अधिकारी ने भी स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने से पहले कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा."

सोशल मीडिया और राजनीति की एंट्री

जैसे ही यह मामला ऑनलाइन आया, सोशल मीडिया पर #YogaVsNamaz ट्रेंड करने लगा. कुछ यूजर्स ने कहा कि योग को धर्म से जोड़ना शिक्षा प्रणाली को कमजोर करता है. वहीं, कुछ ने कहा कि “यदि किसी मुद्रा में नमाज जैसी समानता है, तो सावधानी बरती जानी चाहिए.” राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे को अपने-अपने नजरिए से हवा दी.

आस्था कहां शुरू होती है?

यह घटना अब सिर्फ एक शिक्षक के निलंबन का मामला नहीं रह गई है. यह उस बारीक रेखा की चर्चा बन गई है जो शिक्षा, योग और आस्था के बीच खींची जाती है. क्या योग की मुद्रा को धार्मिक चश्मे से देखना उचित है? क्या समाज में विश्वास की कमी इतनी बढ़ गई है कि अब शिक्षा भी शक के दायरे में आ गई है?

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