चेहरा दिख जाता इसलिए 18 साल तक नहीं बनने दिया आधार-पहचान पत्र, यूपी में पत्नी की हत्या करने वाला शख्स का नया कबूलनामा
यूपी के शामली से हाल ही में दिल दहलाने वाली खबर सामने आई थी, जहां पति ने अपनी पत्नी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि वह बिना बुर्का पहने मायके चली गई थी. अब इस मामले में आरोपी पति ने खुलासा किया है कि पत्नी का चेहरा दिख जाता, इसलिए उसने 18 साल का आधार-पहचान पत्र नहीं बनवाया था.
उत्तर प्रदेश के शामली में सामने आई यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है, बल्कि पाबंदियों, डर और कथित इज़्ज़त के नाम पर की गई हैवानियत का आईना है. जिस घर में रोज़मर्रा की ज़िंदगी चलती थी, वहीं एक पति ने अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियों की ज़िंदगी खत्म कर दी. वजह एक औरत का अपनी मर्जी से बिना बुर्का बाहर निकलना.
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अब इस हत्याकांड मामले में आरोपी का कहना है कि उसने जानबूझकर करीब 18 साल तक अपना आधार और पहचान पत्र नहीं बनवाया, क्योंकि उसमें उसकी पत्नी का चेहरा दिख जाता. यह खुलासा न सिर्फ अपराध की गहराई को दिखाता है, बल्कि आरोपी की सालों पुरानी साजिश और मानसिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
बुर्के के चलते नहीं बनवाया आधार-पहचान
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी फारूक अपनी पत्नी ताहिरा (32) पर हमेशा बुर्का पहनने का दबाव बनाता था. शादी के 18 सालों तक उसने ताहिरा को आधार कार्ड, राशन कार्ड या किसी भी पहचान पत्र के लिए आवेदन तक नहीं करने दिया. उसकी दलील थी कि पहचान पत्र में फोटो आएगा और उसमें बुर्का नहीं होगा.
बुर्का न पहनने की सजा मौत
दरअसल फारूक और ताहिरा के बीच अक्सर घरेलू बातों को लेकर झगड़े होते रहते थे. फारुख शादियों में खाना बनाने का काम करता है. वहीं, ताहिरा घर की जिम्मेदारी संभालना चाहती थी, लेकिन उसे यह मंजूर नहीं था. हालात तब और बिगड़ गए, जब करीब एक महीने पहले ताहिरा बिना बुर्का पहने अपने मायके चली गई. फारूक का दावा था कि इससे उसकी “इज़्ज़त” को ठेस पहुंची.
पत्नी को मारी गोली, बेटी का घोंटा गला
10 दिसंबर की आधी रात फारूक का गुस्सा हिंसा में बदल गया. पुलिस के मुताबिक, उसने रसोई में ताहिरा को गोली मार दी. गोली की आवाज़ सुनकर उसकी सबसे बड़ी बेटी अफरीन जाग गई और रसोई तक पहुंची. वह भी पिता की गोली का शिकार बन गई. इसके बाद दूसरी बेटी सेहरीन वहां आई, जिसे फारूक ने गला घोंटकर मार डाला.
आंगन में दफना दी लाश
हत्या के बाद फारूक ने तीनों शवों को घर के आंगन में शौचालय के लिए खोदे गए करीब नौ फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया. ऊपर से ईंटों का फर्श बिछा दिया गया, ताकि किसी को शक न हो. घर के भीतर ज़िंदगी चलती रही, लेकिन नीचे दबी थी एक दिल दहला देने वाली सच्चाई.
कैसे खुली अपराध की पोल?
जब ताहिरा और उसकी बेटियां छह दिनों तक दिखाई नहीं दीं, तो फारूक के पिता दाऊद को शक हुआ. बार-बार पूछने पर फारूक सवालों को टालता रहा और कहता रहा कि उसने पत्नी और बेटियों को किराए के मकान में रखा है. आखिरकार दाऊद ने पुलिस को सूचना दी.
शामली की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस सोच पर सवाल है, जहां औरत की आज़ादी, पहचान और सम्मान को कुचल दिया जाता है. बुर्के की ज़िद और झूठी इज़्ज़त के नाम पर तीन ज़िंदगियां खत्म कर दी गईं और पीछे रह गया एक ऐसा सच, जो समाज को झकझोर कर रख देता है.





