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फर्जी फैसले को लेकर SIT की बड़ी कार्रवाई, कोर्ट भी किया सीज; IAS संतोष वर्मा पर मंडराए संकट के बादल

आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के प्रमोशन के लिए रचे गए फर्जी अदालती फैसले का मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. इस हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी ने जांच की रफ्तार तेज करते हुए सस्पेंड स्पेशल जज विजेंद्र रावत की अदालत से 300 से अधिक केस फाइलें जब्त कर ली हैं. कोर्ट को भी सीज कर दिया गया है.

फर्जी फैसले को लेकर SIT की बड़ी कार्रवाई, कोर्ट भी किया सीज; IAS संतोष वर्मा पर मंडराए संकट के बादल
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( Image Source:  X/ @MrSinha_ )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 20 Dec 2025 4:17 PM

आईएएस संतोष वर्मा के प्रमोशन के लिए रचे गए फर्जी अदालती फैसले का मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. इस हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी ने जांच की रफ्तार तेज करते हुए सस्पेंड स्पेशल जज विजेंद्र रावत की अदालत से 300 से अधिक केस फाइलें जब्त कर ली हैं.

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जांच एजेंसी को शक है कि इसी रिकॉर्ड के बीच फर्जी फैसले की मूल प्रति छिपाई गई है, जिसके आधार पर संतोष वर्मा को प्रमोशन का लाभ दिलाने की कोशिश की गई. हर दस्तावेज को बारीकी से खंगाला जा रहा है, ताकि पूरे मामले की कड़ियां जोड़ी जा सकें.

फर्जी फैसले की मूल प्रति अब भी गायब

एसआईटी के सामने फिलहाल फर्जी अदालती फैसले की केवल सत्यापित फोटोकॉपी मौजूद है, जबकि उसकी मूल प्रति अब तक बरामद नहीं हो सकी है. इसी कारण कोर्ट रिकॉर्ड को सीज कर गहन जांच शुरू की गई है. जांच अधिकारी हर फाइल की फॉरेंसिक स्तर पर पड़ताल कर रहे हैं, ताकि यह साफ हो सके कि फर्जी दस्तावेज आखिर किस तरह और कहां तैयार किया गया.

जज के हस्ताक्षरों की फॉरेंसिक जांच

इस मामले में सबसे अहम कड़ी सस्पेंड स्पेशल जज विजेंद्र रावत के हस्ताक्षर हैं. एसआईटी द्वारा जब्त किए गए रिकॉर्ड में मौजूद हस्ताक्षरों की सूक्ष्म तुलना की जा रही है. जांच एजेंसी यह साबित करने की कोशिश में जुटी है कि फर्जी फैसले पर जानबूझकर सामान्य हस्ताक्षरों से अलग साइन किए गए, ताकि बाद में इसे असली न्यायिक आदेश की तरह इस्तेमाल किया जा सके.

कोर्ट कंप्यूटर से रिकवर हुई डिजिटल कॉपी

जांच के दौरान बड़ा खुलासा तब हुआ, जब एसआईटी ने जज विजेंद्र रावत की कोर्ट से जब्त किए गए कंप्यूटर सिस्टम से फर्जी फैसले की एक डिजिटल कॉपी रिकवर कर ली. इस बरामदगी के बाद यह लगभग स्पष्ट हो गया है कि फर्जी फैसला अदालत परिसर के भीतर ही तैयार किया गया था, जिससे पूरे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है.

टाइपिस्ट के घर छापा, पेन ड्राइव से मिले सबूत

गुरुवार रात एसआईटी ने कोर्ट में पदस्थ रहे टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान के शिक्षक नगर स्थित घर पर छापा मारा. तलाशी के दौरान पुलिस ने उसका कंप्यूटर और एक पेन ड्राइव जब्त की. जांच में सामने आया कि पेन ड्राइव में भी वही फर्जी फैसला सेव था, जिसे आईएएस संतोष वर्मा के पक्ष में इस्तेमाल किया गया था. इसे जांच एजेंसी अहम डिजिटल सबूत मान रही है.

प्रमोशन का रास्ता साफ करने की साजिश

जांच अधिकारियों का दावा है कि जज विजेंद्र रावत ने फर्जी फैसले पर अपने सामान्य हस्ताक्षरों से अलग साइन किए और फिर उसे आवक-जावक शाखा में भिजवाया गया. इसका मकसद यह था कि आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को फैसले की सत्यापित प्रति आसानी से मिल सके और उनके प्रमोशन का रास्ता बिना किसी अड़चन के साफ हो जाए.

सभी आरोपी जमानत पर

एमजी रोड थाने में दर्ज इस सनसनीखेज मामले में सस्पेंड स्पेशल जज विजेंद्र रावत और आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को पहले ही जमानत मिल चुकी है. वहीं, टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान पुलिस रिमांड पर थी. शुक्रवार को रिमांड के दौरान उसकी ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई, जिस पर दिनभर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे भी जमानत दे दी. अब एसआईटी सभी सबूतों को मिलाकर आगे की कार्रवाई की तैयारी में लगी है. जिससे आईएएस संतोष वर्मा की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं.

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