Begin typing your search...

3000 से 10,000 तक की वसूली, भ्रष्ट अफसरों की दरें सुनकर मेयर हैरान, फरियादी ने खोली पोल

मुरैना नगर निगम की कचहरी में मेयर के सामने भ्रष्ट अधिकारियों का भंड़ाफोड़ हुआ है. भवन निर्माण की अनुमति के लिए अधिकारी आम लोगों से पैसा वसूल रहे हैं.

3000 से 10,000 तक की वसूली, भ्रष्ट अफसरों की दरें सुनकर मेयर हैरान, फरियादी ने खोली पोल
X
( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 17 Nov 2025 11:38 AM

मध्य प्रदेश के मुरैना नगर निगम की कचहरी में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. भवन निर्माण की अनुमति के लिए रिश्वत वसूली का एक और मामला सामने आया है. फरियादी सूरज कुमार ने महापौर को ज्ञापन सौंपते हुए चार कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने मेयर के सामने ही स्पीकर ऑन कर उस कर्मचारी से बात कराई, जो उनसे रिश्वत मांग रहा था. भ्रष्ट अधिकारियों की बात सुनकर सुनकर मेयर हैरान रह गईं.

मेयर के सामने ही कर्मचारी ऑन कॉल फरियादी से रिश्वत मांगते हुए नजर आए. पहले तो मुरैना की मेयर इस बात को मान नहीं रही थी कि अधिकारी इस तरह से रिश्वत मांग रहे हैं, लेकिन अब फरियादी ने कॉल लगाई तो पूरा मामला साफ हो गया.

नामांतरण अनुमति के लिए मांगी जा रही रिश्वत

अपनी लिखित शिकायत में फरियादी सूरज कुमार ने आरोप लगाया कि मुरैना नगर निगम कचहरी में राजस्व विभाग के आरआई से लेकर डायवर्ज़न और नामांतरण से जुड़े कर्मचारी अनुमतियों के बदले खुलेआम रिश्वत की मांग कर रहे हैं. शिकायतकर्ता के अनुसार किसी कर्मचारी ने 10 हजार, तो किसी ने 8 हजार रुपए की मांग की. सूरज का कहना है कि उन्होंने रकम तक सौंप दी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें भवन निर्माण की अनुमति जारी नहीं की गई.

सूरज कुमार का कहना है कि अनुमति प्रक्रिया पूरी तरह भ्रष्टाचार में जकड़ी हुई है. बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता और पैसे देने के बाद भी आम नागरिकों को दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं. उन्होंने महापौर से आग्रह किया है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि नगर निगम में चल रही अवैध वसूली पर रोक लगाई जा सके.

आम जनता को परेशान कर रहे भ्रष्ट कर्मचारी

सूरज कुमार ने महापौर शारदा सोलंकी को सौंपे गए ज्ञापन में नगर निगम कचहरी के कर्मचारियों पर व्यवस्था को बदनाम करने और आम नागरिकों को परेशान करने जैसे आरोप लगाए. उनका कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते ऐसे कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं करता, तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा तथा आम लोगों के लिए भवन अनुमति जैसी जरूरी सेवाएं प्राप्त करना और कठिन हो जाएगा. इस पर महापौर ने आश्वस्त किया कि संबंधित मामलों में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

MP news
अगला लेख