नंबर नहीं, अब बच्चे सीखेंगे खुश रहना! MP के स्कूलों में 'हैप्पीनेस करिकुलम' लागू, जानें इसके बारे में डिटेल
आजकल लोग पैसा और मैटेरियलिस्टिक चीजों के पीछे ज्यादा भाग रहे हैं, जिसके चलते हम असली खुशी के मायने भूलते जा रहे हैं. अब ऐसे में मध्य प्रदेश के स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरूआत की जा चुकी है, जिसमें बच्चों को जिंदगी के असली मायने सिखाए जाएंगे.

क्या अच्छे नंबर, नई बाइक या बड़ी नौकरी ही खुशी लाते हैं? मध्य प्रदेश के बच्चे अब खुद इस सवाल का जवाब ढूंढने वाले हैं. क्योंकि उनके स्कूलों में जल्द ही शुरू होने वाला है एक खास और दिल से जुड़ा हुआ कोर्स 'हैप्पीनेस करिकुलम'. यह कोई आम किताबों वाला टॉपिक नहीं होगा.
इसका मकसद है बच्चों को ये सिखाना कि असली खुशी नंबरों, नई बाइक या बड़ी नौकरी में नहीं, बल्कि अपने मन को समझने, अच्छे रिश्ते बनाने और संतुलन से जीने में होती है. चलिए जानते हैं हैप्पीनेस करिकुलम के बारे में.
कैसे शुरू हुई यह पहल?
राज्य सरकार ने पिछले दो सालों में इस कोर्स को 450 स्कूलों में आज़माया था, जिससे उन्हें अच्छा और पॉजिटिव रिजल्ट मिला. इसके बाद अब इसे पूरे राज्य के करीब 9,000 स्कूलों में लागू किया जा रहा है. हैप्पीनेस डिपार्टमेंट के हेड सत्य प्रकाश आर्य ने बताया कि 'हम चाहते हैं कि बच्चे सिर्फ पढ़ाई में अच्छे न हों, बल्कि वे इमोशनली भी मजबूत बनें. सोच-समझ रखें और एक खुशहाल जिंदगी जीना सीखें.'
क्या होगा इस करिकुलम में खास?
क्लास 9वीं के लिए इस करिकुलम में 11 चैप्टर होंगे, जो खुशी की खोज से शुरू होंगे. लेकिन यह कोई आम खोज नहीं, बल्कि ऐसी तलाश है जो सिखाती है कि असली खुशी सिर्फ पैसों, चीज़ों या नंबरों में नहीं होती है बल्कि, जीवन को समझने, सोचने और महसूस करने में होती है. करिक्युलम में कहानियां सुनाना, ग्रुप डिस्कशन और मनन जैसी चीजें शामिल हैं. इनसे बच्चे सीखेंगे कि कैसे अच्छे इंसान बनकर, दूसरों के साथ मिलकर और खुद को समझकर भी खुशी पाई जा सकती है.
सेल्फ अवेयरनेस पर होगा फोकस
इस कोर्स में सेल्फ अवेयरनेस पर खास ध्यान दिया गया है. यानी खुद को समझना आना चाहिए. इसमें बच्चे अपने ही विचारों, इमोशन और बिहेवियर को पहचानना और परखना सीखेंगे. इसके लिए उन्हें ग्रुप एक्टिविटीज़ और इंट्रोस्पेक्शन कराए जाएंगे, जिससे वे खुद से जुड़ सकें और अपने मन में क्या चल रहा है, इसे बेहतर ढंग से समझ सकें.
10वीं के बच्चे सिखेंगे ये चीजें
गहराई के साथ 10वीं क्लास के बच्चों के लिए इसमें भी 11 चैप्टर होंगे. यानी ये समझना कि हमारे मन में क्या चल रहा है, हम क्यों सोचते हैं जैसा सोचते हैं, और हमारे विचार हमारे व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं. बच्चे सीखेंगे कि खुद की अंदरूनी दुनिया को समझना भी उतना ही जरूरी है, जितना बाहर की दुनिया में अच्छे नंबर लाना.
शरीर और मन की जरूरतों को जानना है जरूरी
इसके साथ ही इसमें सिखाया जाएगा कि 'हम सिर्फ शरीर नहीं हैं'. यह धारणा अधूरी है कि इंसान केवल एक भौतिक शरीर है. कोर्स यह सिखाता है कि एक खुशहाल और बैलेंस लाइफ के लिए जरूरी है कि हम अपने शरीर की ज़रूरतों के साथ-साथ अपने मन और आत्मा की ज़रूरतों को भी समझें और उन्हें पूरा करें.
11वीं क्लास के होंगे ये चैप्टर
11वीं क्लास के बच्चों के लिए इस कोर्स की सबसे खूबसूरत बात यह है कि यह बच्चों को अपने परिवार के साथ रिश्तों में सामंजस्य बनाना सिखाता है. उन्हें सिखाया जाएगा कि प्यार, देखभाल, सम्मान और कृतज्ञता जैसे इमोशन लाइफ को कितना आसान और सुंदर बना सकते हैं.
महंगे फोन और गाड़ी से कहीं ज्यादा है खुशी
बच्चे इसके जरिए यह भी जान पाएंगे कि असली खुशी केवल भौतिक चीज़ों में नहीं होती है. जैसे महंगे फोन, बड़ी गाड़ी या दूसरों की वाहवाही. ये चीज़ें थोड़ी देर की खुशी देती हैं, लेकिन अंदर से खुश रहने के लिए समझ, संतुलन और अच्छे रिश्तों की ज़रूरत होती है.
हम अकेले नहीं
इसमें कुल 16 अध्याय हैं और यह पाठ्यक्रम बच्चों को सिखाता है कि हम अकेले नहीं, बल्कि इस पूरी सृष्टि का हिस्सा हैं. यह सिखाता है कि दुनिया में चार तरह की चीजें होती हैं: भौतिक चीजें (जैसे मिट्टी, पानी), पौधे, जानवर, मनुष्य. पहले तीन मनुष्य के पूरक हैं. यानी इंसान अकेले नहीं जी सकता है. हम सभी आपस में जुड़े हैं. एक चैप्टर में खास बताया गया है कि “अस्तित्व = सह-अस्तित्व”, यानी हमें मिलकर साथ में रहना चाहिए. ये दुनिया हर जीव और हर चीज़ से जुड़कर ही खूबसूरत बनती है.
करिकुलम की कुछ खास बातें
यह सभी स्ट्रीम (साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स) के लिए जरूरी होगा. इसमें कोई परीक्षा नहीं होगी, बच्चों को नंबरों से नहीं, समझ से आंका जाएगा. बच्चे माइंडफुलनेस ट्रेनिंग, ध्यान, कहानियों, और समूह चर्चा के ज़रिए सीखेंगे.